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फर्जी अंक पत्र पर नौकरी करने वाली सफाईकर्मी बर्खास्त, BSA की रिपोर्ट के बाद DPRO ने की कार्रवाई - फर्जी अंक पत्र

कुशीनगर में फर्जी अंक पत्र पर नौकरी करने वाली सफाईकर्मी को बर्खास्त किया गया है. वहीं, तीन पर आरोप पत्र जारी करने के बवाजूद भी मंजू देवी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया था.

फर्जी अंक पत्र पर नौकरी
फर्जी अंक पत्र पर नौकरी
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Published : Dec 11, 2022, 12:52 PM IST

कुशीनगर: पंचायती राज विभाग के अधीन कार्यरत सफाईकर्मी मंजू देवी को आखिरकार अपनी नौकरी से हाथ धोना ही पड़ा. फर्जी अंक पत्र और टीसी लगाकर नौकरी हासिल करने वाली सफाईकर्मी मंजू देवी जांच में फर्जी पाये जाने के बाद इधर-उधर से जुगाड़ लगाकर काफी दिनो तक बची रही. लेकिन मीडिया ने जब इस मामले को प्रमुखता से उठाया तो डीपीआरओ अभय कुमार यादव ने मंजू देवी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया. मंजू देवी के अंक पत्र और टीसी की जांच बीएसए द्वारा की गई थी, जिसमे आरोप सही पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई.

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आदेश पत्र

दरअसल, जनपद के हाटा विकास अन्तर्गत ग्राम पंचायत घोरटप में सफाईकर्मी के पद पर तैनात मंजू देवी के अंक पत्र और जन्म प्रमाणपत्र फर्जी होने का दावा करते हुए देवरिया निवासी अधिवक्ता मोहम्मद अरशद ने मंजू देवी के खिलाफ निदेशक पंचायती राज उत्तर प्रदेश लखनऊ को शिकायत करते हुए प्रकरण की जांच कराकर कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. इसको गंभीरता से लेते हुए शासन ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कुशीनगर को मंजू देवी का अंक पत्र और जन्म प्रमाणपत्र जांच करने का आदेश दिया. जिसका अनुपालन मे जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्रकरण की जांच की तो आरोप सही पाया गया.

बीएसए ने रिपोर्ट मे कहा है कि प्रधानाध्यापक छोटे लाल द्वारा संलग्न मंजू देवी के अंकपत्र और टीसी को कूटरचित और फर्जी बताया गया. यह भी अवगत कराया कि मंजू देवी पुत्री नथुनी प्रसाद कभी भी इस विद्यालय मे शिक्षा ग्रहण नहीं की है. इसके बाद डीपीआरओ कार्यालय द्वारा मंजू देवी को क्रमशः तीन आरोप पत्र जारी किया गया, जिसमे शासन के सभी पत्रों का हवाला देते हुए यह कहा गया कि मंजू देवी पुत्री नथूनी प्रसाद पत्नी स्व. चंद्र देव द्वारा प्रस्तुत अंक पत्र और टीसी पूर्णतः फर्जी और कूटरचित है.

डीपीआरओ ने मंजू देवी को दिए गए पहले नोटिस में 15 दिनों में अपना पक्ष रखने के लिए कहा था. लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद डीपीआरओ कार्यालय ने मंजू देवी को दुसरा आरोप पत्र देते हुए सात दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया. इसके बावजूद भी मंजू देवी ने कोई जबाब नहीं दिया. सूत्रों की माने तो फर्जी तरीके से नौकरी हथियाने वाली मंजू देवी अपनी नौकरी बचाने के लिए इधर-उधर जुगाड़ लगाती रही है. यही वजह है कि दुसरे नोटिस दिए जाने के एक माह बाद भी डीपीआरओ द्वारा मंजू देवी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया गया. इसके बाद मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया. फिर 25 नवंबर को डीपीआरओ ने मंजू देवी को तीसरा और अंतिम आरोप पत्र जारी करते हुए 29 नवम्बर को कार्यालय मे उपस्थित होकर साक्ष्य के साथ अपना पक्ष प्रस्तुत करने की चेतावनी दी.

