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नगर पालिका चेयरमैन ने नौकर के नाम फर्जी कंपनी बनाकर किया करोड़ों का घोटाला, RTI से हुआ खुलासा

कासगंज में नगर पालिका परिषद की पूर्व चेयरमैन अर्चना पप्पू यादव द्वारा बड़ा घोटाले करने का मामला सामने आया है. अर्चना पप्पू यादव ने अपने नौकर के नाम फर्जी कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाकर करोंड़ों रुपयो का गबन किया है.

नगर पालिका परिषद
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Published : Jun 29, 2022, 9:16 PM IST

Updated : Jun 30, 2022, 7:32 AM IST

कासगंज: नगर पालिका परिषद सोरों में 2012 से 2015 तक एक फर्जी कंपनी बनाकर घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर विकास कार्य कराए जाने का मामला सामने आया है. करोड़ों रुपये के जरिए मानकों के खिलाफ 38 विकास कार्य कार्य कराए गए हैं. इनमें 16 कार्यों में स्वीकृति से अधिक व्यय किया गया है, जबकि 6 कार्यों की जांच में 8 लाख 46 हजार 555 रुपये राशि वसूली योग्य पाई गई है. तत्कालीन चेयरपर्सन समेत 5 अधिशासी अधिकारी, 1 अवर अभियंता और फर्म का स्वामी इसके लिए जिम्मेदार पाए गए हैं.

जानकारी देतीं जिलाधिकारी हर्षिता माथुर

एक शिकायतकर्ता की तरफ से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी को लेकर जांच बैठाई गई थी. जिसके बाद तीन सदस्यीय समिति की जांच रिपोर्ट आने पर यह खुलासा हुआ है. जानकारी के मुताबिक सोरों नगर पालिका में शासन से मनोनीत पूर्व सभासद भूपेश शर्मा ने तत्कालीन नगर पालिका परिषद की चेयरपर्सन अर्चना पप्पू यादव पर के खिलाफ शिकायत की थी.

पूर्व सभासद भूपेश शर्मा के मुताबिक अर्चना पप्पू यादव ने जयराम मोहल्ला निवासी अपने नौकर के नाम बिना रजिस्ट्रेशन के फर्जी सीआरपी कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई थी. इसके बाद साल 2012 से 2015 तक 7 करोड़ 45 लाख 94 हजार 828 रुपयों की लागत से मानकों के विपरीत 38 विकास कार्य कराए थे. यह आरोप लगाते हुए पूर्व सभासद भूपेश शर्मा ने 27 मई 2017 को जिलाधिकारी से लिखित शिकायत की थी.

शिकायत मिलने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी आरपी सिंह ने अपर जिलाधिकारी राकेश यादव के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की. टीम में परियोजना निदेशक डीआरडीए, अधिशासी अभियंता (लोक निर्माण विभाग) और अधिशासी अभियंता आरईडी शामिल थे. इसके बाद टीम की जांच आख्या संख्या 2812/एसटी, 12 सितंबर 2017 में पाया गया कि सीआरपी कंस्ट्रक्शन फर्म के स्वामी संदीप माहेश्वरी ने चरित्र प्रमाण पत्र, हैसियत प्रमाणपत्र और श्रम विभाग का पंजीकरण प्रमाणपत्र उपलब्ध कराए बिना अनाधिकृत रूप से नगर पालिका परिषद में फर्म का पंजीकरण कर लिया. पत्रावली के मुताबिक फर्म की तरफ से जमानती या धरोहर राशि भी जमा नहीं की गई.

यह भी पढ़ें- यूपी के 19 जिलों में GPF घोटाले का आरोप, राजभवन को भेजे गए पत्र में हुआ खुलासा

इतना ही नहीं, अति आवश्यक प्रपत्रों के बिना पंजीकरण का नवीनीकरण भी करा लिया गया. जांच में कहा गया कि इस फर्म की तरफ से अनाधिकृत रजिस्ट्रेशन से 7 करोड़ 45 लाख 94 हजार 828 रुपये के मानक के विपरीत विकास कार्य किए गए, जिनमे बिजली के कार्य भी शामिल हैं. तीन सदस्यीय जांच टीम ने 38 कार्यों में से 6 कार्यों की रैंडम जांच की तो सभी कार्य में घोर अनियमितता पाई गई.

