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कुशीनगर में इस वजह से धूमधाम से मनाई जाती बुद्ध पूर्णिमा, ये है महत्व

भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में उनके पावन प्राकट्य पर्व (बुद्ध जयंती या बुद्ध पूर्णिमा) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी हो रही है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा का इतना महत्व क्यों है और इसे लेकर क्या मान्यताएं हैं और क्या आयोजन होते हैं?

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कुशीनगर में चल रही बुद्ध पूर्णिमा की तैयारी.
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Published : May 15, 2022, 3:59 PM IST

Updated : May 15, 2022, 4:48 PM IST

कुशीनगर : 16 मई को पीएम नरेंद्र मोदी भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर आएंगे. उनके आगमन के चलते एक बार फिर से कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा का आयोजन चर्चा में है. जिले में बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध धर्म के अनुयायी भगवान बुद्ध के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं. जगह-जगह प्रकाशोत्सव किया जाता है.


बुद्ध पूर्णिमा के दिन कुशीनगर के सभी बौद्ध विहारों से जुलूस निकलता था. इसकी शुरूआत सन् 1919 में बौद्ध भिक्षु चन्द्रमणि ने की थी. कोरोना काल में यह जुलूस रोक दिया गया था. यह जुलूस कई इलाकों में घूमता था. इसका समापन म्यांमार बुद्ध विहार में होता था. इसके बाद भगवान बुद्ध के उपदेशों को लेकर विस्तार से चर्चा की जाती थी. इस बार पीएम मोदी के आगमन के चलते इस जुलूस को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

कुशीनगर में चल रही बुद्ध पूर्णिमा की तैयारी.

पंचांग के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा का पर्व हर साल वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं. दरअसल, वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध के जन्म की बात कही जाती हैं. इतना ही नही मान्यता यह भी हैं कि इसी तिथि में उन्हें कठिन साधना के बाद बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी. लोक मान्यताओं के अनुसार भगवान बुद्ध भगवान श्री विष्णु के अंतिम और 9वें अवतार थे. इस बार बुद्ध पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. चंद्रगहण के बाद स्नान और दान का महत्व है.
बौद्ध भिक्षु भदंत मोगल्ली तिस्स ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा इस बार 2 दिन यानी 15 और 16 मई दोनों दिन है. ऐसे में दोनों दिन कुशीनगर के मुख्य मन्दिर में बौद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा 15 मई को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से शुरू हो रही है जो अगले दिन 16 मई को 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. चूंकि 16 तारीख को पूर्णिमा की उदया तिथि है इसलिए बुद्ध पूर्णिमा 16 मई को मनाई जाएगी.

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कुशीनगर : 16 मई को पीएम नरेंद्र मोदी भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर आएंगे. उनके आगमन के चलते एक बार फिर से कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा का आयोजन चर्चा में है. जिले में बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध धर्म के अनुयायी भगवान बुद्ध के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं. जगह-जगह प्रकाशोत्सव किया जाता है.


बुद्ध पूर्णिमा के दिन कुशीनगर के सभी बौद्ध विहारों से जुलूस निकलता था. इसकी शुरूआत सन् 1919 में बौद्ध भिक्षु चन्द्रमणि ने की थी. कोरोना काल में यह जुलूस रोक दिया गया था. यह जुलूस कई इलाकों में घूमता था. इसका समापन म्यांमार बुद्ध विहार में होता था. इसके बाद भगवान बुद्ध के उपदेशों को लेकर विस्तार से चर्चा की जाती थी. इस बार पीएम मोदी के आगमन के चलते इस जुलूस को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

कुशीनगर में चल रही बुद्ध पूर्णिमा की तैयारी.

पंचांग के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा का पर्व हर साल वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं. दरअसल, वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध के जन्म की बात कही जाती हैं. इतना ही नही मान्यता यह भी हैं कि इसी तिथि में उन्हें कठिन साधना के बाद बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी. लोक मान्यताओं के अनुसार भगवान बुद्ध भगवान श्री विष्णु के अंतिम और 9वें अवतार थे. इस बार बुद्ध पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. चंद्रगहण के बाद स्नान और दान का महत्व है.
बौद्ध भिक्षु भदंत मोगल्ली तिस्स ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा इस बार 2 दिन यानी 15 और 16 मई दोनों दिन है. ऐसे में दोनों दिन कुशीनगर के मुख्य मन्दिर में बौद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा 15 मई को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से शुरू हो रही है जो अगले दिन 16 मई को 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. चूंकि 16 तारीख को पूर्णिमा की उदया तिथि है इसलिए बुद्ध पूर्णिमा 16 मई को मनाई जाएगी.

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Last Updated : May 15, 2022, 4:48 PM IST
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