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कुशीनगर : गोवंश आश्रय स्थल की हालत बिगड़ी, कई पशु मरे

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में गोवंश आश्रय स्थल का निर्माण किया गया है. इस गोवंश आश्रय स्थल में लगातार गोवंशों की मौत होती जा रही है. वहीं अब मामला सामने आने के बाद अधिकारी भी अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं.

कई पशु मरे
गोवंश आश्रय स्थल में कई पशु मरे.
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Published : Oct 13, 2020, 10:49 AM IST

कुशीनगर: दुदही क्षेत्र में स्थित पृथ्वीपुर गोवंश आश्रय स्थल पर अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आयी है. लगातार पशुओं के मरने की सूचना के बीच मंगलवार को एक बार फिर चार पशुओं के दम तोड़ने की सूचना मिली है. खास बात यह है कि मरने के कगार पर पहुंचने से पहले ही इन पशुओं के कान पर लगाए गए सरकारी टैग को काट लिया जा रहा है. इसके बाद इन्हें कैम्पस में ही दफना दिया जा रहा है.

दुदही क्षेत्र के पृथ्वीपुर गांव के बाहरी छोर पर वर्ष 2018-19 में मनरेगा योजना से 5 लाख 23 हजार 300 रुपये की लागत से गोवंश आश्रय स्थल का निर्माण हुआ था. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां 25 गोवंशों को रखने और उनके खाने-पीने की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी थी. गोवंशों की देखरेख के लिए दो सफाईकर्मियों को स्थायी तौर पर तैनात किया गया है.

वहीं मंगलवार की सुबह अपने खेतों की ओर निकले क्षेत्रीय किसान दिनेश ने गोवंश आश्रय स्थल से फैल रहे दुर्गंध के बारे में ईटीवी भारत की टीम को बताया. मौके पर पहुंची ईटीवी भारत की टीम से बातचीत के दौरान यहां जुटे अन्य किसानों ने बताया कि कैम्पस में चार पशु मरे पड़े हैं. पहले भी जो पशु मरे उनको अन्दर ही दफना दिया गया है, ऐसे दो दर्जन से अधिक स्थान साफ दिख रहे हैं.

बताया जा रहा है कि पहले भी इस पशु आश्रय स्थल पर पशुओं की मौत होती रही है, लेकिन मृत पशुओं के कान पर लगे सरकारी टैग को काटने के बाद उन्हें अन्दर ही दफना दिया जाता था. किसी दूसरे लावारिश पशु को लाकर उसके कान पर टैग लगा दिया जाता है, ताकि पशुओं की संख्या सरकारी फाइलों के अनुसार बराबर बनी रहे.

दुदही क्षेत्र पंचायत के खण्ड विकास अधिकारी विवेकानंद मिश्र ने बताया कि मामले को वो पशु चिकित्साधिकारी के साथ जाकर स्वयं देखेंगे. वहीं कैम्पस में ही मृत पशुओं को दफनाने की बात पर उन्होंने चुप्पी साध ली. सीडीओ आईएएस अन्नपूर्णा गर्ग ने कहा कि मामले के बारे में वो तत्काल पता करवाएंगी.

कुशीनगर: दुदही क्षेत्र में स्थित पृथ्वीपुर गोवंश आश्रय स्थल पर अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आयी है. लगातार पशुओं के मरने की सूचना के बीच मंगलवार को एक बार फिर चार पशुओं के दम तोड़ने की सूचना मिली है. खास बात यह है कि मरने के कगार पर पहुंचने से पहले ही इन पशुओं के कान पर लगाए गए सरकारी टैग को काट लिया जा रहा है. इसके बाद इन्हें कैम्पस में ही दफना दिया जा रहा है.

दुदही क्षेत्र के पृथ्वीपुर गांव के बाहरी छोर पर वर्ष 2018-19 में मनरेगा योजना से 5 लाख 23 हजार 300 रुपये की लागत से गोवंश आश्रय स्थल का निर्माण हुआ था. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यहां 25 गोवंशों को रखने और उनके खाने-पीने की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी थी. गोवंशों की देखरेख के लिए दो सफाईकर्मियों को स्थायी तौर पर तैनात किया गया है.

वहीं मंगलवार की सुबह अपने खेतों की ओर निकले क्षेत्रीय किसान दिनेश ने गोवंश आश्रय स्थल से फैल रहे दुर्गंध के बारे में ईटीवी भारत की टीम को बताया. मौके पर पहुंची ईटीवी भारत की टीम से बातचीत के दौरान यहां जुटे अन्य किसानों ने बताया कि कैम्पस में चार पशु मरे पड़े हैं. पहले भी जो पशु मरे उनको अन्दर ही दफना दिया गया है, ऐसे दो दर्जन से अधिक स्थान साफ दिख रहे हैं.

बताया जा रहा है कि पहले भी इस पशु आश्रय स्थल पर पशुओं की मौत होती रही है, लेकिन मृत पशुओं के कान पर लगे सरकारी टैग को काटने के बाद उन्हें अन्दर ही दफना दिया जाता था. किसी दूसरे लावारिश पशु को लाकर उसके कान पर टैग लगा दिया जाता है, ताकि पशुओं की संख्या सरकारी फाइलों के अनुसार बराबर बनी रहे.

दुदही क्षेत्र पंचायत के खण्ड विकास अधिकारी विवेकानंद मिश्र ने बताया कि मामले को वो पशु चिकित्साधिकारी के साथ जाकर स्वयं देखेंगे. वहीं कैम्पस में ही मृत पशुओं को दफनाने की बात पर उन्होंने चुप्पी साध ली. सीडीओ आईएएस अन्नपूर्णा गर्ग ने कहा कि मामले के बारे में वो तत्काल पता करवाएंगी.

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