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कुशीनगर: पट्टे की जमीन से गरीबों को बेदखल करने का अधिकारियों पर लगा आरोप

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में ग्रामीणों ने राजस्व विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पट्टे की जमीन से बेदखल किया जा रहा है.

villagers made serious allegation against administration officers in kushinagar
कुशीनगर में पट्टे की जमीन से गरीबों को बेदखल करने का अधिकारियों पर लगा आरोप.
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Published : Sep 21, 2020, 3:39 PM IST

कुशीनगर: जनपद मुख्यालय पडरौना के निकट जंगल विशुनपुरा गांव में अनुसूचित और गरीब लोगों को वर्षों पूर्व पट्टे की जमीन मिली थी. बीते लॉकडाउन की अवधि के दौरान इस जमीन पर न्यायालय के स्थगन आदेश की अनदेखी करने का आरोप प्रशासनिक अमले पर लगा है. बिना संक्रमणीय हुए ही उक्त जमीन का बैनामा और फिर राजस्व विभाग के सांठगांठ से उस पर काबिज गरीब लोगों को हटाकर एक व्यक्ति को कब्जा देने की बात भी सामने आई है.

ईटीवी भारत की पड़ताल के क्रम में एसडीएम ने उक्त जमीन पर उच्च न्यायालय का स्थगन आदेश होने की बात कही. उन्होंने बताया कि मामले की जांच तहसीलदार पडरौना को दी गई है.

क्या है मामला
जानकारी के मुताबिक पडरौना नगर निवासी एक व्यक्ति की कृषि योग्य जमीन सीलिंग में निकली थी. सम्बन्धित पक्ष द्वारा स्थानीय चकबन्दी न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक अपील कर स्थगन आदेश ले लिया गया है. उसके बावजूद राजस्व विभाग द्वारा गरीब लोगों को पट्टे के रूप में उक्त जमीन का आवंटन कर दिया गया था. आरोप है कि हाल में उक्त भूखण्ड के एक बड़े हिस्से का विक्रय दिखाकर बिना दाखिल खारिज के ही गाटा 510 के चार एकड़ पर राजस्व विभाग द्वारा एक व्यक्ति को जबरदस्ती कब्जा दे दिया गया है.

पड़ताल में सामने आई बात
मामले में तत्कालीन लेखपाल द्वारा उक्त जमीन का दाखिल खारिज कराने के लिए नियम विरुद्ध संक्रमणीय भूमि होने की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजा गया है. ईटीवी भारत को प्राप्त रिपोर्ट की छाया प्रति में साफ लिखा है कि उक्त जमीन पर किसी न्यायालय में कोई मामला विचाराधीन नहीं है जबकि पीड़ित पक्ष द्वारा साक्ष्य के साथ जिलाधिकारी को दिए गए पत्र में मामला न्यायालय में लम्बित होने की बात कही गई है.

villagers made serious allegation against administration officers in kushinagar
प्रार्थना पत्र.

ग्रामीणों ने लगाया तहसीलदार पर आरोप
पूर्व के कई वर्षों से पट्टे पर कब्जा प्राप्त कर चुके ग्रामीणों द्वारा जिलाधिकारी को आज सोमवार को दिए गए प्रार्थना पत्र में पडरौना के तहसीलदार पर सीधा आरोप लगाते हुए एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने की बात कही गई है. धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज कराकर पट्टे की जमीन से बेदखली किए जाने की बात भी लिखी गई है. पत्र के साथ दिए गए साक्ष्य में हाईकोर्ट में विचाराधीन 38739/2015 का जिक्र करते हुए मामले में स्थगन आदेश होने की जिक्र भी किया गया है.

ये भी पढ़ें: कुशीनगर: विकास की कहानी कह रही हैं ये ग्रामसभाएं

कब उलझा खेल
मामला तब और उलझ गया, जब तत्कालीन लेखपाल की रिपोर्ट के बाद हाल में राजस्व विभाग की पांच सदस्यीय टीम ने तहसीलदार सदर के आदेश पर अपनी जांच आख्या प्रस्तुत की. सूत्रों की सूचना के मुताबिक इस रिपोर्ट में न्यायालय में लम्बित मुकदमे के जिक्र के साथ ही पूरे विस्तार से सारी बातें लिख दी गई थीं, जिसे देखकर तहसीलदार सदर ने जांच टीम के लेखपालों से स्पष्टीकरण तलब किया है.

