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मोबाइल टॉवर चोरी मामले में खुद घिरी कंपनी, दर्ज कराई थी झूठी रिपोर्ट, अब पुलिस करेगी कार्रवाई

कौशांबी में मोबाइल टॉवर चोरी (mobile tower theft) की घटना पुलिस की जांच में झूठी निकली है. पुलिस का कहना है कि इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 1, 2023, 10:14 AM IST

Updated : Dec 1, 2023, 5:13 PM IST

कौशांबी में मोबाइल टॉवर चोरी की घटना झूठी निकली.

कौशांबी : जिले में मोबाइल टॉवर चोरी का मामला झूठा निकला है. पुलिस का कहना है कि जमीन मालिक से विवाद के बाद टॉवर हटा लिया गया था. इसकी रिसीविंग भी दी गई थी. इसके बाद मार्च 23 में टॉवर चोरी की ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करवा दी गई. पुलिस अधीक्षक का कहना है कि इस मामले में चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाने वालों के खिलाफ 182 की कार्रवाई की जा रही है. क्योंकि झूठा मुकदमा लिखवाया गया था.

टॉवर चोरी की दर्ज कराई गई थी रिपोर्ट

मामला संदीपन घाट थाना क्षेत्र के उजीहिनी गांव का है, जहां उबैद उल्ला की जमीन पर मोबाइल टॉवर लगाया गया था. प्रतापगढ़ के रानीगंज थाना के रस्तीपुर के रहने वाले राजेश यादव GTL इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी में बतौर टेक्निशियन तैनात हैं. राजेश ने बीती 31 मार्च को विजिट किया तो उनको जमीन पर लगा टॉवर का पूरा स्ट्रक्चर व सेटअप गायब मिला. जमीन के मालिक से पूछताछ करने पर उन्होंने मामले में जानकारी से साफ इंकार कर दिया. इसके बाद कंपनी के इंजीनियर ने चोरी की घटना को लेकर थाना पुलिस को तहरीर दी. बताया जा रहा है कि कंपनी के कौशाम्बी के अलग-अलग क्षेत्रों मे 18 से अधिक टॉवर लगे हैं. राजेश यादव के मुताबिक उनकी कंपनी ने जनपद मे अलग अलग स्थानो पर 16 मोबाइल टॉवर निजी कंपनियों के मोबाइल सिग्नल फ्रिक्वेंसी के लिए लगाए गए थे. राजेश ने बताया था कि एक टॉवर व पूरे सेटअप की कीमत करीब 8,52,025 रुपये एवं WDV (सेटअप) की कीमत 4,26,818 रुपये आती है. राजेश के मुताबिक कार्यवाही होने में 9 माह का समय लग गया.

पुलिस की जांच में हुआ खुलासा

पुलिस ने मुकदमे की जांच शुरू की तो चौंकाने वाला खुलासा. पुलिस के मुताबिक टॉवर लगाने वाली कंपनी ने 2010 में जमीन मालिक उबैद उल्ला के साथ 10 साल का कांट्रैक्ट साइन करने के बाद टॉवर लगवाया था. 10 साल पूरे हो जाने के बाद कंपनी पहले से कम रेट देकर टॉवर उसी स्थान पर लगाना चाहती थी. लेकिन जमीन मालिक ने इससे इनकार कर दिया और किराए की धनराशि बढ़ाने की बात कही. इसके बाद कंपनी के कर्मचारियों ने जनवरी 2023 में लिखा पड़ी कर टॉवर वहां से खुलवा लिया. बाद में 31 मार्च की घटना दिखाकर ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कर दिया. पुलिस ने इस मामले में जमीन मालिक से टॉवर खुलवाते समय कंपनी द्वारा दिए गए कागजात को लेकर 182 की कार्रवाई शुरू कर दी है.

पुलिस ने कहा-झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई

पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक, कंपनी का लैंड मालिक से विवाद था. जनवरी 2023 मे रिसीविंग देते हुए टॉवर और सभी सामान ले गए थे और उसके बाद ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करा दी. जिसमें मार्च 2023 की घटना दिखाई गई है. यह पूरी तरीके से झूठी है. विवेचना करके जो भी सही तथ्य हैं,उन्हें सामने लाया जाएगा. आगे जिन लोगों ने झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है, उनके खिलाफ 182 की कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ेंः एक साल तक मां के शव संग रहने वाली दोनों बेटियां अपने ही घर में रहेंगी, नाना संभालेंगे जिम्मा, बेटी के कंकाल का करेंगे अंतिम संस्कार

ये भी पढेंः यूपी में लग सकता है बिजली का झटका! नियामक आयोग में रिपोर्ट दाखिल, दरें बढ़ाने की तैयारी में कंपनियां

कौशांबी में मोबाइल टॉवर चोरी की घटना झूठी निकली.

