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क्या है UP-बिहार के बीच भूमि विवाद का कारण, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट - कुशीनगर समाचार

कुशीनगर(उत्तर प्रदेश) और बिहार में प्रवाहित बड़ी नारायणी नदी (गण्डक नदी) क्षेत्र का डूब इलाका यूपी-बिहार के बीच विवाद का कारण बना हुआ है. नदी में आई बाढ़ के दौरान यूपी से बिहार सीमा क्षेत्र में जा बसे लोगों को (कुशीनगर यूपी) बेदखल कर उनकी जमीन हथियाने की कोशिश जारी है. आखिर विवाद का असली कारण क्या है. इस पर ETV भारत की टीम ने दोनों पक्षों से बात कर वजह जानी.

भूमि कब्जा पैमाइश को लेकर यूपी-बिहार के बीच विवाद.
भूमि कब्जा पैमाइश को लेकर यूपी-बिहार के बीच विवाद.
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Published : Apr 5, 2021, 11:49 AM IST

कुशीनगर: बड़ी गण्डक नदी (नारायणी नदी) क्षेत्र के रेता इलाके में जमीन पैमाइश के दौरान हुई मारपीट इन दिनों चर्चा में है. इस विवाद को यूपी और बिहार के बीच का विवाद बताया जा रहा है. इस प्रकरण में यूपी पुलिस ने उत्तर प्रदेश के 17 और बिहार के 12 लोगों समेत कुल 29 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है. इस विवाद के पीछे का कारण क्या है? इस पर सवालिया निशान लग रहे हैं.

भूमि कब्जा पैमाइश को लेकर विवाद
जिले और राज्य की सीमाओं के आसपास की भूमि पर कब्जे और पैमाइश को लेकर कई बार विवाद हुए है. मीडिया रिपोर्ट्स में बड़ी घटना होने की आशंका जताई जाती रही है. आखिर विवाद उत्पन्न होने के कारण क्या हैं, इन्हीं कारणों की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम रेता क्षेत्र पहुंची. इस दौरान हाल ही में रेता क्षेत्र में घटित हुई मारपीट की घटना के दोनों पक्षों से बात की गई. आखिर बिहार के लोगों की जमीन यूपी में कैसे आई और जो यूपी के लोग हैं उनकी जमीनों पर पैमाइश के दौरान मारपीट क्यों हुई.. पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट.

बाढ़ आपदा में बिहार गए लोग नहीं हैं फर्जी
सबसे पहले ईटीवी भारत की टीम बड़ी गंडक नदी के दूसरे छोर पर स्थित सिरसिया (बिहार) गांव पहुंची. यहां के लोगों ने यूपी के विंध्याचलपुर, सूरजपुर, शाहपुर और मथुरा छपरा जैसे इलाकों में जमीन होने का दावा और कब्जा किया है. वर्तमान में बिहार में रह रहे दयानन्द चौधरी (बिहार निवासी) ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी राशनकार्ड और खेत के इंतखाप दिखाते हुए बताया कि हम सभी उत्तर प्रदेश के ही पूर्व निवासी हैं. उन्होंने बताया कि रजहवा रेत क्षेत्र हुआ करता था, जो विंध्याचलपुर गांव क्षेत्र में आता था. नदी के कटान में घर समा गए और खेतों में रेती हो गई. उस समय हम बिहार आकर बस गए. रेतीली जमीन पर खेतों का चिन्हांकन कर क्षेत्रफल और कागजों के अनुसार आपस में बंटवारा करके दोबारा खेती शुरू की, लेकिन अब हमें बिहार का निवासी बताकर यूपी क्षेत्र से बेदखल करने की कोशिश हो रही है.

इसे भी पढ़ें-कुशीनगर: नारायणी नदी के दबाव से हो रहे तेज कटान, NDRF पहुंची बाढ़ प्रभावी क्षेत्र

लोगों को नहीं पता कहा हैं उनकी जमीन
सिरसिया (बिहार) में मिले उत्तर प्रदेश के हरिदेव यादव ने बताया कि जिन लोगों की जमीनें आज नारायणी नदी के रेता में हैं, वे चाहे उत्तर प्रदेश के हो या बिहार के, सभी पूर्वज वहीं रहा करते थे, लेकिन बाढ़ आपदा के दौरान कुछ लोग देवरिया (उत्तर प्रदेश) की तरफ चले गए. तो कुछ यूपी छोड़कर बिहार की ओर चले आए. जब नदी ने जमीन मुक्त की तो कुछ लोग वापस आ गए और उस जमीन को खेती युक्त बनाकर जुताई-बुआई करने लगे, जबकि उस दायरे में सभी की खेती है. लेकिन उन लोगों के ये नहीं पता है कि जमीन का नम्बर कहां हैं वे किसका खेत और कितने बड़े भाग को जोत रहे हैं. कुछ माफिया की ये मंशा हैं कि वहां से लोगों को बिहार का बताकर खदेड़ दिया जाए और उस जमीन पर कब्जा कर अपनी बना लें.