मामले में स्थगन प्राप्त है. ऐसा मेरी जानकारी में आया है, लेकिन तत्कालीन लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में क्या लिखा है, इसका मुझे पता नहीं है. मामला संज्ञान में आने के बाद पूरे प्रकरण की जांच तहसीलदार पडरौना को दी गई है. रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद अगली कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

-रामकेश यादव, एसडीएम, पडरौना

कुशीनगर: जनपद मुख्यालय पडरौना के निकट जंगल विशुनपुरा गांव में अनुसूचित और गरीब लोगों को वर्षों पूर्व पट्टे की जमीन मिली थी. बीते लॉकडाउन की अवधि के दौरान इस जमीन पर न्यायालय के स्थगन आदेश की अनदेखी करने का आरोप प्रशासनिक अमले पर लगा है. बिना संक्रमणीय हुए ही उक्त जमीन का बैनामा और फिर राजस्व विभाग के सांठगांठ से उस पर काबिज गरीब लोगों को हटाकर एक व्यक्ति को कब्जा देने की बात भी सामने आई है.

ईटीवी भारत की पड़ताल के क्रम में एसडीएम ने उक्त जमीन पर उच्च न्यायालय का स्थगन आदेश होने की बात कही. उन्होंने बताया कि मामले की जांच तहसीलदार पडरौना को दी गई है.

क्या है मामला
जानकारी के मुताबिक पडरौना नगर निवासी एक व्यक्ति की कृषि योग्य जमीन सीलिंग में निकली थी. सम्बन्धित पक्ष द्वारा स्थानीय चकबन्दी न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक अपील कर स्थगन आदेश ले लिया गया है. उसके बावजूद राजस्व विभाग द्वारा गरीब लोगों को पट्टे के रूप में उक्त जमीन का आवंटन कर दिया गया था. आरोप है कि हाल में उक्त भूखण्ड के एक बड़े हिस्से का विक्रय दिखाकर बिना दाखिल खारिज के ही गाटा 510 के चार एकड़ पर राजस्व विभाग द्वारा एक व्यक्ति को जबरदस्ती कब्जा दे दिया गया है.

पड़ताल में सामने आई बात
मामले में तत्कालीन लेखपाल द्वारा उक्त जमीन का दाखिल खारिज कराने के लिए नियम विरुद्ध संक्रमणीय भूमि होने की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजा गया है. ईटीवी भारत को प्राप्त रिपोर्ट की छाया प्रति में साफ लिखा है कि उक्त जमीन पर किसी न्यायालय में कोई मामला विचाराधीन नहीं है जबकि पीड़ित पक्ष द्वारा साक्ष्य के साथ जिलाधिकारी को दिए गए पत्र में मामला न्यायालय में लम्बित होने की बात कही गई है.

villagers made serious allegation against administration officers in kushinagar
प्रार्थना पत्र.

ग्रामीणों ने लगाया तहसीलदार पर आरोप
पूर्व के कई वर्षों से पट्टे पर कब्जा प्राप्त कर चुके ग्रामीणों द्वारा जिलाधिकारी को आज सोमवार को दिए गए प्रार्थना पत्र में पडरौना के तहसीलदार पर सीधा आरोप लगाते हुए एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने की बात कही गई है. धारा 67 के तहत मुकदमा दर्ज कराकर पट्टे की जमीन से बेदखली किए जाने की बात भी लिखी गई है. पत्र के साथ दिए गए साक्ष्य में हाईकोर्ट में विचाराधीन 38739/2015 का जिक्र करते हुए मामले में स्थगन आदेश होने की जिक्र भी किया गया है.

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कब उलझा खेल
मामला तब और उलझ गया, जब तत्कालीन लेखपाल की रिपोर्ट के बाद हाल में राजस्व विभाग की पांच सदस्यीय टीम ने तहसीलदार सदर के आदेश पर अपनी जांच आख्या प्रस्तुत की. सूत्रों की सूचना के मुताबिक इस रिपोर्ट में न्यायालय में लम्बित मुकदमे के जिक्र के साथ ही पूरे विस्तार से सारी बातें लिख दी गई थीं, जिसे देखकर तहसीलदार सदर ने जांच टीम के लेखपालों से स्पष्टीकरण तलब किया है.

मामले में स्थगन प्राप्त है. ऐसा मेरी जानकारी में आया है, लेकिन तत्कालीन लेखपाल ने अपनी रिपोर्ट में क्या लिखा है, इसका मुझे पता नहीं है. मामला संज्ञान में आने के बाद पूरे प्रकरण की जांच तहसीलदार पडरौना को दी गई है. रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद अगली कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

-रामकेश यादव, एसडीएम, पडरौना

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