कानपुर: शहर के परेड चौराहा (Parade Chauraha in Kanpur) पर तीन जून को जब पुलिस के सामने दंगाई खुलेआम बम और गोलियां चला रहे थे, तो उनमें कुख्यात गैंग डी-2 के सदस्य अफजाल और बाबर शामिल थे. पूरे बवाल के मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी ने एसआईटी के सामने पूछताछ के दौरान जब यह सच्चाई उगली तो पुलिस अफसरों के होश फाख्ता हो गए.
इस डी-2 गैंग को खत्म करने के लिए जिस स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के आला अफसरों को कभी जिम्मेदारी दी गई थी, उन्होंने कई माह पहले यह दावा किया था कि शहर से यह गैंग खत्म हो चुका है. लेकिन अब एसटीएफ और स्थानीय पुलिस सवालों के घेरे में है. हयात ने पुलिस को यह तक बता दिया, कि तीन जून वाले बवाल में अफजाल, बाबर और उसके कई साथी शामिल थे.
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जानिए, क्या है डी-2 गैंग
एसटीएफ के आला अधिकारियों ने बताया कि डी-2 गैंग में डी का मतलब है डिस्ट्रिक्ट और टू का अर्थ है पंजीकरण संख्या. नौ जून 1997 को इस गैंग का पंजीकरण हुआ था. तब इसमें सदस्यों की संख्या नौ थी और सरगना था तौफीक उर्फ बिल्लू. गिरोह में उसके भाई अतीक, शफीक, इकबाल, रफीक और अफजाल के साथ इशरत, लईक कालिया और कई अन्य शामिल थे. गिरोह के सदस्यों ने उस दौर में भाड़े पर कई हत्याएं कीं. जब इस गिरोह का जाल पूरे देश में फैल गया तो 19 जनवरी 2010 को इसे अंतरराज्यीय गैंग का दर्जा मिल गया.
एसआइटी हर बिंदु पर कर रही जांच:
पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीना ने डी-2 गैंग के सक्रिय होने के बारे में कहा कि एसआइटी हर बिंदु पर जांच कर रही है. उन्होंने इशारों में यह भी कहा कि अब पुलिस डी-2 गैंग का सफाया करने की दिशा में कदम बढ़ाएगी. दरअसल, गैंग के सरगना अतीक का भाई अफजाल 25 दिनों पहले ही जेल से छूटा है. एसे में अब पुलिस अफजाल के क्राइम रिकार्ड की जांच कराएगी.
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