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कोर्ट के आदेश के बाबजूद डॉक्टरों ने नहीं किया नाबालिग रेप पीड़िता का गर्भपात, दर-दर भटकने को मजबूर है पीड़ित पिता

कौशांबी के चरवा थाना क्षेत्र में 13 वर्षीय नाबालिग से गांव के ही एक युवक ने रेप किया. जिसके बाद नाबालिग गर्भवती हो गई. पीड़िता के पिता ने कोर्ट से नाबलिग के गर्भपात के लिए गुहार लगाई. कोर्ट के आदेश के बाद भी डॉक्टरों ने पीड़िता का गर्भपात नहीं किया. पिता बोला बिन ब्याही बेटी के गर्भ का क्या करूं.

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Published : Nov 1, 2022, 9:27 PM IST

कौशांबीः जिले के चरवा थाना क्षेत्र के एक गांव में 5 माह पहले एक नाबालिग से रेप की वारदात हुई. गांव के ही एक युवक ने नाबालिग से रेप किया. वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी ने पीड़ित नाबालिग को डरा-धमकर चुप करा दिया. लेकिन, रेप कुछ माह बाद पीड़ित नाबालिग प्रेग्नेंट हो गई. जिसके बाद परिजनों को इसकी जानकारी हुई. पीड़ित के पिता ने केस दर्ज कराया और पुलिस ने आरोपी को जेल भेज दिया. लेकिन, पीड़ित और उसकी परिवार की मुश्किल कम नहीं हुई. बेटी के पेट का गर्भ उसकी जान का दुश्मन बन गया. अदालत के आदेश के बाद भी पीड़िता गर्भपात नहीं हुआ. डॉक्टर्स ने का कहना है कि गर्भ हटाने पर बच्चे और पीड़िता की जान को खतरा है. वहीं, सीएमओ कोर्ट के अगले आदेश आने के बाद आगे की कार्रवाई की बात कह रहे है.

पीड़िता के पिता के अनुसार, बीते एक माह से पीड़ित नाबालिग जिला अस्पताल में भर्ती है. गांव के ही एक युवक शिव मूरत ने 5 माह पहले ने रेप की घटना को अंजाम दिया. दुष्कर्म का राज किसी के सामने खुल न जाय इसके लिए आरोपी शिव मूरत ने उसे को उसके पिता की हत्या का डर दिखा कर उसे चुप रहने पर मजबूर किया. लेकिन पीड़िता के प्रेग्नेंट होने के बाद इस राज से पर्दा उठ गया. पीड़ित परिवार ने डॉक्टरी रिपोर्ट जैसे पुख्ता दस्तावेज पुलिस को देकर केस दर्ज करने की मांग की.

जानकारी देते सीएमओ डॉ. सुष्पेंद्र.

पीड़ित पिता के मुताबिक चरवा के तत्कालीन इंचार्ज ने उन्हें और उनकी बेटी को बुरा-भला कह कर ठाणे से भगा दिया. बाद में एसपी के निर्देश पर अगस्त माह में केस दर्ज कर शिव मूरत को पुलिस ने जेल भेज दिया. पीड़ित पिता ने बताया, उनकी किशोर बेटी के गर्भ के चलते उसकी शरीर में बदलाव होने लगे. जिससे उसकी तबियत लगातार खराब रहने लगी. अस्पताल में दिखाया तो डाक्टरों से उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कर लिया. बेटी की जान बचाने को उसने अदालत में गुहार लगा कर गर्भपात कराये जाने की मांग की. अदालत से 15 अक्टूबर को आदेश देकर सीएमओ / सीएमएस को मेडिकल बोर्ड गठित कर गर्भपात कराने का आदेश दिया. लेकिन डॉक्टरों ने बेटी का गर्भपात नहीं किया.

