कानपुर: जिले के राजकीय बालिका संरक्षण गृह मामले में 57 बच्चियों में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद इस मामले को लेकर राजनीति तेज हो गई है. वहीं सरकार ने प्रदेश के अन्य जिलों में महिला गृहों, नारी निकेतन, बाल गृहों में कोरोना को लेकर सख्ती बरतने के आदेश दिए हैं. इस मामले के सामने आने के बाद आएदिन कोई न कोई राजनेता या महिला आयोग का सदस्य कानपुर के राजकीय बालिका संरक्षण गृह का दौरा कर रहा है. इसी क्रम में महिला बाल कल्याण मंत्री स्वाति सिंह भी शुक्रवार को राजकीय बालिका संरक्षण गृह पहुंचीं. उन्होंने बालिका गृह का निरीक्षण किया. इसके साथ ही पूरे मामले में अधिकारियों से रिपोर्ट ली.
स्वाति सिंह ने किया कानपुर बालिका गृह का निरीक्षण
इस मामले में विपक्ष सरकार पर चाहे जो आरोप लगा रहा हो, लेकिन यूपी की महिला बाल कल्याण मंत्री स्वाति सिंह इस मामले में कोई चूक नहीं मानती. उन्होंने कानपुर में राजकीय गृह बालिका गृह का निरीक्षण किया. इसके बाद सर्किट हाउस में बातचीत करते हुए उन्होंने बालिका गृह में किसी तरह की चूक होने से इनकार किया. उन्होंने कहा कि बालिका गृह में कोई चूक नहीं हुई. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि आप जानते हैं यह न्यूज गलत ढंग चलवाई गई. पॉक्सो की पीड़ित लड़कियां पहले से ही प्रेग्नेंट थीं. इसमें सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की गई. इस दौरान उन्होंने प्रियंका गांधी को बाल संरक्षण आयोग की तरफ से नोटिस दिए जाने को सही ठहराते हुए कहा कि योगी और मोदी की सरकार में सभी के लिए समान नियम हैं.
57 संवासिनियां मिली थीं कोरोना संक्रमित
राजकीय बालिका संरक्षण गृह में 57 संवासिनियों के कोरोनावायरस पॉजिटिव पाये जाने के बाद हड़कंप मच गया था. इसके बाद जब इन संवासिनियों की जांच कराई गई तो उसमें कुछ नाबालिग बालिकाएं गर्भवती मिली थीं. इस पूरे मामले को लेकर विपक्ष ने भी सरकार पर जमकर निशाना साधा था. इतना ही नहीं ट्विटर पर भी सपा, बसपा और कांग्रेस सभी ने सरकार को घेरा था. इस मामले के बाद महिला आयोग ने भी अपनी टीम को भेजकर इसका जायजा लिया था. बाद में इस मामले में सामने आया कि जांच में गर्भवती आईं बालिकाएं बालिका केंद्र में आने से पहले से ही गर्भवती थीं.
योगी सरकार सख्त
इस मामले में कार्रवाई करते हुए सीएम योगी के निर्देश पर लापरवाही बरतने के आरोप में जिला प्रोबेशन अधिकारी अजीत कुमार और डीपीओ को भी निलंबित किया गया है. निलंबन की अवधि में महिला कल्याण निदेशालय लखनऊ से उन्हें सम्बद्ध किया गया है. इसी के साथ इस मामले में शेल्टर होम की अधीक्षिका मिथलेश पाल को अनियमितताओं के आरोप में निलंबित कर दिया गया है.