कासगंजः अक्सर जब हम गांव की बात करते हैं तो कच्ची और ऊबड़-खाबड़ सड़कें, खाली पड़े सरकारी स्कूल ये सब चल चित्र मन मस्तिष्क में चलने लगता है. लेकिन कासगंज में एक गांव ऐसा है, जहां की व्यवस्थाएं किसी शहर से कम नहीं हैं. यहां का स्कूल मॉडल स्कूलों की तर्ज पर है. इंटरलॉकिंग सड़कें, सीसीटीवी कैमरे, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, स्ट्रीट लाइट,गीले सूखे कूड़े की अलग अलग व्यवस्था है. आखिर मॉडल ग्राम पंचायत बनाने के लिए यहां के ग्राम प्रधान को क्या क्या करना पड़ा आइये जानते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करती कासगंज जिले के सिढ़पुरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत भुजपुरा अपने अनोखे विकास कार्यों के चलते जनपद की पहली मॉडल ग्राम पंचायत घोषित हुई है. कासगंज जनपद से मॉडल ग्राम पंचायत बनाने के लिए जिले से 2 ग्राम प्रधानों को चुना गया था. जिसमें एक ग्राम प्रधान भुजपुरा के गिरीश चन्द्र थे. इन्हें प्रशासन ने प्रशिक्षण के लिए लखनऊ भेजा था. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वापस आकर इन्होंने ग्राम पंचायत भुजपुरा को मॉडल ग्राम पंचायत बनाने का प्रयास शुरू कर दिया. कई महीनों के अथक प्रयास के बाद गांव भुजपुरा में वो सभी विकास कार्य कराए जो एक मॉडल गांव में होने चाहिए.
ग्राम प्रधान गिरीश चन्द्र ने सबसे पहले स्कूलों की दशा सुधारी और स्कूलों को मॉडल स्कूल की तर्जपर विकसित किया. आज भुजपुरा ग्राम पंचायत के स्कूलों में पाथवे इंटरलॉकिंग, फर्श पर टाइलीकरण, शानदार फर्नीचर, सभी स्कूलों में शिक्षाप्रद वाल पेंटिंग, छात्र छात्राओं के लिए अलग अलग शौचालय, हैंडवाश सिस्टम, स्कूलों में पौधरोपण, स्मार्ट क्लास, आकर्षक ब्लैक बोर्ड, दिव्यांग बच्चों के लिए अलग शौचालय और रैंप के साथ ही पुस्तकालय आदि सभी व्यवस्थाएं मौजूद हैं.
पूरी ग्राम पंचायत में इंटरलॉकिंग सड़कें हैं. गांव के हर पोल पर एलईडी लाइट्स लगी हुई है.पूरे गांव में 32 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. जिनकी मॉनिटरिंग पंचायत घर में बैठकर की जाती है.यहा का पंचायत घर आकर्षक बना हुआ है. पंचायत घर पर पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगा हुआ है. इसी सिस्टम से अटैच स्पीकर पूरे गांव को कवर करते हुए लगाए गए हैं. पंचायत कार्यालय से ही सरकार की योजनाओं की अन्य जरूरी सूचनाएं ग्रामीणों तक पब्लिक एड्रेस सिस्टम से पहुंचाई जाती हैं.
ग्राम प्रधान भुजपुरा गिरीश चन्द्र ने बताया कि गांव में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया है. लोग सुबह सो कर उठ नहीं पाते हैं, तब तक पूरे गांव में झाड़ू लग जाती है. वहीं, गीले और सूखे कूड़े एवं प्लास्टिक के कूड़े के लिए अलग-अलग कूड़ेदान लगाए गए हैं. पंचायत घर में बच्चों के खेलने के लिए आधुनिक खेल प्रांगण तैयार किया गया है. वहीं, महिलाओं के लिए आधुनिक महिला सशक्तीकरण द्वार बनाया गया है. इसके अलावा आकर्षक आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण किया गया है.
गांव में अपने घर के बाहर बैठी कुछ महिलाओं ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि ऐसा विकास उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था. सुमन ने बताया कि पहले रात में हम लोग खाना खा पीकर लेट जाते थे. इसके अलावा हम लोग अपने घरों से बाहर तक नहीं निकलते थे, क्योंकि चारों तरफ अंधेरा रहता था. इस वजह से डर लगता था. लेकिन अब हर खंभे पर लाइट लगी है. अब हम सब रात में भी बाहर बैठ कर बातें करते हुए टहलते हैं. यहां सीसीटीवी कैमरे लगने से हमें सुरक्षा का अहसास होता है.
गांव की बबिता ने बताया कि हमारा गांव मॉडल गांव बन गया है. यह सुन कर अच्छा लग रहा है. गांव के स्कूल तो इतने अच्छे हो गए हैं कि प्राइवेट स्कूल भी इनके आगे फीके साबित हो रहे हैं. जिसके चलते गांव के और मेरे परिवार के बच्चे अब प्राइवेट स्कूल में न जाकर गांव के ही सरकारी स्कूल में एडमिशन ले रहे हैं.
सुमन ने बताया कि जब से इस गांव में वह शादी से आयी हैं. इस गांव में इतना विकास कार्य कभी नहीं हुआ था. यहां गांव में नाली और सड़कें पक्की बन गई हैं. अब पूरे गांव में लाईटें, कैमरे लगे हुए हैं. साथ ही गांव के प्रधान गिरीश चन्द्र लाउडस्पीकर से सारी जानकारी घर बैठ कर दे देते हैं. यह विकास योगी और मोदी की सरकार की वजह से हुआ है. सुमन ने कहा कि वह चाहती हैं कि यही प्रधान दोबारा बने. जिससे गांव का और विकास हो.
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