कुशीनगर: पडरौना के मदरसे में विधिमान्य प्रबंधक या प्रबंध समिति की अनुमति के बिना बर्खास्त शिक्षकों से शिक्षण कार्य कराने और वेतन लेने के मामले में शासन ने शिकंजा कस दिया है. मामले में मदरसे के प्रधानाचार्य समेत चार शिक्षकों से लगभग पौने दो करोड़ रुपए रिकवरी करने के आदेश दिए गए हैं. जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किया गया है.
पडरौना नगर के जमालपुर मोहल्ले में स्थित मदरसा फैजुल उलूम द.त. इस्लामिया के पूर्व प्रधानाचार्य रहमतुल्लाह, सहायक अध्यापक आलिया मोहम्मद नूर उल्लाह, सहायक अध्यापक तानिया मोहम्मद अतहर और लिपिक मोहम्मद रिजवान अंसारी के विरुद्ध चल रही जांच के बाद अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ़ अनुभाग-3 के उपसचिव ने वेतन और एरियर के मद में जारी राशि की रिकवरी के आदेश दिए हैं.
आदेश के क्रम में चारों शिक्षकों पर विधिमान्य प्रबंधक या प्रबंध समिति व सक्षम अधिकारी द्वारा मदरसे में योगदान करने का आरोप लगा है. बताया जा रहा है कि उक्त मामले की शिकायत के क्रम में लंबी जांच चली और प्रक्रिया पूरी होने के बाद शासन ने आदेश जारी किया है. जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी लालमन ने अपने स्तर से बीते 31 मार्च को जारी आदेश में पूरी रकम की रिकवरी करते हुए विभागीय खाते में जमा कराने का आदेश जारी किया था.
इस प्रकरण में मदरसे के प्रधानाचार्य रहमतुल्ला से कुल 60 लाख 24 हजार 780 रुपए, सहायक अध्यापक मोहम्मद नुरुल्लाह से 53 लाख 12 हजार 505 रुपये, सहायक अध्यापक मोहम्मद अतहर से 38 लाख 65 हजार 019 रुपए, लिपिक मोहम्मद रिजवान अंसारी से 25 लाख 42 हजार 281 रुपये का वेतन और एरियर के मध्य पूर्व के दिनों में भुगतान किए गए हैं.
इसकी रिकवरी के आदेश जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने किया है. जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने बताया कि त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया के तहत पद पर काबिज होकर वेतनमान में भुगतान प्राप्त करते हुए चारों कर्मचारियों ने जो रकम वेतन और एरियर के मद में प्राप्त किया है. उसकी रिकवरी का आदेश शासन के निर्देश पर दिया गया है. साथ ही उन सभी को बर्खास्त भी कर दिया गया है.
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