कानपुर: शहर के सबसे चर्चित मामलों में 1984 सिख दंगा मामले मेें आखिरकार चार साल बाद उन सभी पीड़ितों को अब इंसाफ मिल जाएगा, जिन्होंने इस मामले की जांच के लिए पीएम मोदी का दरवाजा खटखटाया था. दरअसल, इस मामले में जब शासन व न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) का गठन किया गया था तो माना जा रहा था कि यह एसआईटी के लिए एक अभेद्य टास्क होगा. लेकिन, एसआईटी के सदस्यों ने समय के साथ ही अपनी क्लोजर रिपोर्ट तैयार कर ली, जो जल्द ही सीएम कार्यालय को सौंपी जाएगी. डीआईजी एसआईटी बालेंदू भूषण सिंह का कहना है कि इस क्लोजर रिपोर्ट के बाद ही न्यायालय से सभी अभियुक्तों के लिए सजा तय होगी.
1984 सिख दंगा मामले में प्रभारी एसआईटी (डीआईजी) बालेंदू भूषण सिंह ने बताया कि अभी तक 43 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. 11 अभियुक्त ऐसे रहे, जिनकी बढ़ी उम्र को देखते हुए उनके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई. 6 अभियुक्तों की गिरफ्तारी अभी होनी है. इस तथ्य का जिक्र क्लोजर रिपोर्ट में किया जा चुका है. वहीं, अगर ओवरऑल मामले को देखें तो जब एसआईटी का गठन हुआ था, तब कुल 94 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जाना था. इनमें से 34 अभियुक्तों में कई की जहां मौत हो गई तो कई अभियुक्त ऐसी बीमारी से ग्रसित रहे, जिन्हें अरेस्ट नहीं किया जा सकता. अन्य सभी आरोपियों की फाइल उनके मुकदमों के आधार पर तैयार हुई है.
यह भी पढ़ें: पुलिस और भाजपा कार्यकर्ताओं में झड़प, चौकी इंचार्ज व दारोगा निलंबित
एसआईटी के एक आला अफसर ने बताया कि साल 1984 में कानपुर के निराला नगर, बर्रा, किदवई नगर, रतनलाल नगर सहित कई अन्य क्षेत्रों में एक साथ 100 से अधिक सिखों की हत्या कर दी गई थी. मामला इतना गंभीर था कि उस दौरान लूट, आगजनी समेत 1000 मुकदमे दर्ज किए गए थे. दबौली के एक परिवार में सात लोगों की निर्मम हत्या की गई थी. वहीं, कुल 40 मुकदमे तो भीषण नरसंहार के दर्ज हुए थे. इस मामले की जांच को लेकर सिख संगठनों ने पीएम मोदी तक अपनी गुहार लगाई थी. पीएमओ से निर्देश मिलते ही लगभग 34 सालों बाद साल 2018 में एसआईटी का गठन हुआ और फिर अभियुक्त गिरफ्तार किए गए.