शिकायतकर्ता पूर्व सभासद भूपेश शर्मा ने बताया कि पूरी जानकारी उन्होंने आरटीआई के माध्यम से जुटाई है. प्रशासन की जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी आरोपियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. अब जिलाधिकारी कार्यालय से पता लगा है कि जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है. वहीं, कासगंज जिलाधिकारी हर्षिता माथुर का कहना है कि जांच रिपोर्ट साल 2021 में ही शासन को भेज दी गई थी. शासन से जो भी निर्देश मिलेंगे, उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.

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कासगंज: नगर पालिका परिषद सोरों में 2012 से 2015 तक एक फर्जी कंपनी बनाकर घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर विकास कार्य कराए जाने का मामला सामने आया है. करोड़ों रुपये के जरिए मानकों के खिलाफ 38 विकास कार्य कार्य कराए गए हैं. इनमें 16 कार्यों में स्वीकृति से अधिक व्यय किया गया है, जबकि 6 कार्यों की जांच में 8 लाख 46 हजार 555 रुपये राशि वसूली योग्य पाई गई है. तत्कालीन चेयरपर्सन समेत 5 अधिशासी अधिकारी, 1 अवर अभियंता और फर्म का स्वामी इसके लिए जिम्मेदार पाए गए हैं.

जानकारी देतीं जिलाधिकारी हर्षिता माथुर

एक शिकायतकर्ता की तरफ से आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी को लेकर जांच बैठाई गई थी. जिसके बाद तीन सदस्यीय समिति की जांच रिपोर्ट आने पर यह खुलासा हुआ है. जानकारी के मुताबिक सोरों नगर पालिका में शासन से मनोनीत पूर्व सभासद भूपेश शर्मा ने तत्कालीन नगर पालिका परिषद की चेयरपर्सन अर्चना पप्पू यादव पर के खिलाफ शिकायत की थी.

पूर्व सभासद भूपेश शर्मा के मुताबिक अर्चना पप्पू यादव ने जयराम मोहल्ला निवासी अपने नौकर के नाम बिना रजिस्ट्रेशन के फर्जी सीआरपी कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई थी. इसके बाद साल 2012 से 2015 तक 7 करोड़ 45 लाख 94 हजार 828 रुपयों की लागत से मानकों के विपरीत 38 विकास कार्य कराए थे. यह आरोप लगाते हुए पूर्व सभासद भूपेश शर्मा ने 27 मई 2017 को जिलाधिकारी से लिखित शिकायत की थी.

शिकायत मिलने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी आरपी सिंह ने अपर जिलाधिकारी राकेश यादव के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की. टीम में परियोजना निदेशक डीआरडीए, अधिशासी अभियंता (लोक निर्माण विभाग) और अधिशासी अभियंता आरईडी शामिल थे. इसके बाद टीम की जांच आख्या संख्या 2812/एसटी, 12 सितंबर 2017 में पाया गया कि सीआरपी कंस्ट्रक्शन फर्म के स्वामी संदीप माहेश्वरी ने चरित्र प्रमाण पत्र, हैसियत प्रमाणपत्र और श्रम विभाग का पंजीकरण प्रमाणपत्र उपलब्ध कराए बिना अनाधिकृत रूप से नगर पालिका परिषद में फर्म का पंजीकरण कर लिया. पत्रावली के मुताबिक फर्म की तरफ से जमानती या धरोहर राशि भी जमा नहीं की गई.

यह भी पढ़ें- यूपी के 19 जिलों में GPF घोटाले का आरोप, राजभवन को भेजे गए पत्र में हुआ खुलासा

इतना ही नहीं, अति आवश्यक प्रपत्रों के बिना पंजीकरण का नवीनीकरण भी करा लिया गया. जांच में कहा गया कि इस फर्म की तरफ से अनाधिकृत रजिस्ट्रेशन से 7 करोड़ 45 लाख 94 हजार 828 रुपये के मानक के विपरीत विकास कार्य किए गए, जिनमे बिजली के कार्य भी शामिल हैं. तीन सदस्यीय जांच टीम ने 38 कार्यों में से 6 कार्यों की रैंडम जांच की तो सभी कार्य में घोर अनियमितता पाई गई.

शिकायतकर्ता पूर्व सभासद भूपेश शर्मा ने बताया कि पूरी जानकारी उन्होंने आरटीआई के माध्यम से जुटाई है. प्रशासन की जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी आरोपियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. अब जिलाधिकारी कार्यालय से पता लगा है कि जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है. वहीं, कासगंज जिलाधिकारी हर्षिता माथुर का कहना है कि जांच रिपोर्ट साल 2021 में ही शासन को भेज दी गई थी. शासन से जो भी निर्देश मिलेंगे, उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.

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Last Updated : Jun 30, 2022, 7:32 AM IST
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