कौशांबी: ग्रामीणों ने बिजली के खंभों पर बीजेपी सांसद विधायक और नेताओं की गांव में नो एंट्री के पोस्टर लगा रखे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है. गांव में बस बजबजाती नालियां और सड़कें इस बात की गवाही दे रहे हैं कि गांव में का विकास नहीं हुआ. इस गांव को नगर पालिका में शामिल हुए 4 साल हो चुके हैं.
कौशांबी जिले के सिराथू विधानसभा में पहुंची ईटीवी भारत की टीम डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशांबी जिले की सिराथू विधानसभा का यह चमन्धा गांव है. इस गांव को भाजपा की सरकार बनने के बाद भरवारी नगर पालिका में शामिल किया गया था. लोगों को उम्मीद थी कि गांव के नगर पालिका में शामिल होने के बाद विकास होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लोगों की उम्मीदें और बढ़ गयीं, जब गांव का नाम चमन्धा से बदल कर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के नाम पर 'केशवनगर' रखा गया. लेकिन साढ़े 4 साल बीत जाने के बावजूद भी आज तक गांव में न तो नालियां बनीं और न तो सड़कें.
गांव में लोगों ने लगाए बीजेपी के विरोध में पोस्टर गांव में कोई भी विकास कार्य नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए गांव में बीजेपी नेताओं के प्रवेश पर रोक लगा दी है. उनका कहना है कि गांव में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ. जब तक गांव में कोई विकास कार्य नहीं होता है, तब तक वह किसी भी बीजेपी नेता को गांव में प्रवेश नहीं करने देंगे.
केशवनगर गांव में अव्यवस्थाओं से लोग परेशान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सिराथू विधानसभा से पहली बार 2012 में विधायक बने थे. जब उन्होंने चुनाव लड़ा था तो ग्रामीणों से गांव का पूरा विकास करने का वादा किया था. लेकिन यह वादा उनके डिप्टी सीएम बनने के साढ़े 4 साल पूरे हो जाने के बाद भी पूरा नहीं हुआ. यही कारण है कि केशव नगर में अब बीजेपी नेताओं के प्रवेश पर ग्रामीणों ने रोक लगा दी है. ईटीवी भारत की टीम ने लोगों से परेशानी जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि उनको हर स्तर पर केवल निराशा ही हाथ लगी है.
केशवनगर गांव में अव्यवस्थाओं से लोग परेशान ये भी पढ़ें- बहराइच में मृतक किसान के परिवार से मिले AAP नेता संजय सिंह, केजरीवाल ने दिया हर मदद का भरोसा
चमन्धा (केशव नगर) में बीजेपी नेताओं के प्रवेश पर रोक लगाने के मामले में जिले के कोई भी अधिकारी या बीजेपी के नेता कुछ भी बोलने से साफ कतरा रहे हैं. बीजेपी विधायक सिराथू और चायल ने इसे सपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं की चाल बताया.