कानपुरः शहर में रविवार को जीका वायरस के छह और नए मरीज मिले हैं. सूत्रों की माने तो नए संक्रमित पोखरपुर और एयरफोर्स के बताए जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एक गर्भवती महिला को भी आइसोलेट किया है. इस तरह शहर में जीका वायरस से संक्रमितों की संख्या बढ़कर अब दस हो चुकी है. उधर, स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमितों के घरों के आसपास ट्रेसिंग शुरू करा दी है.
आपको बता दें कि शहर में जीका वायरस के तीन और मामले शनिवार को सामने आए थे. इन सभी मरीजों का स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में इलाज किया जा रहा है. पता लगाया जा रहा है कि आखिर यह वायरस कहां से फैलना शुरू हुआ है. स्वास्थ्य विभाग की कई टीमें बनाई गईं हैं. ये टीमें कॉटैंक्ट ट्रेसिंग और वायरस के फैलने की वजह पता लगाने में जुट गईं हैं. मरीजों के संपर्क में आने वालों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे जा रहे हैं. मरीजों के घरों में और आसपास छिड़काव किया जा रहा है.
इसके अलावा बीती 24 अक्टूबर को केरल के बाद कानपुर में जीका वायरस का पहला मरीज मिला था. यह 57 वर्षीय एयरफोर्स कर्मचारी है, जिसे डेंगू बुखार के लक्षण पर सेवेन एयरफोर्स अस्पताल में 19 अक्टूबर को भर्ती कराया गया. इनका सैंपल नेशनल इंस्टरट्यूट आफ वायरोलाजी, पुणे को सैंपल भेजा गया था. जहां से जीका पॉजिटिव रिपोर्ट मिली थी. इसी के बाद कानपुर में हड़कंप में मच गया था. स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में 22 लोगों को आइसोलेट कर दिया था. सभी के सैंपल जांच के लिए केजीएमयू लखनऊ भेजे गए थे.
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रविवार को छह और मरीज मिलने के बाद शहर में जीका वायरस से संक्रमितों की संख्या बढ़कर कुल दस हो चुकी है. आपको बता दें कि जीका वायरस का संक्रमण भी एक मच्छर के द्वारा ही फैलता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक जीका वायरस भी एडीज मच्छर से फैलता है किन्तु यह जीका वायरस डेंगू की तुलना में अधिक खतरनाक है, क्योकि जीका का न कोई टीका है, और न ही कोई इलाज जिससे लोगो की जान जाने का खतरा अधिक है. यह जीका वायरस लार (Saliva) और मूत्र से निकले पदार्थ द्वारा किसी पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है, या संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले तरल पदार्थ का किसी साधारण व्यक्ति के संपर्क में आने से भी फैल सकता है. विश्व स्वास्थ संगठन के मुताबिक जीका वायरस के संपर्क में आने वाले व्यक्ति के अंदर 3 से 14 दिनों के भीतर इस वायरस के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. यह वायरस गर्भवती महिलाओ के लिए अधिक खतरनाक होता है, क्योकि यह भ्रूण में आसानी से पहुंच जाता है. इसके अलावा यह ब्लड ट्रांसफ्यूश्न, ब्लड प्रोडक्ट्स, अंग प्रत्यारोपण या सेक्सुअल कॉन्टैक्ट के जरिये भी तेजी से फैलता है.