कुशीनगर: जिले में पिछले दिनों बने शौचालय राष्ट्रव्यापी स्वच्छता अभियान में बाधा खड़े करते नजर आ रहे हैं. जियो टैगिंग के बाद भी बहुत सारे गांवों में शौचालय न बनने की शिकायत दर्ज हो रही है. जिले में बिना शौचालय पूर्ण हुए ही बहुत सारे गांवों को ओडीएफ भी घोषित कर दिया गया है. वहीं सेवरही विकास खंड के ग्रामसभा बाघाचौर में हाल में बने अपूर्ण शौचालयों में साफ-सफाई की समस्या नजर आ रही है. डीपीआरओ ने अपूर्ण शौचालयों को जल्द ही पूरा कराने की बात कही है.
लिखित शिकायत के बाद भी नहीं हुई जांच
सेवरही विकास खंड क्षेत्र के बाघाचौर गांव में एक एजेंसी द्वारा किए गए शौचालय निर्माण में बड़े पैमाने पर गोलमाल का मामला प्रकाश में आया है. काफी संख्या में आधे-अधूरे पड़े शौचालयों का पूरा न किए जाने का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है, लेकिन लिखित शिकायत के बाद भी कोई जांच नहीं हो रही है. क्षेत्र के एडीओ पंचायत के पास ही उक्त गांव के सचिव का भी पदभार है. इस कारण विषय की जांच नहीं हो पा रही है.
जांच में 67 अपूर्ण शौचालय मिले
शौचालय निर्माण को लेकर केन्द्र और प्रदेश सरकार की स्पष्ट गाइडलाइन है कि स्वीकृत धन से लाभार्थी खुद उसको बनवायेगा, लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं दिख रहा है. बाघाचौर के स्वच्छ भारत मिशन के खाते से जनवरी में शौचालयों का निर्माण करने वाली दो स्थानीय फर्मों को अलग-अलग लगभग 28 लाख रुपये हस्तांतरित किया गया है.
सरकारी अभिलेखों के अनुसार उक्त ग्रामसभा में 761 शौचालय का एमआईएस हुआ है. उसमें 631 शौचालय एप्रूव्ड दिखाए जा रहे हैं, जबकि हालात इसके विपरीत हैं. एक इलाके की जांच में 67 ऐसे अपूर्ण शौचालय मिले हैं, जिनमें कुछ की टंकी निर्माण के बाद उसमें ढक्कन तक नहीं लगाया गया. वहीं कुछ का कनेक्शन ही नहीं किया गया है.
मामला संज्ञान में है, जितना आरोप लगाया जा रहा है वैसा नहीं है. कुछ शौचालय अपूर्ण है, उनको जल्द पूरा कराने का निर्देश दिया गया है.
-राघवेन्द्र द्विवेदी, डीपीआरओ