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बुद्ध का धम्म-चक्र भारत के तिरंगे पर विराजमान होकर हमें गति दे रहा : पीएम मोदी

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 'अभिधम्म दिवस' (Abhidhamma Day) के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने बौद्ध भिक्षुओं को 'चिवर' भेंट किया. कार्यक्रम में 12 देशों के राजनयिक शामिल हुए. इस दौरान पीएम ने कहा कि बुद्ध का धम्म-चक्र भारत के तिरंगे पर विराजमान होकर हमें गति दे रहा है.

महापरिनिर्वाण मंदिर में पीएम मोदी.
महापरिनिर्वाण मंदिर में पीएम मोदी.
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Published : Oct 20, 2021, 12:39 PM IST

Updated : Oct 20, 2021, 2:28 PM IST

कुशीनगरः उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 'अभिधम्म दिवस' के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने बौद्ध भिक्षुओं को 'चिवर' भेंट किया. कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के उद्घाटन समारोह में आज 12 देशों के राजनयिक शामिल हुए. इसमें मंगोलिया, म्यांमार, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, लाओ पीडीआर, श्रीलंका, भूटान, कोरिया गणराज्य, नेपाल, जापान और सिंगापुर के राजनयिक मौजूद रहे.

पीएम मोदी ने कहा कि आज एक और महत्वपूर्ण अवसर है, भगवान बुद्ध के तुषिता स्वर्ग से वापस धरती पर आने का. इसलिए, आश्विन पूर्णिमा को आज हमारे भिक्षुगण अपने तीन महीने का 'वर्षावास' भी पूरा करते हैं. आज मुझे भी वर्षावास के उपरांत संघ भिक्षुओं को ‘चीवर दान’ का सौभाग्य मिला है.

पीएम मोदी.

पीएम ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि श्रीलंका में बौद्ध धर्म का संदेश, सबसे पहले भारत से सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा ले कर गए थे. माना जाता है कि आज के ही दिन 'अर्हत महिंदा' ने वापस आकर अपने पिता को बताया था कि श्रीलंका ने बुद्ध का संदेश कितनी ऊर्जा से अंगीकार किया है. इस समाचार ने ये विश्वास बढ़ाया था, कि बुद्ध का संदेश पूरे विश्व के लिए है, बुद्ध का धम्म मानवता के लिए है.

इसे भी पढ़ें- Kushinagar Airport Inauguration : उद्घाटन समारोह में बोले PM मोदी- दशकों की आशाओं का परिणाम

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज जब दुनिया पर्यावरण संरक्षण की बात करती है, क्लाइमेट चेंज की चिंता जाहिर करती है, तो उसके साथ अनेक सवाल उठ खड़े होते हैं. लेकिन, अगर हम बुद्ध के सन्देश को अपना लेते हैं तो 'किसको करना है', इसकी जगह 'क्या करना है', इसका मार्ग अपने आप दिखने लगता है. कहा कि बुद्ध आज भी भारत के संविधान की प्रेरणा हैं, बुद्ध का धम्म-चक्र भारत के तिरंगे पर विराजमान होकर हमें गति दे रहा है. आज भी भारत की संसद में कोई जाता है तो इस मंत्र पर नजर जरूर पड़ती है, 'धर्म चक्र प्रवर्तनाय'.

उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध ने कहा था, 'अप्प दीपो भव'. यानी, अपने दीपक स्वयं बनो. जब व्यक्ति स्वयं प्रकाशित होता है. तभी वह संसार को भी प्रकाश देता है. यही भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा है. यही वो प्रेरणा है जो हमें दुनिया के हर देश की प्रगति में सहभागी बनने की ताकत देती है.

कुशीनगरः उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 'अभिधम्म दिवस' के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने बौद्ध भिक्षुओं को 'चिवर' भेंट किया. कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के उद्घाटन समारोह में आज 12 देशों के राजनयिक शामिल हुए. इसमें मंगोलिया, म्यांमार, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, लाओ पीडीआर, श्रीलंका, भूटान, कोरिया गणराज्य, नेपाल, जापान और सिंगापुर के राजनयिक मौजूद रहे.

पीएम मोदी ने कहा कि आज एक और महत्वपूर्ण अवसर है, भगवान बुद्ध के तुषिता स्वर्ग से वापस धरती पर आने का. इसलिए, आश्विन पूर्णिमा को आज हमारे भिक्षुगण अपने तीन महीने का 'वर्षावास' भी पूरा करते हैं. आज मुझे भी वर्षावास के उपरांत संघ भिक्षुओं को ‘चीवर दान’ का सौभाग्य मिला है.

पीएम मोदी.

पीएम ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि श्रीलंका में बौद्ध धर्म का संदेश, सबसे पहले भारत से सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा ले कर गए थे. माना जाता है कि आज के ही दिन 'अर्हत महिंदा' ने वापस आकर अपने पिता को बताया था कि श्रीलंका ने बुद्ध का संदेश कितनी ऊर्जा से अंगीकार किया है. इस समाचार ने ये विश्वास बढ़ाया था, कि बुद्ध का संदेश पूरे विश्व के लिए है, बुद्ध का धम्म मानवता के लिए है.

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज जब दुनिया पर्यावरण संरक्षण की बात करती है, क्लाइमेट चेंज की चिंता जाहिर करती है, तो उसके साथ अनेक सवाल उठ खड़े होते हैं. लेकिन, अगर हम बुद्ध के सन्देश को अपना लेते हैं तो 'किसको करना है', इसकी जगह 'क्या करना है', इसका मार्ग अपने आप दिखने लगता है. कहा कि बुद्ध आज भी भारत के संविधान की प्रेरणा हैं, बुद्ध का धम्म-चक्र भारत के तिरंगे पर विराजमान होकर हमें गति दे रहा है. आज भी भारत की संसद में कोई जाता है तो इस मंत्र पर नजर जरूर पड़ती है, 'धर्म चक्र प्रवर्तनाय'.

उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध ने कहा था, 'अप्प दीपो भव'. यानी, अपने दीपक स्वयं बनो. जब व्यक्ति स्वयं प्रकाशित होता है. तभी वह संसार को भी प्रकाश देता है. यही भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा है. यही वो प्रेरणा है जो हमें दुनिया के हर देश की प्रगति में सहभागी बनने की ताकत देती है.

Last Updated : Oct 20, 2021, 2:28 PM IST
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