कानपुर: नेपाल से चरस दिन प्रतिदिन यूपी में सप्लाई की जा रही है. इसकी डिमांड भी बढ़ने लगी है. लेकिन अब इस कारोबार पर लगाम लगाने के लिए एसटीएफ ने कमर कस ली है और इस पूरे नेटर्वक को ध्वस्त करने की कार्रवाई की जा रही है. साथ ही एसटीएफ अधिकारियों का दावा है कि एक से दो माह के अंदर सभी कारोबार करने वाले जेल की सलाखों के पीछे होंगे.
दरअसल, नेपाल से अब काला सोना कानपुर आना भी शुरू हो गया है. इस दौरान सबसे ज्यादा डिमांड कश्मीरी चरस की है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत पांच लाख रुपये प्रति किलोग्राम और नेपाल में 20 हजार रुपये प्रतिकिलोग्राम है. एसटीएफ अधिकारी के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मोतिहारी समेत कई अन्य शहरों से 28 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया. सभी महिलाएं रिसीवर (चरस लेकर बेचने वाली) के रूप में काम कर रही थीं. इन महिलाओं से पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिलीं. उन्होंने बताया कि बीरगंज, रक्सौल, चंदौली, सोनोली बार्डर समेत कई अन्य स्थानों में चरस का कारोबार बहुत तेजी से फल-फूल रहा है. इतना ही नहीं चरस के इस करोड़ों रुपये के कारोबार का मुख्य रूप से जिम्मा आसकरन, यासीन और फिरोज संभाल रहे हैं.
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गौतलब है कि एसटीएफ कानपुर की टीम को 2009 में एक कुंतल कश्मीरी चरस की खेप मिली थी. जबकि 13 सालों बाद यानी की 25 अप्रैल में बर्रा में एक बार फिर से टीम को 85 किलोग्राम कश्मीरी चरस बरामद हुई. इस पूरे मामले की जानकारी देने वाले आला अफसर ने बताया कि जिस जीप में चरस मिली, उसमें चरस को चेचिस के समीप दो बाक्स में भरकर रखा गया था, जिसका पता लगाना बेहद चुनौतीभरा था. वहीं, आला अधिकारियों का कहना था, कि एक से दो माह के अंदर सभी कारोबार करने वाले जेल की सलाखों के पीछे होंगे.
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