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कुशीनगर: छितौनी-तमकुही रेल लाइन पर 13 साल से ग्रहण

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में पनियहवा से तमकुही को जोड़ने वाली रेल परियोजना 13 साल से अधर में ही लटकी है. 2007 में घोषणा होने के बाद इस परियोजना में कुछ काम शुरू हुआ था जोकि बाद में बंद हो गया. रेल परियोजना पूरी न होने से इस क्षेत्र का भी विकास रुका हुआ है.

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Published : Nov 1, 2020, 11:46 AM IST

कुशीनगर रेलवे स्टेशन.
कुशीनगर रेलवे स्टेशन.

कुशीनगरः 13 साल पहले घोषित जिले के पनियहवा से तमकुही को जोड़ने वाली रेल परियोजना अधर में लटकी पड़ी है. तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा 20 फरवरी 2007 को जिले के छितौनी इंटर कॉलेज में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में इस परियोजना का शिलान्यास किया गया था. 62.5 किमी. लम्बी इस परियोजना का कुछ काम भी शुरू हुआ लेकिन फिलहाल जमीन पर कुछ होता नही दिख रहा है.

वर्ष 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने कुशीनगर के छितौनी कस्बे में रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृत छितौनी-तमकुहीरोड रेल मार्ग की इस परियोजना का जब शिलान्यास किया था. इस दौरान विभाग ने बताया था कि पनियहवा से छितौनी होते हुए रेल लाइन नारायणी नदी के किनारे होते हुए बिहार प्रांत के मधुबनी, धनहा, खैरा टोला होकर गुजरेगी. इसके बाद फिर कुशीनगर के तमकुहीरोड रेलवे स्टेशन पर ये कप्तानगंज-थावे रेल लाइन में मिल जाएगी.

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प्रस्तावित रेल लाइन परियोजना का नक्शा.
तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने किया था शुरुआत
रेल परियोजना के प्रथम सर्वेक्षण कार्य का शिलान्यास तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा 20 फरवरी 2007 को छितौनी कस्बे के हायर सेकेंड्री स्कूल में किया गया था. शुरू में यह परियोजना 58.7 किमी लंबी थी जो बाद में बढ़ाकर 62.5 किमी कर दिया गया. इस परियोजना में 37.7 लाख घन मीटर मिट्टी के कार्य के साथ-साथ 10 बड़े पुलों एवं 47 छोटे पुलों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित था. ट्रैक लिंकिंग कार्य के लिए 6500 टन रेलों व 1 लाख सिमेंटेड स्लीपरों का प्रयोग करने की योजना बनी थी. परियोजना में पनियहवा से 3.35 किमी पर छितौनी, 15.5 किमी पर जटहा, 28.7 किमी पर मधुबनी, 35 किमी पर धनहा, 38 किमी पर खैरा टोला व 49.7 किमी पर पिपराही स्टेशन व हाल्ट का निर्माण की रूपरेखा बनाने के साथ ही 62.5 किमी पर अंतिम तमकुहीरोड स्टेशन कल्ड को जंक्शन बनाया जाना प्रस्तावित था.

नारायणी के बाढ़ से होता बचाव
रेल लाइन के निर्माण से नारायणी नदी के इस पार स्थित बिहार प्रांत के निवासियों के लिए बड़ी राहत होती. उन्हें जहां आवागमन की अच्छी सुविधा सुलभ हो जाती, वहीं रेल लाइन के निर्माण के बाद हर साल आने वाली बाढ़ से भी स्थायी तौर पर बचाव होता. रेल लाइन स्थायी तौर पर एक मजबूत बांध के रूप मे भी काम करती.

उम्मीदों पर फिरा पानी

तमकुही रेल परियोजना शिलान्यास के बाद इस पिछड़े इलाके में भी विकास की उम्मीदें बढ़ गई थीं. यूपी से बिहार को जोड़ने वाली इस परियोजना पर अगर तेजी से काम कराया गया होता तो आज इस मार्ग से रेलवे की मुनाफा तो होता. इसके साथ ही छितौनी, पनियहवा जैसे छोटे जगहों का भी विकास हो गया होता.