सीएमओ डॉ. सुष्पेंद्र ने बताया कि अदालत से किशोरी के सम्बन्ध में आदेश मिले थे. जिस पर कार्रवाई के लिए डॉक्टर की टीम बनाकर जांच कराई गई. डॉक्टर की रिपोर्ट के मुताबिक किशोरी की हालत और गर्भ की अवस्था की हालत को देख कर उसे हटाने के लिए हायर चिकित्सा सेंटर की आवश्यकता है. इस सम्बन्ध में कोर्ट को विस्तृत जांच रिपोर्ट भेजी गई है. कोर्ट के आदेश मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

ये भी पढ़ेंः कानपुर में गैंगरेप के बाद गर्भवती हुई नाबालिग, आरोपी वीडियो बनाकर 5 माह से कर रहे थे रेप

कौशांबीः जिले के चरवा थाना क्षेत्र के एक गांव में 5 माह पहले एक नाबालिग से रेप की वारदात हुई. गांव के ही एक युवक ने नाबालिग से रेप किया. वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी ने पीड़ित नाबालिग को डरा-धमकर चुप करा दिया. लेकिन, रेप कुछ माह बाद पीड़ित नाबालिग प्रेग्नेंट हो गई. जिसके बाद परिजनों को इसकी जानकारी हुई. पीड़ित के पिता ने केस दर्ज कराया और पुलिस ने आरोपी को जेल भेज दिया. लेकिन, पीड़ित और उसकी परिवार की मुश्किल कम नहीं हुई. बेटी के पेट का गर्भ उसकी जान का दुश्मन बन गया. अदालत के आदेश के बाद भी पीड़िता गर्भपात नहीं हुआ. डॉक्टर्स ने का कहना है कि गर्भ हटाने पर बच्चे और पीड़िता की जान को खतरा है. वहीं, सीएमओ कोर्ट के अगले आदेश आने के बाद आगे की कार्रवाई की बात कह रहे है.

पीड़िता के पिता के अनुसार, बीते एक माह से पीड़ित नाबालिग जिला अस्पताल में भर्ती है. गांव के ही एक युवक शिव मूरत ने 5 माह पहले ने रेप की घटना को अंजाम दिया. दुष्कर्म का राज किसी के सामने खुल न जाय इसके लिए आरोपी शिव मूरत ने उसे को उसके पिता की हत्या का डर दिखा कर उसे चुप रहने पर मजबूर किया. लेकिन पीड़िता के प्रेग्नेंट होने के बाद इस राज से पर्दा उठ गया. पीड़ित परिवार ने डॉक्टरी रिपोर्ट जैसे पुख्ता दस्तावेज पुलिस को देकर केस दर्ज करने की मांग की.

जानकारी देते सीएमओ डॉ. सुष्पेंद्र.

पीड़ित पिता के मुताबिक चरवा के तत्कालीन इंचार्ज ने उन्हें और उनकी बेटी को बुरा-भला कह कर ठाणे से भगा दिया. बाद में एसपी के निर्देश पर अगस्त माह में केस दर्ज कर शिव मूरत को पुलिस ने जेल भेज दिया. पीड़ित पिता ने बताया, उनकी किशोर बेटी के गर्भ के चलते उसकी शरीर में बदलाव होने लगे. जिससे उसकी तबियत लगातार खराब रहने लगी. अस्पताल में दिखाया तो डाक्टरों से उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कर लिया. बेटी की जान बचाने को उसने अदालत में गुहार लगा कर गर्भपात कराये जाने की मांग की. अदालत से 15 अक्टूबर को आदेश देकर सीएमओ / सीएमएस को मेडिकल बोर्ड गठित कर गर्भपात कराने का आदेश दिया. लेकिन डॉक्टरों ने बेटी का गर्भपात नहीं किया.

सीएमओ डॉ. सुष्पेंद्र ने बताया कि अदालत से किशोरी के सम्बन्ध में आदेश मिले थे. जिस पर कार्रवाई के लिए डॉक्टर की टीम बनाकर जांच कराई गई. डॉक्टर की रिपोर्ट के मुताबिक किशोरी की हालत और गर्भ की अवस्था की हालत को देख कर उसे हटाने के लिए हायर चिकित्सा सेंटर की आवश्यकता है. इस सम्बन्ध में कोर्ट को विस्तृत जांच रिपोर्ट भेजी गई है. कोर्ट के आदेश मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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