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कानपुर की इन तीन सीटों के इस बार बदल गए सियासी समीकरण...पढ़िए पूरी खबर - Congress News

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में इस बार कानपुर की तीन विधानसभा सीटों में सियासी समीकरण बदल गए हैं. चलिए जानते हैं इस बार किस पार्टी ने इन सीटों को जीतने के लिए कौन सा दांव चला है.

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कानपुर की तीन सीटों पर बदल गए सियासी समीकरण.
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Published : Feb 3, 2022, 3:47 PM IST

Updated : Feb 4, 2022, 2:46 PM IST

कानपुर: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में शहर की तीन विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां 2022 में बीते विधानसभा चुनाव 2017 की तुलना में सियासी समीकरण बदल गए हैं. इन सीटों पर किस दल का परचम फहरेगा ये तो आने वाली दस मार्च को ही पता चलेगा. बहराल, शहरियों की जुबां पर इन दिनों इन सीटों के सियासी समीकरण की चर्चा जोरो पर है.

कानपुर ये तीन सीटे हैं कैंट, सीसामऊ और आर्यनगर. दरअसल, 2017 के पिछले चुनाव में ये तीनों ही सीटें भाजपा जीत नहीं सकी थी. इन तीनों ही सीटों पर कांग्रेस-सपा गठबंधन के प्रत्याशियों को जीत मिली थी. कैंट से जहां सोहले अख्तर अंसारी जीते थे तो वहीं सीसामऊ से इरफान सोलंकी ने जीत दर्ज की थी. आर्य़नगर सीट से सपा के अमिताभ बाजपेयी ने जीत दर्ज की थी.

इस वजह से बदले समीकरण

तीनों ही सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. खासकर दो सीटों यानी कैंट और सीसामऊ में तो मुस्लिम मतदाता प्रत्याशी को जिताने की स्थिति में हैं. पिछली बार सपा और कांग्रेस का गठबंधन था. इस वजह से इन दोनों ही दलों के वोट एक ही प्रत्याशी की झोली में गिरे थे और वे जीत गए थे. इस बार सपा और कांग्रेस की राहें अलग-अलग हैं. ऐसे में जाहिर है वोटों में भी बंटवारा होगा. यहीं नहीं एक सीट पर दो दलों के मुस्लिम प्रत्याशी लड़ने से वोट तेजी से बंट जाएंगे, ऐसे में सपा और कांग्रेस दोनों ही इसे लेकर चिंतित हैं. अगर मौजूदा समय की बात की जाए तो कैंट से सपा ने जहां मोहम्मद हसन रुमी को चुनाव मैदान में उतार दिया है तो वहीं कांग्रेस से सोहिल अख्तर दोबारा मैदान में हैं. ऐसे में इन दोनों ही प्रत्याशियों के बीच मुस्लिम मत बंटना तय है यानि पिछली बार की तरह किसी एक को पूरे वोट नहीं मिलेंगे. मौजूदा समय में इस सीट से भाजपा प्रत्याशी रघुनंदन भदौरिया हैं. वह 2012 के विधानसभा चुनाव में जीते जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में वह हार गए थे.

ये भी पढ़ेंः नामांकन करने जा रहे मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह पर हमले की कोशिश, पुलिस ने बताई ये बात

कमोबेश यही स्थिति सीसामऊ सीट की भी है. सपा ने इरफान सोलंकी को टिकट देकर उन्हें प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं कांग्रेस ने हाजी सुहेल अहमद को पहली बार चुनाव लड़ने का मौका दिया है. सपा और कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी मुस्लिम हैं. यह विधानसभा मुस्लिम बाहुल्य वाली सीट है. ऐसे में यहां भी मुस्लिम मतों का बिखराव होना तय है जबकि पिछली बार ऐसा नहीं था. इस सीट से भाजपा की ओर से पूर्व विधायक सलिल विश्नोई हैं. उन्हें इस बार आर्यनगर विधानसभा के बजाए इस सीट से पार्टी ने टिकट थमाया है. 2017 का चुनाव वह हार गए थे.

बात, अगर आर्यनगर की करें तो यहां सपा से अमिताभ बाजपेई के सामने भाजपा ने ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सुरेश अवस्थी को टिकट थमा दिया है. विशेषज्ञ मान रहे हैं, कि इस सीट पर भी ब्राह्मण वोटों का बंटवारा होना तय है. कुल मिलाकर इस सीट के भी समीकरण इस बार बदल गए हैं.

2017 के चुनाव में तीनों सीटों की स्थिति

  • आर्यनगर विधानसभा: सपा के अमिताभ बाजपेई को वोट मिले करीब 70 हजार, भाजपा के सलिल विश्नोई को वोट मिले करीब 65 हजार.
  • सीसमऊ विधानसभा: सपा के इरफान सोलंकी को वोट मिले करीब 73 हजार, भाजपा के सुरेश अवस्थी को वोट मिले लगभग 67 हजार .
  • कैंट विधानसभा: कांग्रेस के सोहिल अख्तर को वोट मिले करीब 81 हजार, भाजपा के रघुनंदन सिंह भदौरिया को वोट मिले लगभग 72 हजार.