-विश्वनाथ यादव, पूर्व प्रधान- छितौनी

इस रेल परियोजना के पूरा होने से यूपी के साथ ही बिहार के एक बड़े हिस्से के उन लोगों तक विकास की रोशनी पहुंचती. जिन्होंने बाढ़ के अलावा कुछ देखा ही नहीं है.
-उर्मिला देवी, प्रधान-बुलहवा

एक लम्बी लड़ाई के बाद किसी तरह सर्वे शुरू हुआ था लेकिन सब कुछ होने के बाद मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया. परियोजना को जमीन पर उतारने के बाद यूपी -बिहार के लाखों लोग लाभान्वित होते.
-श्याम सुंदर विश्वकर्मा, अध्यक्ष-तमकुहीरोड नगर पंचायत

कुशीनगरः 13 साल पहले घोषित जिले के पनियहवा से तमकुही को जोड़ने वाली रेल परियोजना अधर में लटकी पड़ी है. तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा 20 फरवरी 2007 को जिले के छितौनी इंटर कॉलेज में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में इस परियोजना का शिलान्यास किया गया था. 62.5 किमी. लम्बी इस परियोजना का कुछ काम भी शुरू हुआ लेकिन फिलहाल जमीन पर कुछ होता नही दिख रहा है.

वर्ष 2007 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने कुशीनगर के छितौनी कस्बे में रेलवे बोर्ड द्वारा स्वीकृत छितौनी-तमकुहीरोड रेल मार्ग की इस परियोजना का जब शिलान्यास किया था. इस दौरान विभाग ने बताया था कि पनियहवा से छितौनी होते हुए रेल लाइन नारायणी नदी के किनारे होते हुए बिहार प्रांत के मधुबनी, धनहा, खैरा टोला होकर गुजरेगी. इसके बाद फिर कुशीनगर के तमकुहीरोड रेलवे स्टेशन पर ये कप्तानगंज-थावे रेल लाइन में मिल जाएगी.

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प्रस्तावित रेल लाइन परियोजना का नक्शा.
तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने किया था शुरुआत
रेल परियोजना के प्रथम सर्वेक्षण कार्य का शिलान्यास तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा 20 फरवरी 2007 को छितौनी कस्बे के हायर सेकेंड्री स्कूल में किया गया था. शुरू में यह परियोजना 58.7 किमी लंबी थी जो बाद में बढ़ाकर 62.5 किमी कर दिया गया. इस परियोजना में 37.7 लाख घन मीटर मिट्टी के कार्य के साथ-साथ 10 बड़े पुलों एवं 47 छोटे पुलों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित था. ट्रैक लिंकिंग कार्य के लिए 6500 टन रेलों व 1 लाख सिमेंटेड स्लीपरों का प्रयोग करने की योजना बनी थी. परियोजना में पनियहवा से 3.35 किमी पर छितौनी, 15.5 किमी पर जटहा, 28.7 किमी पर मधुबनी, 35 किमी पर धनहा, 38 किमी पर खैरा टोला व 49.7 किमी पर पिपराही स्टेशन व हाल्ट का निर्माण की रूपरेखा बनाने के साथ ही 62.5 किमी पर अंतिम तमकुहीरोड स्टेशन कल्ड को जंक्शन बनाया जाना प्रस्तावित था.

नारायणी के बाढ़ से होता बचाव
रेल लाइन के निर्माण से नारायणी नदी के इस पार स्थित बिहार प्रांत के निवासियों के लिए बड़ी राहत होती. उन्हें जहां आवागमन की अच्छी सुविधा सुलभ हो जाती, वहीं रेल लाइन के निर्माण के बाद हर साल आने वाली बाढ़ से भी स्थायी तौर पर बचाव होता. रेल लाइन स्थायी तौर पर एक मजबूत बांध के रूप मे भी काम करती.

उम्मीदों पर फिरा पानी

तमकुही रेल परियोजना शिलान्यास के बाद इस पिछड़े इलाके में भी विकास की उम्मीदें बढ़ गई थीं. यूपी से बिहार को जोड़ने वाली इस परियोजना पर अगर तेजी से काम कराया गया होता तो आज इस मार्ग से रेलवे की मुनाफा तो होता. इसके साथ ही छितौनी, पनियहवा जैसे छोटे जगहों का भी विकास हो गया होता.

-विश्वनाथ यादव, पूर्व प्रधान- छितौनी

इस रेल परियोजना के पूरा होने से यूपी के साथ ही बिहार के एक बड़े हिस्से के उन लोगों तक विकास की रोशनी पहुंचती. जिन्होंने बाढ़ के अलावा कुछ देखा ही नहीं है.
-उर्मिला देवी, प्रधान-बुलहवा

एक लम्बी लड़ाई के बाद किसी तरह सर्वे शुरू हुआ था लेकिन सब कुछ होने के बाद मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया. परियोजना को जमीन पर उतारने के बाद यूपी -बिहार के लाखों लोग लाभान्वित होते.
-श्याम सुंदर विश्वकर्मा, अध्यक्ष-तमकुहीरोड नगर पंचायत

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