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'शीला बुआ' के जज्बे को सलाम, 62 की उम्र में भी साइकिल से बेचती हैं दूध - कासगंज खबर

आज हम आपको एक ऐसी बुजुर्ग विधवा महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जो महिला सशक्तीकरण का जीता-जागता उदाहरण हैं. विवाह के एक वर्ष बाद ही पति की मौत हो गयी. जिसके बाद से वह साइकिल से गांव-गांव जाकर दूध बेचकर अपना जीवन यापन कर रहीं हैं. आज उनकी उम्र 62 वर्ष है, लेकिन उम्र को मात देकर वह आत्मनिर्भर हैं. उन्होंने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया. पिछले 22 सालों से साईकिल से ही दूध का कारोबार कर रहीं हैं. गांव में प्यार से लोग उन्हें शीला बुआ कहते हैं.

लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला
लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला
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Published : Jan 18, 2021, 1:36 PM IST

Updated : Jan 18, 2021, 2:52 PM IST

कासगंज : जिले के सहावर तहसील के खेड़ा गांव की रहने वाली हैं बुजुर्ग महिला शीला देवी. आज वो महिला सशक्तीकरण का जीता-जागता उदाहरण हैं. विवाह के एक वर्ष बाद ही पति की मौत हो गयी. लेकिन इसके बावजूद अपने को किसी ऊपर बोझ नहीं बनने दिया. वह 22 सालों से साइकिल से गांव-गांव जाकर दूध बेचकर अपना जीवन यापन कर रहीं हैं. आज उनकी उम्र 62 वर्ष है, लेकिन इस उम्र में भी वह आत्मनिर्भर हैं. उन्होंने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया. गांव में प्यार से लोग उन्हें शीला बुआ कहते हैं.

लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला 'शीला बुआ'

1981 में हो गई थी पति की मौत

कासगंज जनपद की सहावर तहसील के गांव खेड़ा की रहने वाली शीला देवी की शादी 1980 में हुई थी. विवाह के एक वर्ष बाद ही पति की मौत हो गयी. इतनी कम उम्र में मानो उन पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा. पति की मौत के बाद शीला देवी वापस अपने पिता के घर गांव खेड़ा आकर रहने लगीं. वह किसी पर बोझ नहीं बनना चाहतीं थीं. जिसके बाद उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए अपने पिता की 4 बीघा जमीन में ही खेती-बाड़ी में हाथ बंटाना शुरू किया.

लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला
लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला

पति की मौत के बाद पिता और मां की मौत

अभी धीरे-धीरे शीला देवी की जिंदगी की गाड़ी पटरी पर आई थी कि एक वर्ष में ही उनके पिता और मां का देहांत हो गया. पहले पति फिर मां-बाप की मौत ने उन्हें झकझोर दिया. मगर शीला देवी के मजबूत इरादों ने हार नहीं मानी. अन्य महिलाओं की तरह नियति का खेल समझ शीला देवी घर पर नहीं बैठीं. जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने एक-दो भैंसें खरीदी और फिर दूध के काम की शुरुआत की. वह पास के ही कस्बों में साइकिल से दूध बेचने जाने लगीं. आज वह 22 वर्ष बाद 62 साल की उम्र में भी साइकिल से घर-घर और दुकान-दुकान जाकर दूध बेचती हैं. कुछ दूध उनकी भैसों से मिलता है तो कुछ दूध वह गांवों में पशुपालकों से खरीद लेतीं हैं.

लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला
लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला

कठिन है शीला देवी की दिनचर्या

उनकी दिनचर्या की बात करें तो वो सर्दी हो या गर्मी सुबह 4 बजे उठ जाती हैं. दूध की बड़ी कैनों को साइकिल पर लादकर 5 किलोमीटर दूर अमांपुर कस्बे में जाकर ग्राहकों को दूध बेचती हैं. फिर दोपहर ढाई बजे वापस घर आकर अपने लिए खाना बनाती हैं खाती हैं. उसके बाद सायं 4 बजे फिर साइकिल से गांवों में जाकर दूध खरीदना और दूध खरीदकर सायं 7 बजे वापस घर वापस आती हैं. फिर भैसों के चारे दाने से लेकर दूध निकालने तक के सारे काम शीला देवी खुद ही करतीं हैं.

लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला
लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला

महिला सशक्तीकरण का उदाहरण हैं शीला बुआ

पति और मां-बाप की मौत के बाद शीला बुआ ने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया. कड़ी मेहनत कर वह आत्मनिर्भर बनीं और अपने मजबूत इरादों से वो कर दिखाया, जिसको देख लोग दांतों तले उंगलीय दवा लेते हैं. जमाना आज शीला बुआ की मिसाल देता है. 62 साल की उम्र में भी शीला बुआ उसी जोश-खरोश के साथ खुद ही साइकिल चलाकर 5 किलोमीटर दूर कस्बे में घर-घर दूध बेचने जाती हैं. वह अपने काम में गौरव महसूस करतीं हैं.

लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला
लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला

इन सरकारी योजनाओं का नहीं मिला लाभ

शीला बुआ का कहना है कि उनकी पेंशन बनी थी अब वह भी बंद हो गयी है. किसान सम्मान निधि योजना में भी रजिस्ट्रेशन कराया लेकिन हमें अभी तक कोई लाभ नहीं मिला है. न ही आयुष्मान भारत योजना के तहत उनका कार्ड ही बना है. सिर्फ शौचालय ग्राम पंचायत की तरफ से मिला है. शीला बुआ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी से सरकारी योजनाओं का लाभ दिए जाने की मांग की हैं.