इसे भी पढ़ें-कुशीनगर: एनजीटी के निर्देशों का उल्लंघन कर गण्डक नदी से हो रहा बालू खनन

यूपी-बिहार का सीमांकन ठीक करने की जरूरत
उत्तर प्रदेश के निवासी और विवाद में पीड़ित पक्ष के प्रेमचन्द कुशवाहा (कुशीनगर निवासी) ने ETV भारत को बताया कि ये विवाद यूपी और बिहार के राजस्व विभाग से संबंधित है. नदी के कटान के बाद सीमांकन हुआ है. बिहार के लोगों का मानना है कि जो 51 नम्बर का सीमांकन पिलर है, वो 50 जरीब (खेत पैमाइश की जंजीर) बिहार से ज्यादा यूपी में है. यही कारण हैं कि जमीन बंटवारे में गड़बड़ी हो रही है. राजस्व विभाग की लापरवाही से मामला उलझा हुआ है. दोनों जगह के राजस्व विभाग के लोग अगर सीमांकन सही कर दें तो विवाद समाप्त हो जाएगा.

इसे भी पढे़ं-विलुप्त होती नून नदी के संरक्षण का काम शुरू, डीएम और विधायक ने किया श्रमदान


लेखपालों और प्रधानों की मनमानी है लोगों की परेशानी
जगदीश साहनी (बिहार निवासी) ने मारपीट का पूरा कारण और घटनाक्रम बताया. बताया कि तीन गांव विंध्याचलपुर शाहपुर और सूरजपुर की सीमाएं एक-दूसरे से लगी हैं, जिसकी सीमा ग्राम प्रधान और लेखपाल की मिलीभगत से अक्सर बदल दी जाती है. इससे हमारे खेतों की सीमाएं बदल जाती हैं. इस बार फिर लेखपाल ने हमारी जमीन की सीमाओं में फेबदल कर दिया है. इसके कारण हमारी बोई हुई फसल को दूसरे के खेत में होना बताया गया. हालांकि, हम लोगों ने मुआवजे पर समझौता कर लिया है. इसके बाद भी भूमि-स्वामी ने ट्रैक्टर से रौंदकर फसलें नष्ट कर दीं. इसके बाद दोनों ओर से हाथापाई हुई थी. हम लोगों का जन्म यूपी में ही हुआ है और हमारे पूर्वज भी यूपी के रहने वाले थे. अब हम लोगों को बिहार का बताकर एक तरफा मुकदमा कर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार से गुजारिश है कि निष्पक्ष और सही कार्रवाई करे और सही लोगों को न्याय दे.

कुशीनगर: बड़ी गण्डक नदी (नारायणी नदी) क्षेत्र के रेता इलाके में जमीन पैमाइश के दौरान हुई मारपीट इन दिनों चर्चा में है. इस विवाद को यूपी और बिहार के बीच का विवाद बताया जा रहा है. इस प्रकरण में यूपी पुलिस ने उत्तर प्रदेश के 17 और बिहार के 12 लोगों समेत कुल 29 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है. इस विवाद के पीछे का कारण क्या है? इस पर सवालिया निशान लग रहे हैं.

भूमि कब्जा पैमाइश को लेकर विवाद
जिले और राज्य की सीमाओं के आसपास की भूमि पर कब्जे और पैमाइश को लेकर कई बार विवाद हुए है. मीडिया रिपोर्ट्स में बड़ी घटना होने की आशंका जताई जाती रही है. आखिर विवाद उत्पन्न होने के कारण क्या हैं, इन्हीं कारणों की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम रेता क्षेत्र पहुंची. इस दौरान हाल ही में रेता क्षेत्र में घटित हुई मारपीट की घटना के दोनों पक्षों से बात की गई. आखिर बिहार के लोगों की जमीन यूपी में कैसे आई और जो यूपी के लोग हैं उनकी जमीनों पर पैमाइश के दौरान मारपीट क्यों हुई.. पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट.

