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कासगंज साइकिल से पहुंचा प्रवासी मजदूर परिवार, बोला- अब नहीं जाऊंगा कभी नोएडा

मैं अब नोएडा कभी नहीं जाऊंगा. वहां के मकान मालिक ने मुझे घर से बाहर कर दिया. इस मामले की शिकायत मैंने प्रशासन से की, लेकिन मेरी किसी ने नहीं सुनी. मैं दो दिन पत्नी और दो छोटे बच्चों के साथ बाहर सोया. इसके बाद मैंने साइकिल से परिवार के साथ घर जाने का फैसला लिया. ये कहना है हरदोई के रहने वाले प्रेमचंद्र का, जो नोएडा से साइकिल चलाकर कासगंज पहुंचे थे.

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साइकिल से घर के लिए निकल पड़ा प्रवासी मजदूर परिवार.
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Published : May 17, 2020, 9:38 AM IST

Updated : May 17, 2020, 11:47 AM IST

कासगंजः लॉकडाउन के चलते दूसरे प्रांतों से श्रमिकों का अपने घरों के लिए लगातार पलायन हो रहा है. वहीं एक श्रमिक नोएडा से साइकिल पर पत्नी और तीन बच्चों सहित पूरा परिवार लेकर हरदोई के लिए निकल पड़ा. दो दिन साइकिल से यात्रा करने के बाद तीसरे दिन कासगंज पहुंचकर उसने रात्रि विश्राम किया. यहां ईटीवी भारत ने उस श्रमिक से उसकी यात्रा को लेकर विस्तार से बात की.

साइकिल से घर के लिए निकल पड़ा प्रवासी मजदूर परिवार.

हरदोई के रहने वाले प्रेमचंद नोएडा के सेक्टर-93 में रहते थे. प्रेमचंद्र ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि उनके मकान मालिक ने उनके पूरे परिवार को घर के बाहर निकाल दिया और घर में ताला डाल दिया. उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि कहीं और रहकर गुजारा कर सके और काम न होने कारण भूख भी सताने लगी थी. उनका कहना है कि इस दौरान नोएडा सरकारी तंत्र ने भी उनकी कोई मदद नहीं की.

प्रेमचंद का कहना है कि घर जाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने पहुंचे तो साइट ही नहीं खुली. इससे उनका रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो पाया. जिसके बाद घर वापस आना प्रेमचंद की मजबूरी हो गई. प्रेमचंद साइकिल पर ही अपनी पत्नी और तीन बच्चों और कुछ सामान लेकर अपने घर हरदोई के लिए निकल पड़े. प्रेमचंद ने बताया नोएडा से कासगंज तक की यात्रा में बीच-बीच में 1 घंटे या कभी 2 घंटे रास्ते में आराम कर लिया करते थे.

इसे भी पढे़ं- गुजरात के आनंद से 1359 मजदूरों को लेकर कासगंज पहुंची 'श्रमिक स्पेशल ट्रेन'

प्रेमचंद ने बताया कि पटियाली पहुंचने पर इंस्पेक्टर शैलेंद्र प्रताप गौतम ने पूरे परिवार को भोजन कराया. साथ ही एक शेल्टर होम में उनके रुकने की व्यवस्था कराई. इसके चलते प्रेमचंद स्थानीय पुलिस को धन्यवाद देते हैं. वापस काम पर जाने के सवाल पर प्रेमचंद ने कहा कि अब मैं रोजी-रोटी कमाने के लिए वापस वहां नहीं जाना चाहता.

उन्होंने कहा न तो वहां के लोग अच्छे लगे न ही प्रशासन ने कोई सुविधा दी. जहां इस संकट काल में लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. ऐसे में हमारे मकान मालिक ने हमको घर से बाहर निकाल दिया और ताला लगा दिया. अब चाहे गांव में खेती-बाड़ी करनी पड़े या मजदूरी, जैसे भी हो बच्चों का पेट अब गांव में रहकर ही पालेंगे, लेकिन रोजी-रोटी कमाने नोएडा वापस नहीं जाएंगे.

कासगंजः लॉकडाउन के चलते दूसरे प्रांतों से श्रमिकों का अपने घरों के लिए लगातार पलायन हो रहा है. वहीं एक श्रमिक नोएडा से साइकिल पर पत्नी और तीन बच्चों सहित पूरा परिवार लेकर हरदोई के लिए निकल पड़ा. दो दिन साइकिल से यात्रा करने के बाद तीसरे दिन कासगंज पहुंचकर उसने रात्रि विश्राम किया. यहां ईटीवी भारत ने उस श्रमिक से उसकी यात्रा को लेकर विस्तार से बात की.

साइकिल से घर के लिए निकल पड़ा प्रवासी मजदूर परिवार.

हरदोई के रहने वाले प्रेमचंद नोएडा के सेक्टर-93 में रहते थे. प्रेमचंद्र ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि उनके मकान मालिक ने उनके पूरे परिवार को घर के बाहर निकाल दिया और घर में ताला डाल दिया. उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि कहीं और रहकर गुजारा कर सके और काम न होने कारण भूख भी सताने लगी थी. उनका कहना है कि इस दौरान नोएडा सरकारी तंत्र ने भी उनकी कोई मदद नहीं की.

प्रेमचंद का कहना है कि घर जाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने पहुंचे तो साइट ही नहीं खुली. इससे उनका रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो पाया. जिसके बाद घर वापस आना प्रेमचंद की मजबूरी हो गई. प्रेमचंद साइकिल पर ही अपनी पत्नी और तीन बच्चों और कुछ सामान लेकर अपने घर हरदोई के लिए निकल पड़े. प्रेमचंद ने बताया नोएडा से कासगंज तक की यात्रा में बीच-बीच में 1 घंटे या कभी 2 घंटे रास्ते में आराम कर लिया करते थे.

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प्रेमचंद ने बताया कि पटियाली पहुंचने पर इंस्पेक्टर शैलेंद्र प्रताप गौतम ने पूरे परिवार को भोजन कराया. साथ ही एक शेल्टर होम में उनके रुकने की व्यवस्था कराई. इसके चलते प्रेमचंद स्थानीय पुलिस को धन्यवाद देते हैं. वापस काम पर जाने के सवाल पर प्रेमचंद ने कहा कि अब मैं रोजी-रोटी कमाने के लिए वापस वहां नहीं जाना चाहता.

उन्होंने कहा न तो वहां के लोग अच्छे लगे न ही प्रशासन ने कोई सुविधा दी. जहां इस संकट काल में लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. ऐसे में हमारे मकान मालिक ने हमको घर से बाहर निकाल दिया और ताला लगा दिया. अब चाहे गांव में खेती-बाड़ी करनी पड़े या मजदूरी, जैसे भी हो बच्चों का पेट अब गांव में रहकर ही पालेंगे, लेकिन रोजी-रोटी कमाने नोएडा वापस नहीं जाएंगे.

Last Updated : May 17, 2020, 11:47 AM IST
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