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कानपुर: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में शहर की तीन विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां 2022 में बीते विधानसभा चुनाव 2017 की तुलना में सियासी समीकरण बदल गए हैं. इन सीटों पर किस दल का परचम फहरेगा ये तो आने वाली दस मार्च को ही पता चलेगा. बहराल, शहरियों की जुबां पर इन दिनों इन सीटों के सियासी समीकरण की चर्चा जोरो पर है.

कानपुर ये तीन सीटे हैं कैंट, सीसामऊ और आर्यनगर. दरअसल, 2017 के पिछले चुनाव में ये तीनों ही सीटें भाजपा जीत नहीं सकी थी. इन तीनों ही सीटों पर कांग्रेस-सपा गठबंधन के प्रत्याशियों को जीत मिली थी. कैंट से जहां सोहले अख्तर अंसारी जीते थे तो वहीं सीसामऊ से इरफान सोलंकी ने जीत दर्ज की थी. आर्य़नगर सीट से सपा के अमिताभ बाजपेयी ने जीत दर्ज की थी.

इस वजह से बदले समीकरण

तीनों ही सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. खासकर दो सीटों यानी कैंट और सीसामऊ में तो मुस्लिम मतदाता प्रत्याशी को जिताने की स्थिति में हैं. पिछली बार सपा और कांग्रेस का गठबंधन था. इस वजह से इन दोनों ही दलों के वोट एक ही प्रत्याशी की झोली में गिरे थे और वे जीत गए थे. इस बार सपा और कांग्रेस की राहें अलग-अलग हैं. ऐसे में जाहिर है वोटों में भी बंटवारा होगा. यहीं नहीं एक सीट पर दो दलों के मुस्लिम प्रत्याशी लड़ने से वोट तेजी से बंट जाएंगे, ऐसे में सपा और कांग्रेस दोनों ही इसे लेकर चिंतित हैं. अगर मौजूदा समय की बात की जाए तो कैंट से सपा ने जहां मोहम्मद हसन रुमी को चुनाव मैदान में उतार दिया है तो वहीं कांग्रेस से सोहिल अख्तर दोबारा मैदान में हैं. ऐसे में इन दोनों ही प्रत्याशियों के बीच मुस्लिम मत बंटना तय है यानि पिछली बार की तरह किसी एक को पूरे वोट नहीं मिलेंगे. मौजूदा समय में इस सीट से भाजपा प्रत्याशी रघुनंदन भदौरिया हैं. वह 2012 के विधानसभा चुनाव में जीते जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में वह हार गए थे.

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कमोबेश यही स्थिति सीसामऊ सीट की भी है. सपा ने इरफान सोलंकी को टिकट देकर उन्हें प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं कांग्रेस ने हाजी सुहेल अहमद को पहली बार चुनाव लड़ने का मौका दिया है. सपा और कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी मुस्लिम हैं. यह विधानसभा मुस्लिम बाहुल्य वाली सीट है. ऐसे में यहां भी मुस्लिम मतों का बिखराव होना तय है जबकि पिछली बार ऐसा नहीं था. इस सीट से भाजपा की ओर से पूर्व विधायक सलिल विश्नोई हैं. उन्हें इस बार आर्यनगर विधानसभा के बजाए इस सीट से पार्टी ने टिकट थमाया है. 2017 का चुनाव वह हार गए थे.

बात, अगर आर्यनगर की करें तो यहां सपा से अमिताभ बाजपेई के सामने भाजपा ने ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सुरेश अवस्थी को टिकट थमा दिया है. विशेषज्ञ मान रहे हैं, कि इस सीट पर भी ब्राह्मण वोटों का बंटवारा होना तय है. कुल मिलाकर इस सीट के भी समीकरण इस बार बदल गए हैं.

2017 के चुनाव में तीनों सीटों की स्थिति

  • आर्यनगर विधानसभा: सपा के अमिताभ बाजपेई को वोट मिले करीब 70 हजार, भाजपा के सलिल विश्नोई को वोट मिले करीब 65 हजार.
  • सीसमऊ विधानसभा: सपा के इरफान सोलंकी को वोट मिले करीब 73 हजार, भाजपा के सुरेश अवस्थी को वोट मिले लगभग 67 हजार .
  • कैंट विधानसभा: कांग्रेस के सोहिल अख्तर को वोट मिले करीब 81 हजार, भाजपा के रघुनंदन सिंह भदौरिया को वोट मिले लगभग 72 हजार.

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Last Updated : Feb 4, 2022, 2:46 PM IST
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