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परिषदीय विद्यालय के बच्चों को नुक्कड़ पाठशाला के जरिए शिक्षक दे रहे शिक्षा

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में परिषदीय विद्यालय के बच्चों को नुक्कड़ पाठशाला के जरिए शिक्षक शिक्षा दे रहे हैं. पाठशाला में एक दिन में अधिकतम 10 से 15 छात्रों को शामिल किया जाता है. सभी छात्रों को कम से कम 5 फीट की दूरी रखना और मास्क का प्रयोग करना अनिवार्य होता है.

teacher are teaching council school children through nukkad pathshala
कौशांबी में नुक्कड़ पाठशाला के जरिए बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक.
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Published : Dec 31, 2020, 3:49 PM IST

कौशांबी : कोरोना काल में देशभर में लंबे समय से बंद चल रहे विद्यालयों में बच्चे की पढ़ाई पूरी तरह बाधित है. बच्चों को घर पर ही पढ़ने के लिए सरकार द्वारा ई-पाठशाला शुरू कराया गया, लेकिन कौशांबी जिले के परिषदीय स्कूलों के बच्चों के पास एंड्राइड मोबाइल न होने की वजह से उनकी पढ़ाई बाधित चल रही थी, क्योंकि कौशांबी जिले की आधी आबादी मजदूरी कर अपने परिवार का जीवन यापन करती है. ऐसे में बच्चों के लिए एंड्राइड मोबाइल लेना सपने जैसा है. ऐसे बच्चों को उनके मोहल्ले में ही शिक्षा देने का प्रयास शिक्षकों द्वारा किया जा रहा है. शिक्षकों ने नुक्कड़ पाठशाला के जरिए बच्चों को शिक्षा देने की शुरुआत की है. शिक्षकों की इस पहल की अभिभावक खूब सराहना कर रहे हैं

नुक्कड़ पाठशाला के जरिए बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक.

कोरोना प्रोटोकॉल का किया जाता है पालन
दरअसल, गरीब बस्तियों के बच्चों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं होने से उनकी पढ़ाई बाधित हो रही थी. ऐसे में खंड शिक्षा अधिकारी के साथ मिलकर शिक्षकों ने एक नया प्रयोग किया. शिक्षकों ने नुक्कड़ पाठशाला संचालित करने का फैसला लिया. फिर क्या था, शिक्षक अपने विद्यालय पहुंचकर दैनिक उपस्थिति दर्ज करने के बाद एक शिक्षक को विद्यालय में छोड़कर गांव की तरफ निकल जाते हैं. इतना ही नहीं, शिक्षक अपने साथ रोल बोर्ड, चार्ट, डस्टर और अन्य सामग्री लेकर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के घर जाते हैं और वहीं नुक्कड़ पाठशाला के जरिए बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं. पाठशाला में एक दिन में अधिकतम 10 से 15 छात्रों को शामिल किया जाता है और उन सभी छात्रों के बीच कम से कम 5 फीट की दूरी रखना और मास्क का प्रयोग करना अनिवार्य होता है.

teacher are teaching council school children through nukkad pathshala
बच्चों को पढ़ाते शिक्षक.

नुक्कड़ पाठशाला के लिए निर्धारित है दिन
नुक्कड़ पाठशाला के लिए अध्यापकों का दिन निर्धारित कर दिया गया है. किस दिन कहां नुक्कड़ पाठशाला का आयोजन होगा और कौन सा छात्र किस नुक्कड़ पाठशाला में शामिल होगा, इसका पूरा निर्धारण पहले से ही किया गया है, जिससे किसी को कोई असुविधा न हो और सभी बच्चों को शिक्षा मिल सके. स्कूल के बाद नुक्कड़ पाठशाला के जरिए बच्चों को शिक्षा मिलनी शुरू हुई. ऐसे बच्चों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. वह आपने निर्धारित दिन में अध्यापकों को आने का इंतजार करते रहते हैं.


अभिभावकों ने की इस पहल की सराहना
शिक्षकों की इस पहल की सराहना अभिभावक जमकर कर रहे हैं. इतना ही नहीं, नुक्कड़ सभा के लिए अध्यापकों की वह पूरी मदद करते हैं. उन्हें नुक्कड़ सभा के लिए स्थान व संसाधन भी उपलब्ध कराते हैं.

