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सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी थामेगी रोडवेज बसों की स्टीयरिंग

उत्तर प्रदेश के कानपुर में पहली बार महिलाओं को बस चलाने के लिए ट्रेन किया जा रहा है. ऐसा पहली बार है कि महिलाएं रोडवेज बसों की कमान संभालेगी. इसके लिए कौशल विकास योजना के अंतर्गत उनको ट्रेनिंग दी जा रही है.

महिला दिवस.
महिला दिवस.
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Published : Mar 4, 2021, 5:01 PM IST

कानपुरः आज के दौर में हर क्षेत्र में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कदमताल कर रही हैं. चाहे वह सेना हो चाहे कोई भी क्षेत्र हो, महिलाएं हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं. वहीं अब एक और क्षेत्र में महिलाएं कदम रखने जा रही हैं. उत्तर प्रदेश के कानपुर में पहली बार महिलाओं को बस चलाने के लिए ट्रेन किया जा रहा है. ऐसा पहली बार है कि महिलाएं रोडवेज बसों की कमान संभालेगी. इसके लिए कौशल विकास योजना के अंतर्गत उनको ट्रेनिंग दी जा रही है. महिला सशक्तिकरण का यह एक जीता जागता उदाहरण है कि अब तक 20 महिला इस प्रशिक्षण केंद्र में आ चुकी हैं और वह सब इससे बहुत खुश हैं. उनका कहना है कि वह मन लगाकर प्रशिक्षण लेंगी और भविष्य में 2 साल बाद बसों की कमान संभालेगी.

रोडवेज में महिला चालक.

कौशल विकास योजना के तहत हुई शुरुआत

आपको बता दें कि कौशल विकास योजना के तहत लोगों को रोजगार देने के लिए सरकार द्वारा योजना चलाई जा रही है. इसके तहत उन्हें किसी एक क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसी के अंतर्गत पहली बार कौशल विकास योजना में एक साथ दो प्रशिक्षण को जोड़कर महिलाओं के लिए कोर्स तैयार किया जा रहा है. इसमें हल्के वाहन चलाने के लिए प्रशिक्षण और भारी वाहन चलाने का प्रशिक्षण मिलाकर महिलाओं के लिए यह स्पेशल कोर्स तैयार किया गया है. इसने उन्हें कमर्शियल गाड़ियां चलाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. ताकि वह भी पुरुषों की तरीके बसों की कमान संभाल सकें.

महिलाओं को प्रशिक्षित करते ट्रेनिंग संस्थान के प्रशिक्षक.
महिलाओं को प्रशिक्षित करते ट्रेनिंग संस्थान के प्रशिक्षक.

6 महीने कहां है रेजिडेंशियल प्रोग्राम

आपको बता दें कि यह प्रशिक्षण 6 महीने चलेगा, जिसमें महिलाएं सड़क संबंधित सभी जानकारियां प्राप्त करेंगी. अभी 2 महीने डेमो क्लासेस क्लास रूम में चलेंगे. उसके बाद जमीनी स्तर पर वह लोग गाड़ियां चलाकर ड्राइविंग के गुर सीखेंगी.

पिंक बस चलाने में काम आएंगी महिलाएं

महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए कौशल विकास योजना के अंतर्गत इस कोर्स को शुरू किया गया है. इसका एक फायदा यह भी है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही पिंक बसों को अब संचालित भी महिलाएं करेंगी. पिंक बस महिलाओं के लिए ही बनाई गई है, लेकिन अभी उन में ड्राइवर के तौर पर पुरुष कार्य कर रहे हैं. महिलाओं को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जब उनका समय पूरा हो जाएगा. तब महिलाएं पिंक बस की कमान संभालेंगी.

सुरक्षा का रखा जाएगा विशेष ख्याल

महिलाओं की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए पिंक बसों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन भी दिया गया है. इससे किसी भी आपातकाल की स्थिति में महिलाएं पैनिक बटन दबाकर सुरक्षा के इंतजाम कर सकेंगी. इतना ही नहीं सीसीटीवी से भी बसों की मॉनिटरिंग लगातार की जाएगी. जीपीएस सिस्टम भी बसों में लगाया गया है ताकि किसी भी प्रकार की महिलाओं के साथ कोई भी घटना न हो सकें.