यह भी पढ़ें- गाजीपुर पुलिस को मिली सफलता, 25 हजार के इनामिया बदमाश को किया गिरफ्तार

कुशीनगर: पंचायती राज विभाग के अधीन कार्यरत सफाईकर्मी मंजू देवी को आखिरकार अपनी नौकरी से हाथ धोना ही पड़ा. फर्जी अंक पत्र और टीसी लगाकर नौकरी हासिल करने वाली सफाईकर्मी मंजू देवी जांच में फर्जी पाये जाने के बाद इधर-उधर से जुगाड़ लगाकर काफी दिनो तक बची रही. लेकिन मीडिया ने जब इस मामले को प्रमुखता से उठाया तो डीपीआरओ अभय कुमार यादव ने मंजू देवी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया. मंजू देवी के अंक पत्र और टीसी की जांच बीएसए द्वारा की गई थी, जिसमे आरोप सही पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई.

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दरअसल, जनपद के हाटा विकास अन्तर्गत ग्राम पंचायत घोरटप में सफाईकर्मी के पद पर तैनात मंजू देवी के अंक पत्र और जन्म प्रमाणपत्र फर्जी होने का दावा करते हुए देवरिया निवासी अधिवक्ता मोहम्मद अरशद ने मंजू देवी के खिलाफ निदेशक पंचायती राज उत्तर प्रदेश लखनऊ को शिकायत करते हुए प्रकरण की जांच कराकर कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. इसको गंभीरता से लेते हुए शासन ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कुशीनगर को मंजू देवी का अंक पत्र और जन्म प्रमाणपत्र जांच करने का आदेश दिया. जिसका अनुपालन मे जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्रकरण की जांच की तो आरोप सही पाया गया.

बीएसए ने रिपोर्ट मे कहा है कि प्रधानाध्यापक छोटे लाल द्वारा संलग्न मंजू देवी के अंकपत्र और टीसी को कूटरचित और फर्जी बताया गया. यह भी अवगत कराया कि मंजू देवी पुत्री नथुनी प्रसाद कभी भी इस विद्यालय मे शिक्षा ग्रहण नहीं की है. इसके बाद डीपीआरओ कार्यालय द्वारा मंजू देवी को क्रमशः तीन आरोप पत्र जारी किया गया, जिसमे शासन के सभी पत्रों का हवाला देते हुए यह कहा गया कि मंजू देवी पुत्री नथूनी प्रसाद पत्नी स्व. चंद्र देव द्वारा प्रस्तुत अंक पत्र और टीसी पूर्णतः फर्जी और कूटरचित है.

डीपीआरओ ने मंजू देवी को दिए गए पहले नोटिस में 15 दिनों में अपना पक्ष रखने के लिए कहा था. लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद डीपीआरओ कार्यालय ने मंजू देवी को दुसरा आरोप पत्र देते हुए सात दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया. इसके बावजूद भी मंजू देवी ने कोई जबाब नहीं दिया. सूत्रों की माने तो फर्जी तरीके से नौकरी हथियाने वाली मंजू देवी अपनी नौकरी बचाने के लिए इधर-उधर जुगाड़ लगाती रही है. यही वजह है कि दुसरे नोटिस दिए जाने के एक माह बाद भी डीपीआरओ द्वारा मंजू देवी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया गया. इसके बाद मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया. फिर 25 नवंबर को डीपीआरओ ने मंजू देवी को तीसरा और अंतिम आरोप पत्र जारी करते हुए 29 नवम्बर को कार्यालय मे उपस्थित होकर साक्ष्य के साथ अपना पक्ष प्रस्तुत करने की चेतावनी दी.

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