कासगंज: पंचायत चुनावों में यूपी के कासगंज में समाजवादी पार्टी ने अंतर्कलह के चलते जिला पंचायत की 23 सीटों में से एक सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है. जिसके चलते इस सीट से पूर्व में दावेदारी कर रहे दो सपा नेता अब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना भाग्य आज़मा रहे हैं. जिससे कहीं न कहीं सपा को नुकसान होने की संभावना है.
पटियाली ब्लॉक के वार्ड संख्या 1 को सपा ने रखा रिक्त
दरअसल, कासगंज जनपद की पटियाली ब्लॉक के वार्ड संख्या 1 से जिला पंचायत सदस्य पद के लिए समाजवादी पार्टी ने अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारते हुए इस सीट को रिक्त रखा है. इस सीट से समाजवादी पार्टी से जिला पंचायत सदस्य पद के लिए प्रत्याशी के तौर पर सपा के दो प्रबल दावेदार थे, जिनमें एक संजीव यादव जो एटा लोकसभा के पूर्व सांसद और सपा जिलाध्यक्ष कुंअर देवेंद्र सिंह यादव के भांजे हैं और दूसरे अभय यादव जो समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश सचिव हैं. नेताओं में आपसी मनमुटाव न हो इसके चलते वार्ड संख्या 1 को सपा ने रिक्त रखा है, लेकिन इसी सीट पर सपा के यही दोनों नेता अब निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. जिससे सपा की स्थित कमजोर हो सकती है.
दोनों सपा कार्यकर्ताओं एक ही सीट पर लड़ रहे चुनाव
हालांकि वार्ड 1 से सपा द्वारा जिला पंचायत सदस्य की सीट रिक्त रखने के मामले में पूर्व जिलापंचायत सदस्य और वर्तमान में प्रत्याशी बातों को घुमाते हुए बोले कि यह बात आप हाईकमान से पूछिए. दोनों सपा कार्यकर्ताओं के एक ही सीट पर चुनाव लड़ने के चलते पार्टी को नुकसान के सवाल पर उन्होंने कहा कि दोनों ही लोग लड़ेंगे, इसमें नुकसान की कोई बात नहीं है. संजीव यादव ने कहा कि जनता उन्हें पिछले 10 वर्षों से जिला पंचायत सदस्य चुनती आई है, इसलिए वह लड़ रहे हैं. इसके अतिरिक्त हमने विकास कार्य भी कराए हैं.
इसे भी पढ़ें-ग्राम प्रधान प्रत्याशी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, बदायूं-कासगंज सीमा पर मिला शव
अभय यादव का कहना है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कासगंज के जिलाध्यक्ष को जिलापंचायत सदस्य पद के लिए वार्ड 1 से उन्हें प्रत्याशी घोषित करने को कहा था, लेकिन जिलाध्यक्ष ने इसमें रोड़ा अटका दिया. वह यहां से संजीव यादव को टिकट देना चाहते थे. जिसके बाद अखिलेश यादव द्वारा इस सीट को रिक्त रखने के लिए बोला गया. अभय यादव ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा कि सपा के जिलाध्यक्ष नहीं चाहते कि कोई कार्यकर्ता आगे बढ़े. जिला पंचायत की सभी सीटों पर उनके परिजन और रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे हैं. कोई कार्यकर्ता चुनाव लड़ने का मन करता है तो उस कार्यकर्ता के अरमानों को कुचल दिया जाता है. उनके यहां किसी कार्यकर्ता के लिए कोई वेकेंसी नहीं है.