साइकिल से दूध बेच रहीं 62 साल की महिला
साइकिल से दूध बेच रहीं 62 साल की महिला

कासगंज : जिले के सहावर तहसील के खेड़ा गांव की रहने वाली हैं बुजुर्ग महिला शीला देवी. आज वो महिला सशक्तीकरण का जीता-जागता उदाहरण हैं. विवाह के एक वर्ष बाद ही पति की मौत हो गयी. लेकिन इसके बावजूद अपने को किसी ऊपर बोझ नहीं बनने दिया. वह 22 सालों से साइकिल से गांव-गांव जाकर दूध बेचकर अपना जीवन यापन कर रहीं हैं. आज उनकी उम्र 62 वर्ष है, लेकिन इस उम्र में भी वह आत्मनिर्भर हैं. उन्होंने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया. गांव में प्यार से लोग उन्हें शीला बुआ कहते हैं.

लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला 'शीला बुआ'

1981 में हो गई थी पति की मौत

कासगंज जनपद की सहावर तहसील के गांव खेड़ा की रहने वाली शीला देवी की शादी 1980 में हुई थी. विवाह के एक वर्ष बाद ही पति की मौत हो गयी. इतनी कम उम्र में मानो उन पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा. पति की मौत के बाद शीला देवी वापस अपने पिता के घर गांव खेड़ा आकर रहने लगीं. वह किसी पर बोझ नहीं बनना चाहतीं थीं. जिसके बाद उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए अपने पिता की 4 बीघा जमीन में ही खेती-बाड़ी में हाथ बंटाना शुरू किया.

लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला
लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला

पति की मौत के बाद पिता और मां की मौत

अभी धीरे-धीरे शीला देवी की जिंदगी की गाड़ी पटरी पर आई थी कि एक वर्ष में ही उनके पिता और मां का देहांत हो गया. पहले पति फिर मां-बाप की मौत ने उन्हें झकझोर दिया. मगर शीला देवी के मजबूत इरादों ने हार नहीं मानी. अन्य महिलाओं की तरह नियति का खेल समझ शीला देवी घर पर नहीं बैठीं. जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने एक-दो भैंसें खरीदी और फिर दूध के काम की शुरुआत की. वह पास के ही कस्बों में साइकिल से दूध बेचने जाने लगीं. आज वह 22 वर्ष बाद 62 साल की उम्र में भी साइकिल से घर-घर और दुकान-दुकान जाकर दूध बेचती हैं. कुछ दूध उनकी भैसों से मिलता है तो कुछ दूध वह गांवों में पशुपालकों से खरीद लेतीं हैं.

लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला
लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला

कठिन है शीला देवी की दिनचर्या

उनकी दिनचर्या की बात करें तो वो सर्दी हो या गर्मी सुबह 4 बजे उठ जाती हैं. दूध की बड़ी कैनों को साइकिल पर लादकर 5 किलोमीटर दूर अमांपुर कस्बे में जाकर ग्राहकों को दूध बेचती हैं. फिर दोपहर ढाई बजे वापस घर आकर अपने लिए खाना बनाती हैं खाती हैं. उसके बाद सायं 4 बजे फिर साइकिल से गांवों में जाकर दूध खरीदना और दूध खरीदकर सायं 7 बजे वापस घर वापस आती हैं. फिर भैसों के चारे दाने से लेकर दूध निकालने तक के सारे काम शीला देवी खुद ही करतीं हैं.

लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला
लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला

महिला सशक्तीकरण का उदाहरण हैं शीला बुआ

पति और मां-बाप की मौत के बाद शीला बुआ ने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया. कड़ी मेहनत कर वह आत्मनिर्भर बनीं और अपने मजबूत इरादों से वो कर दिखाया, जिसको देख लोग दांतों तले उंगलीय दवा लेते हैं. जमाना आज शीला बुआ की मिसाल देता है. 62 साल की उम्र में भी शीला बुआ उसी जोश-खरोश के साथ खुद ही साइकिल चलाकर 5 किलोमीटर दूर कस्बे में घर-घर दूध बेचने जाती हैं. वह अपने काम में गौरव महसूस करतीं हैं.

लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला
लोगों के लिए मिसाल बनीं 62 साल की महिला

इन सरकारी योजनाओं का नहीं मिला लाभ

शीला बुआ का कहना है कि उनकी पेंशन बनी थी अब वह भी बंद हो गयी है. किसान सम्मान निधि योजना में भी रजिस्ट्रेशन कराया लेकिन हमें अभी तक कोई लाभ नहीं मिला है. न ही आयुष्मान भारत योजना के तहत उनका कार्ड ही बना है. सिर्फ शौचालय ग्राम पंचायत की तरफ से मिला है. शीला बुआ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी से सरकारी योजनाओं का लाभ दिए जाने की मांग की हैं.

साइकिल से दूध बेच रहीं 62 साल की महिला
साइकिल से दूध बेच रहीं 62 साल की महिला
Last Updated : Jan 18, 2021, 2:52 PM IST
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