बाढ़ आपदा में बिहार गए लोग नहीं हैं फर्जी
सबसे पहले ईटीवी भारत की टीम बड़ी गंडक नदी के दूसरे छोर पर स्थित सिरसिया (बिहार) गांव पहुंची. यहां के लोगों ने यूपी के विंध्याचलपुर, सूरजपुर, शाहपुर और मथुरा छपरा जैसे इलाकों में जमीन होने का दावा और कब्जा किया है. वर्तमान में बिहार में रह रहे दयानन्द चौधरी (बिहार निवासी) ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी राशनकार्ड और खेत के इंतखाप दिखाते हुए बताया कि हम सभी उत्तर प्रदेश के ही पूर्व निवासी हैं. उन्होंने बताया कि रजहवा रेत क्षेत्र हुआ करता था, जो विंध्याचलपुर गांव क्षेत्र में आता था. नदी के कटान में घर समा गए और खेतों में रेती हो गई. उस समय हम बिहार आकर बस गए. रेतीली जमीन पर खेतों का चिन्हांकन कर क्षेत्रफल और कागजों के अनुसार आपस में बंटवारा करके दोबारा खेती शुरू की, लेकिन अब हमें बिहार का निवासी बताकर यूपी क्षेत्र से बेदखल करने की कोशिश हो रही है.

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लोगों को नहीं पता कहा हैं उनकी जमीन
सिरसिया (बिहार) में मिले उत्तर प्रदेश के हरिदेव यादव ने बताया कि जिन लोगों की जमीनें आज नारायणी नदी के रेता में हैं, वे चाहे उत्तर प्रदेश के हो या बिहार के, सभी पूर्वज वहीं रहा करते थे, लेकिन बाढ़ आपदा के दौरान कुछ लोग देवरिया (उत्तर प्रदेश) की तरफ चले गए. तो कुछ यूपी छोड़कर बिहार की ओर चले आए. जब नदी ने जमीन मुक्त की तो कुछ लोग वापस आ गए और उस जमीन को खेती युक्त बनाकर जुताई-बुआई करने लगे, जबकि उस दायरे में सभी की खेती है. लेकिन उन लोगों के ये नहीं पता है कि जमीन का नम्बर कहां हैं वे किसका खेत और कितने बड़े भाग को जोत रहे हैं. कुछ माफिया की ये मंशा हैं कि वहां से लोगों को बिहार का बताकर खदेड़ दिया जाए और उस जमीन पर कब्जा कर अपनी बना लें.

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यूपी-बिहार का सीमांकन ठीक करने की जरूरत
उत्तर प्रदेश के निवासी और विवाद में पीड़ित पक्ष के प्रेमचन्द कुशवाहा (कुशीनगर निवासी) ने ETV भारत को बताया कि ये विवाद यूपी और बिहार के राजस्व विभाग से संबंधित है. नदी के कटान के बाद सीमांकन हुआ है. बिहार के लोगों का मानना है कि जो 51 नम्बर का सीमांकन पिलर है, वो 50 जरीब (खेत पैमाइश की जंजीर) बिहार से ज्यादा यूपी में है. यही कारण हैं कि जमीन बंटवारे में गड़बड़ी हो रही है. राजस्व विभाग की लापरवाही से मामला उलझा हुआ है. दोनों जगह के राजस्व विभाग के लोग अगर सीमांकन सही कर दें तो विवाद समाप्त हो जाएगा.

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लेखपालों और प्रधानों की मनमानी है लोगों की परेशानी
जगदीश साहनी (बिहार निवासी) ने मारपीट का पूरा कारण और घटनाक्रम बताया. बताया कि तीन गांव विंध्याचलपुर शाहपुर और सूरजपुर की सीमाएं एक-दूसरे से लगी हैं, जिसकी सीमा ग्राम प्रधान और लेखपाल की मिलीभगत से अक्सर बदल दी जाती है. इससे हमारे खेतों की सीमाएं बदल जाती हैं. इस बार फिर लेखपाल ने हमारी जमीन की सीमाओं में फेबदल कर दिया है. इसके कारण हमारी बोई हुई फसल को दूसरे के खेत में होना बताया गया. हालांकि, हम लोगों ने मुआवजे पर समझौता कर लिया है. इसके बाद भी भूमि-स्वामी ने ट्रैक्टर से रौंदकर फसलें नष्ट कर दीं. इसके बाद दोनों ओर से हाथापाई हुई थी. हम लोगों का जन्म यूपी में ही हुआ है और हमारे पूर्वज भी यूपी के रहने वाले थे. अब हम लोगों को बिहार का बताकर एक तरफा मुकदमा कर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार से गुजारिश है कि निष्पक्ष और सही कार्रवाई करे और सही लोगों को न्याय दे.

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