कानपुर : देशभर की चीनी मिलों और इकाइयों को अब ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा. इसके लिए कवायद शुरू हो गई है. इसके पीछे अहम वजह है, भारत को 2070 तक कार्बन न्यूट्रल फ्री करना. इस कड़ी में कदम बढ़ाते हुए कानपुर के कल्याणपुर स्थित राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) में पहला ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट स्थापित किया गया है. यहां रोजाना प्रति घंटे दो किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन तैयार हो सकेगी.
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत प्लांट की स्थापना को लेकर एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि हम फिल्टर केक से कम्प्रेस्ड बायोगैस बनाएंगे. इस बायोगैस से ही ग्रीन हाइड्रोजन बन जाएगी. इसके लिए संस्थान व पेगनिज्म इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड के विशेषज्ञों ने मिलकर नवीन तकनीक विकसित की है. इस पायलट प्लांट को तैयार होने में जहां करीब तीन साल का समय लगा, वहीं कुल साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. इस मौके पर महाराष्ट्र शुगर फेडरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय खताल, डॉ.गौरव मिश्रा, डॉ.महेश पेगनिस आदि मौजूद रहे. एनएसआई के निदेशक प्रो.नरेंद्र मोहन ने बताया कि जब हम 100 किलोग्राम कम्प्रेस्ड बायोगैस बनाएंगे तो उससे 25 किलोग्राम ग्रीन हाइड्रोजन तैयार होगी. साथ ही 75 किलोग्राम कार्बन ब्लैक भी तैयार होगा. जिसका प्रयोग पेंट, रबर व टायर इंडस्ट्री में किया जा सकेगा. बताया कि अब चीनी मिलों के सामने ग्रीन हाइड्रोजन को तैयार करने का विकल्प मौैजूद रहेगा.
वहीं, बुधवार को एनएसआई में शर्करा उद्योग द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन- संभावनाएं एवं चुनौतियां विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई. जिसमें यूपी की बलरामपुर चीनी मिल लिमिटेड, यूपी मेसर्स, भारत शुगर एंड इंडस्ट्री लिमिटेड, मेसर्स धामपुर समेत कई अन्य चीनी मिल के पदाधिकारियों को सम्मानित किया गया.
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