कुछ अध्यापकों द्वारा घर-घर जाकर नुक्कड़ पाठशाला के जरिए बच्चों को शिक्षा देने का कार्य किया जा रहा है. कोरोना काल मे शिक्षकों द्वारा बच्चों को शिक्षा देने का यह एक सराहनीय पहल है. इससे प्रेरणा लेकर अन्य विद्यालयों में भी इसे लागू किया जाएगा, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो.
- अविनाश सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी, मंझनपुर

कौशांबी : कोरोना काल में देशभर में लंबे समय से बंद चल रहे विद्यालयों में बच्चे की पढ़ाई पूरी तरह बाधित है. बच्चों को घर पर ही पढ़ने के लिए सरकार द्वारा ई-पाठशाला शुरू कराया गया, लेकिन कौशांबी जिले के परिषदीय स्कूलों के बच्चों के पास एंड्राइड मोबाइल न होने की वजह से उनकी पढ़ाई बाधित चल रही थी, क्योंकि कौशांबी जिले की आधी आबादी मजदूरी कर अपने परिवार का जीवन यापन करती है. ऐसे में बच्चों के लिए एंड्राइड मोबाइल लेना सपने जैसा है. ऐसे बच्चों को उनके मोहल्ले में ही शिक्षा देने का प्रयास शिक्षकों द्वारा किया जा रहा है. शिक्षकों ने नुक्कड़ पाठशाला के जरिए बच्चों को शिक्षा देने की शुरुआत की है. शिक्षकों की इस पहल की अभिभावक खूब सराहना कर रहे हैं

नुक्कड़ पाठशाला के जरिए बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक.

कोरोना प्रोटोकॉल का किया जाता है पालन
दरअसल, गरीब बस्तियों के बच्चों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं होने से उनकी पढ़ाई बाधित हो रही थी. ऐसे में खंड शिक्षा अधिकारी के साथ मिलकर शिक्षकों ने एक नया प्रयोग किया. शिक्षकों ने नुक्कड़ पाठशाला संचालित करने का फैसला लिया. फिर क्या था, शिक्षक अपने विद्यालय पहुंचकर दैनिक उपस्थिति दर्ज करने के बाद एक शिक्षक को विद्यालय में छोड़कर गांव की तरफ निकल जाते हैं. इतना ही नहीं, शिक्षक अपने साथ रोल बोर्ड, चार्ट, डस्टर और अन्य सामग्री लेकर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के घर जाते हैं और वहीं नुक्कड़ पाठशाला के जरिए बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं. पाठशाला में एक दिन में अधिकतम 10 से 15 छात्रों को शामिल किया जाता है और उन सभी छात्रों के बीच कम से कम 5 फीट की दूरी रखना और मास्क का प्रयोग करना अनिवार्य होता है.

teacher are teaching council school children through nukkad pathshala
बच्चों को पढ़ाते शिक्षक.

नुक्कड़ पाठशाला के लिए निर्धारित है दिन
नुक्कड़ पाठशाला के लिए अध्यापकों का दिन निर्धारित कर दिया गया है. किस दिन कहां नुक्कड़ पाठशाला का आयोजन होगा और कौन सा छात्र किस नुक्कड़ पाठशाला में शामिल होगा, इसका पूरा निर्धारण पहले से ही किया गया है, जिससे किसी को कोई असुविधा न हो और सभी बच्चों को शिक्षा मिल सके. स्कूल के बाद नुक्कड़ पाठशाला के जरिए बच्चों को शिक्षा मिलनी शुरू हुई. ऐसे बच्चों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. वह आपने निर्धारित दिन में अध्यापकों को आने का इंतजार करते रहते हैं.


अभिभावकों ने की इस पहल की सराहना
शिक्षकों की इस पहल की सराहना अभिभावक जमकर कर रहे हैं. इतना ही नहीं, नुक्कड़ सभा के लिए अध्यापकों की वह पूरी मदद करते हैं. उन्हें नुक्कड़ सभा के लिए स्थान व संसाधन भी उपलब्ध कराते हैं.

कुछ अध्यापकों द्वारा घर-घर जाकर नुक्कड़ पाठशाला के जरिए बच्चों को शिक्षा देने का कार्य किया जा रहा है. कोरोना काल मे शिक्षकों द्वारा बच्चों को शिक्षा देने का यह एक सराहनीय पहल है. इससे प्रेरणा लेकर अन्य विद्यालयों में भी इसे लागू किया जाएगा, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो.
- अविनाश सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी, मंझनपुर

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