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कौशांबी: बाल दीपावली मेले में सरकारी स्कूल के बच्चों ने कबाड़ से जुगाड़ कर दिखाया हुनर

यूपी के कौशांबी में बाल दीपावली मेले का आयोजन ओसा स्थित कृषि मंडी में किया गया. इस दौरान सरकारी स्कूल के बच्चों ने वेस्ट मेटेरियल से खुद की बनाई वस्तुओं को विभिन्न स्टालों में सजाया. वहीं इस दौरान लोगों ने इन वस्तुओं की खरीदारी भी की.

बाल दीपावली मेले का आयोजन.
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Published : Oct 25, 2019, 3:23 PM IST

कौशांबी: सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने घर की बेकार पड़ी वस्तुओं से तैयार कला-कृतियों का बाल दीपावली मेला लगाया गया. इस मेले का उद्घाटन जिले के प्रभारी मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने किया. इस मेले में बच्चों ने घर पर पड़े वेस्‍ट मेटेरियल से विभिन्न प्रकार की सजावट के सामान तैयार किए हैं. इन्हें यहां बेचने या प्रदर्शन करने के लिए बच्चों ने एक मेला लगाया है. इस मेले से होने वाली आय बच्चों की पढ़ाई के लिए खर्च की जाएगी.

बाल दीपावली मेले का आयोजन.


वेस्ट मेटेरियल से बच्चों ने बनाया सजावट का सामान
प्रकाश के सबसे बड़े पर्व से पहले ओसा स्थित कृषि मंडी में बाल दीपावली मेले का आयोजन किया गया. इसमें किताबी ज्ञान से दूर नौनिहालों ने अपनी सजावट व रचनात्मक क्षमता का एक ऐसा उदाहरण पेश किया कि मेले के पास से गुजरने वाला हर शख्स अपनी दांतों तले उंगलियां दबा बैठा.

इसे भी पढ़ें:- दीपावली-धनतेरस पर चांदी की मछली की पूजा का है खास महत्व, जानिए कहां होता है निर्माण

बच्चों ने सजावट का सामान कैंडल, मिट्टी की मूर्तियां, बंदरवाल, झूमर, ग्रीटिंग कार्ड, गुलदस्ते, पेन स्टैंड, जेल कैंडिल, दीपक स्टैंड, झाड़ू कलर करके सजावट का सामान बनाया. ये सारी वस्तुएं बच्चों ने घर के बेकार पड़ी वस्तुओं से बनाई. साथ ही बच्चों ने स्वच्छता के प्रति एक संदेश भी दिया कि किस प्रकार वेस्ट मेटेरियल का रिसाइकल यूज कर देश को स्वच्छ बनाया जा सकता है.


मेले से होने वाली आय को बच्चों की पढ़ाई पर किया जाएगा खर्च
दिवाली मेले के आयोजक सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. अविनाश सिंह के मुताबिक दीपावली के खास मौके पर बच्चों की रचनात्मक कलाकृतियों का यह मेला है. इसका मकसद बच्चों को नई पहचान और आर्थिक लाभ कराने के लिए लगाया गया था. अक्सर स्कूल के निरीक्षण के दौरान देखा जाता था कि बच्चे कुछ न कुछ कलाकृति बनाया करते थे. इसको जन सामान्य के सामने लाने के लिए और बच्चों की कला दिखाने के लिए इस मेले का आयोजन किया गया है. इस मेले से होने वाली आय बच्चों की पढ़ाई में खर्च किया जाएगा.

कौशांबी: सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने घर की बेकार पड़ी वस्तुओं से तैयार कला-कृतियों का बाल दीपावली मेला लगाया गया. इस मेले का उद्घाटन जिले के प्रभारी मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने किया. इस मेले में बच्चों ने घर पर पड़े वेस्‍ट मेटेरियल से विभिन्न प्रकार की सजावट के सामान तैयार किए हैं. इन्हें यहां बेचने या प्रदर्शन करने के लिए बच्चों ने एक मेला लगाया है. इस मेले से होने वाली आय बच्चों की पढ़ाई के लिए खर्च की जाएगी.

बाल दीपावली मेले का आयोजन.


वेस्ट मेटेरियल से बच्चों ने बनाया सजावट का सामान
प्रकाश के सबसे बड़े पर्व से पहले ओसा स्थित कृषि मंडी में बाल दीपावली मेले का आयोजन किया गया. इसमें किताबी ज्ञान से दूर नौनिहालों ने अपनी सजावट व रचनात्मक क्षमता का एक ऐसा उदाहरण पेश किया कि मेले के पास से गुजरने वाला हर शख्स अपनी दांतों तले उंगलियां दबा बैठा.

