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कौशांबी में हत्या के दोषी को आजीवन कारावास, 40 हजार जुर्माना - कौशांबी की खबरें

कौशांबी कोर्ट ने हत्या के दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने 40 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

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Published : Mar 31, 2023, 8:21 PM IST

कौशांबी: जनपद एवं सत्र न्यायालय की विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट चित्रा शर्मा की अदालत ने हत्या के एक आरोपित को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही दोषी पर अदालत ने 40 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है. वहीं, चार अन्य नामजद आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया है.

अभियोजन के अनुसार रायबरेली जनपद के निहस्था गांव निवासी रघुराई देवी ने 12 अप्रैल 2008 को मंझनपुर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनका पति रामआसरे और विनोद त्रिपाठी राजस्थान में ईंट-भट्ठे में काम करते थे.

विनोद ने मजदूर लाने के बहाने रामआसरे काे बुलाया. रामआसरे 45 हजार रुपये लेकर उसके घर पहुंचा. विनोद समेत उसके साथी रामनारायण, रामदीन, बरमदीन व ननकू ने रुपये छीन लिया और चाकू से गोदकर उसकी हत्या कर दी.

कुछ दिन बाद पुलिस ने मृतक का सिर सैनी व शरीर पश्चिम शरीरा के क्षेत्र के एक कुएं से बरामद किया था. पत्नी की तहरीर पर पुलिस ने पांच लोगो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली थी और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया था.

मामले का विचारण विशेष न्यायालय एससीएसटी एक्ट में किया गया. अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक धर्मेंद्र कुमार मौर्य व पंकज सोनकर ने कुल 12 गवाहों को अदालत में पेश कराया. दोनो पक्षों के तर्कों को सुनने और पत्रावली में मौजूद साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद अदालत ने विनोद त्रिपाठी को दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वहीं, चार अन्य को दोषमुक्त करार दिया.

ये भी पढ़ेंः लूट के माल के साथ गले में तख्ती डाल थाने पहुंचा अपराधी, बोला- दारोगा जी गिरफ्तार कर लो

कौशांबी: जनपद एवं सत्र न्यायालय की विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट चित्रा शर्मा की अदालत ने हत्या के एक आरोपित को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही दोषी पर अदालत ने 40 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है. वहीं, चार अन्य नामजद आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया है.

अभियोजन के अनुसार रायबरेली जनपद के निहस्था गांव निवासी रघुराई देवी ने 12 अप्रैल 2008 को मंझनपुर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनका पति रामआसरे और विनोद त्रिपाठी राजस्थान में ईंट-भट्ठे में काम करते थे.

विनोद ने मजदूर लाने के बहाने रामआसरे काे बुलाया. रामआसरे 45 हजार रुपये लेकर उसके घर पहुंचा. विनोद समेत उसके साथी रामनारायण, रामदीन, बरमदीन व ननकू ने रुपये छीन लिया और चाकू से गोदकर उसकी हत्या कर दी.

कुछ दिन बाद पुलिस ने मृतक का सिर सैनी व शरीर पश्चिम शरीरा के क्षेत्र के एक कुएं से बरामद किया था. पत्नी की तहरीर पर पुलिस ने पांच लोगो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली थी और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया था.

मामले का विचारण विशेष न्यायालय एससीएसटी एक्ट में किया गया. अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक धर्मेंद्र कुमार मौर्य व पंकज सोनकर ने कुल 12 गवाहों को अदालत में पेश कराया. दोनो पक्षों के तर्कों को सुनने और पत्रावली में मौजूद साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद अदालत ने विनोद त्रिपाठी को दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वहीं, चार अन्य को दोषमुक्त करार दिया.

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