कानपुरः आज के दौर में हर क्षेत्र में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कदमताल कर रही हैं. चाहे वह सेना हो चाहे कोई भी क्षेत्र हो, महिलाएं हर क्षेत्र में आगे आ रही हैं. वहीं अब एक और क्षेत्र में महिलाएं कदम रखने जा रही हैं. उत्तर प्रदेश के कानपुर में पहली बार महिलाओं को बस चलाने के लिए ट्रेन किया जा रहा है. ऐसा पहली बार है कि महिलाएं रोडवेज बसों की कमान संभालेगी. इसके लिए कौशल विकास योजना के अंतर्गत उनको ट्रेनिंग दी जा रही है. महिला सशक्तिकरण का यह एक जीता जागता उदाहरण है कि अब तक 20 महिला इस प्रशिक्षण केंद्र में आ चुकी हैं और वह सब इससे बहुत खुश हैं. उनका कहना है कि वह मन लगाकर प्रशिक्षण लेंगी और भविष्य में 2 साल बाद बसों की कमान संभालेगी.

रोडवेज में महिला चालक.

कौशल विकास योजना के तहत हुई शुरुआत

आपको बता दें कि कौशल विकास योजना के तहत लोगों को रोजगार देने के लिए सरकार द्वारा योजना चलाई जा रही है. इसके तहत उन्हें किसी एक क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसी के अंतर्गत पहली बार कौशल विकास योजना में एक साथ दो प्रशिक्षण को जोड़कर महिलाओं के लिए कोर्स तैयार किया जा रहा है. इसमें हल्के वाहन चलाने के लिए प्रशिक्षण और भारी वाहन चलाने का प्रशिक्षण मिलाकर महिलाओं के लिए यह स्पेशल कोर्स तैयार किया गया है. इसने उन्हें कमर्शियल गाड़ियां चलाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. ताकि वह भी पुरुषों की तरीके बसों की कमान संभाल सकें.

महिलाओं को प्रशिक्षित करते ट्रेनिंग संस्थान के प्रशिक्षक.
महिलाओं को प्रशिक्षित करते ट्रेनिंग संस्थान के प्रशिक्षक.

6 महीने कहां है रेजिडेंशियल प्रोग्राम

आपको बता दें कि यह प्रशिक्षण 6 महीने चलेगा, जिसमें महिलाएं सड़क संबंधित सभी जानकारियां प्राप्त करेंगी. अभी 2 महीने डेमो क्लासेस क्लास रूम में चलेंगे. उसके बाद जमीनी स्तर पर वह लोग गाड़ियां चलाकर ड्राइविंग के गुर सीखेंगी.

पिंक बस चलाने में काम आएंगी महिलाएं

महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए कौशल विकास योजना के अंतर्गत इस कोर्स को शुरू किया गया है. इसका एक फायदा यह भी है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही पिंक बसों को अब संचालित भी महिलाएं करेंगी. पिंक बस महिलाओं के लिए ही बनाई गई है, लेकिन अभी उन में ड्राइवर के तौर पर पुरुष कार्य कर रहे हैं. महिलाओं को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जब उनका समय पूरा हो जाएगा. तब महिलाएं पिंक बस की कमान संभालेंगी.

सुरक्षा का रखा जाएगा विशेष ख्याल

महिलाओं की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए पिंक बसों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन भी दिया गया है. इससे किसी भी आपातकाल की स्थिति में महिलाएं पैनिक बटन दबाकर सुरक्षा के इंतजाम कर सकेंगी. इतना ही नहीं सीसीटीवी से भी बसों की मॉनिटरिंग लगातार की जाएगी. जीपीएस सिस्टम भी बसों में लगाया गया है ताकि किसी भी प्रकार की महिलाओं के साथ कोई भी घटना न हो सकें.

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