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बच्चों ने सजावट का सामान कैंडल, मिट्टी की मूर्तियां, बंदरवाल, झूमर, ग्रीटिंग कार्ड, गुलदस्ते, पेन स्टैंड, जेल कैंडिल, दीपक स्टैंड, झाड़ू कलर करके सजावट का सामान बनाया. ये सारी वस्तुएं बच्चों ने घर के बेकार पड़ी वस्तुओं से बनाई. साथ ही बच्चों ने स्वच्छता के प्रति एक संदेश भी दिया कि किस प्रकार वेस्ट मेटेरियल का रिसाइकल यूज कर देश को स्वच्छ बनाया जा सकता है.


मेले से होने वाली आय को बच्चों की पढ़ाई पर किया जाएगा खर्च
दिवाली मेले के आयोजक सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. अविनाश सिंह के मुताबिक दीपावली के खास मौके पर बच्चों की रचनात्मक कलाकृतियों का यह मेला है. इसका मकसद बच्चों को नई पहचान और आर्थिक लाभ कराने के लिए लगाया गया था. अक्सर स्कूल के निरीक्षण के दौरान देखा जाता था कि बच्चे कुछ न कुछ कलाकृति बनाया करते थे. इसको जन सामान्य के सामने लाने के लिए और बच्चों की कला दिखाने के लिए इस मेले का आयोजन किया गया है. इस मेले से होने वाली आय बच्चों की पढ़ाई में खर्च किया जाएगा.

Intro:कौशांबी के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने ओसा स्थित कृषि मंडी में घर की बेकार पड़ी वस्तुओं से तैयार कला-कृतियों का एकबाल दीपावली मेला लगाया गया। इस मेले का उद्घाटन जिले के प्रभारी मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने किया। इस मेले में बच्चों ने घर पर पड़े वेस्ट मटेरियल से विभिन्न प्रकार की सजावट के सामान तैयार किए हैं। जिन्हें यहां बेचने या प्रदर्शन करने के लिए बच्चों ने एक मेला लगाया है। इस मेले से होने वाली आय बच्चों की पढ़ाई के लिए खर्च किया जाएगा। साथ ही बच्चो ने स्वच्छता के प्रति एक संदेश भी दिया है कि किस प्रकार वेस्ट मटेरियल का रिसाइकल यूज कर देश को स्वच्छ बनाया जा सकता है।


Body:प्रकाश के सबसे बड़े पर्व से पहले कृषि मंडी में प्रतिभा और हुनर को पंख लगे रंग बिरंगे मनमोहक कलाकृतियों के बीच मौका था बाल दिवाली मेले का। जिसमें किताबी ज्ञान से दूर देश के नौनिहालों ने अपनी सजावट व रचनात्मक क्षमता का एक ऐसा उदाहरण पेश किया कि मेले के पास से गुजरने वाला हर वह खास और आम अपनी दांतों तले उंगलियां दबा बैठा स्कूल में अपने टीचर के साथ रहने वाले बच्चे आज भी अपनी उन्हीं टीचरों के साथ हैं। लेकिन आज उनके चेहरे पर पढ़ाई का बोझ तनाव नहीं बल्कि मनमुग्ध करने वाली मुस्कुराहट है। और हो भी क्यों ना बच्चे ने काम ही ऐसा किया है। स्टाइल में लगा हर सजावट का सामान कैंडल,मिट्टी की मूर्तियां, बंदरवाल, झूमर, ग्रीटिंग कार्ड, गुलदस्ते, पेन स्टैंड, जेल कैंडिल, दीपक स्टैंड, झाड़ू कलर करके बनाया गया सजावटी पौधा जैसे ना जाने कितनी कलाकृति सिर्फ और सिर्फ घर के बेकार पड़ी वस्तुओं से बनाई गई है। इसमें बच्चों ने वेस्ट मटेरियल पानी की बेस्ट बोतलें आदि यूज कर कर एक तक जहां देश को स्वच्छता करने का संदेश दिया है। वहीं वेस्ट मटेरियल से घर को पुनः सजावट करने का एक अनोखा तरीका भी बताया है।

बाइट-- शिवानी छात्रा
बाइट-- पूनम सिंह अध्यापिका


Conclusion:इस बार दिवाली मेले के आयोजक सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ अविनाश सिंह के मुताबिक दीपावली के खास मौके पर बच्चों की रचनात्मक कलाकृतियों का यह मेला है। इसका मकसद कि बच्चों को नई पहचान और आर्थिक लाभ कराने के लिए लगाया गया था। अक्सर स्कूल के निरीक्षण के दौरान देखा जाता था कि बच्चे कुछ न कुछ कलाकृति बनाया करते थे। जिसको जान सामान्य में सामने लाने के लिए व बच्चों की कला दिखाने के लिए और पसंद आए तो उसे खरीदें इसके लिए इस मेले का आयोजन किया गया है। इस मेले से होने वाली आय से बच्चों की पढ़ाई में खर्च किया जाएगा।

बाइट-- डॉ अविनाश सिंह सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी मंझनपुर कौशाम्बी
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