कुशीनगर: योगी सरकार पार्ट-1 में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के पीआरओ बनकर काम करने के साथ शिक्षक का दोहरा लाभ उठाते हुए सरकार को चूना लगाने के खेल का खुलासा बीते दिनों हुआ था. मास्टर साहब न सिर्फ हर महीने अपने मास्टरगिरी का वेतन उठाते थे, बल्कि मंत्री के बतौर पीआरओ की भी सैलरी लेते थे. चर्चा है कि इनके इस खेल में विभागीय अधिकारियों की मजबूत साठगांठ थी. मीडिया के खुलासे के बाद पीआरओ रहे शिक्षक को निलंबित किया गया है.
जिले के कसया क्षेत्र के खेसारी गिदहा निवासी मनोज कुमार चौधरी उर्फ मनोज प्रसाद वर्तमान में समाजवादी पार्टी के खेमे में शामिल थे. उन्होंने पडरौना के पूर्व विधायक व पूर्ववर्ती योगी सरकार में श्रममंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के बतौर पीआरओ के रुप में काम किया था. मंत्री के साथ ही उनके हर दौरे में मनोज सभी महत्वपूर्ण काम देखा करता था.
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर मीडिया ने खुलासा किया था कि मनोज प्रसाद जब मंत्री के बतौर पीआरओ बनकर लखनऊ में रहा करते थे तो उस समय उनकी सेवा विद्यालय में कौन दे रहा था? इसके अलावा किस विभागीय अधिकारी के आदेश पर उक्त आरोपी अध्यापक की तनख्वाह जारी की जा रही थी?
मनोज बतौर पीआरओ की भी सेलरी उठा रहे थे. मामले में रोचक मोड़ तब आया जब भाजपा पिछड़ा मोर्चा के जिलाध्यक्ष दिनेश गुप्ता ने इस मामले में प्राप्त साक्ष्यों के साथ जिलाधिकारी को पत्र देकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की.
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प्राप्त सूचना के अनुसार जिला विद्यालय निरीक्षक ने खंड शिक्षा अधिकारी दुदही की एक रिपोर्ट के आधार पर मंत्री के पीआरओ रहे शिक्षक मनोज प्रसाद को निलंबित किए जाने का आदेश जारी किया है. साथ ही खंड शिक्षा अधिकारी तमकुही को जांच अधिकारी नामित किया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि मंत्री के पीआरओ बनकर विद्यालय में मौजूद न रहने वाले शिक्षक मनोज प्रसाद को सैलरी देने वाले अधिकारियों को इस जांच में शामिल किया जायेगा या नही?
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