कौशांबी : जिले में मोबाइल टॉवर चोरी का मामला झूठा निकला है. पुलिस का कहना है कि जमीन मालिक से विवाद के बाद टॉवर हटा लिया गया था. इसकी रिसीविंग भी दी गई थी. इसके बाद मार्च 23 में टॉवर चोरी की ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करवा दी गई. पुलिस अधीक्षक का कहना है कि इस मामले में चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाने वालों के खिलाफ 182 की कार्रवाई की जा रही है. क्योंकि झूठा मुकदमा लिखवाया गया था.

टॉवर चोरी की दर्ज कराई गई थी रिपोर्ट

मामला संदीपन घाट थाना क्षेत्र के उजीहिनी गांव का है, जहां उबैद उल्ला की जमीन पर मोबाइल टॉवर लगाया गया था. प्रतापगढ़ के रानीगंज थाना के रस्तीपुर के रहने वाले राजेश यादव GTL इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी में बतौर टेक्निशियन तैनात हैं. राजेश ने बीती 31 मार्च को विजिट किया तो उनको जमीन पर लगा टॉवर का पूरा स्ट्रक्चर व सेटअप गायब मिला. जमीन के मालिक से पूछताछ करने पर उन्होंने मामले में जानकारी से साफ इंकार कर दिया. इसके बाद कंपनी के इंजीनियर ने चोरी की घटना को लेकर थाना पुलिस को तहरीर दी. बताया जा रहा है कि कंपनी के कौशाम्बी के अलग-अलग क्षेत्रों मे 18 से अधिक टॉवर लगे हैं. राजेश यादव के मुताबिक उनकी कंपनी ने जनपद मे अलग अलग स्थानो पर 16 मोबाइल टॉवर निजी कंपनियों के मोबाइल सिग्नल फ्रिक्वेंसी के लिए लगाए गए थे. राजेश ने बताया था कि एक टॉवर व पूरे सेटअप की कीमत करीब 8,52,025 रुपये एवं WDV (सेटअप) की कीमत 4,26,818 रुपये आती है. राजेश के मुताबिक कार्यवाही होने में 9 माह का समय लग गया.

पुलिस की जांच में हुआ खुलासा

पुलिस ने मुकदमे की जांच शुरू की तो चौंकाने वाला खुलासा. पुलिस के मुताबिक टॉवर लगाने वाली कंपनी ने 2010 में जमीन मालिक उबैद उल्ला के साथ 10 साल का कांट्रैक्ट साइन करने के बाद टॉवर लगवाया था. 10 साल पूरे हो जाने के बाद कंपनी पहले से कम रेट देकर टॉवर उसी स्थान पर लगाना चाहती थी. लेकिन जमीन मालिक ने इससे इनकार कर दिया और किराए की धनराशि बढ़ाने की बात कही. इसके बाद कंपनी के कर्मचारियों ने जनवरी 2023 में लिखा पड़ी कर टॉवर वहां से खुलवा लिया. बाद में 31 मार्च की घटना दिखाकर ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कर दिया. पुलिस ने इस मामले में जमीन मालिक से टॉवर खुलवाते समय कंपनी द्वारा दिए गए कागजात को लेकर 182 की कार्रवाई शुरू कर दी है.

पुलिस ने कहा-झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई

पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक, कंपनी का लैंड मालिक से विवाद था. जनवरी 2023 मे रिसीविंग देते हुए टॉवर और सभी सामान ले गए थे और उसके बाद ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करा दी. जिसमें मार्च 2023 की घटना दिखाई गई है. यह पूरी तरीके से झूठी है. विवेचना करके जो भी सही तथ्य हैं,उन्हें सामने लाया जाएगा. आगे जिन लोगों ने झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है, उनके खिलाफ 182 की कार्रवाई की जाएगी.

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Last Updated : Dec 1, 2023, 5:13 PM IST
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