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पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर 28 साल बाद वतन वापस लौटेंगे शमसुद्दीन

उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी शमसुद्दीन 28 साल पहले वतन छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे. जहां पर नागरिकता मिलने के बाद भी उन्हें भारतीय जासूस होने का आरोप लगा. उन्हें जेल में डाल दिया गया. हालांकि अब वो रिहा होने के बाद भारत आ रहे हैं. उनके भाई का कहना है कि पिछले 12 साल से उनका परिवार से कोई संपर्क नहीं था.

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28 साल बाद पाक से भारत लौटेंगे शमसुद्दीन.
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Published : Nov 9, 2020, 11:38 AM IST

कानपुर : कंघी मोहाल, थाना बजरिया निवासी शमसुद्दीन करीब 28 साल पहले घूमने के वास्ते पाकिस्तान चले गए थे, उसके बाद वो वापस नहीं लौटे. कुछ दिन बाद उनकी पत्नी भी पाकिस्तान चली गईं. हालांकि दोनों के बीच तलाक होने पर उनकी पत्नी हिंदुस्तान वापस आ गईं और शमसुद्दीन पाकिस्तान में रहकर काम धंधे में लग गए. पाकिस्तानी नागरिकता मिलने के बावजूद शमसुद्दीन को भारतीय जासूसी के आरोप में जेल में डाल दिया गया. हालांकि अब उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया है.

28 साल बाद पाक से भारत लौटेंगे शमसुद्दीन.

घर आने की जताई इच्छा

शमसुद्दीन के भाई फहीमुद्दीन ने बताया कि इस दौरान उनकी फोन पर घर वालों से बात होती रही. शमसुद्दीन 30 साल की उम्र में पाकिस्तान चले गए थे. अब उनकी उम्र 58 साल है. फहीमुद्दीन के अनुसार करीब 12 साल से उनका परिवार से भी कोई संपर्क नहीं था. फहीमुद्दीन का कहना है कि भाई की वतन वापसी के बाद वो उनको साथ ही रखेंगे.

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28 साल बाद पाक से भारत लौटेंगे शमसुद्दीन.
कैसे पाकिस्तान पहुंचे शमसुद्दीन

शमसुद्दीन के भाई फहीमुद्दीन ने बताया कि मोहल्ले में रहने वाले सादुल्लाह की बेटी की शादी पाकिस्तान में हुई थी. सादुल्लाह की बेटी और दामाद पाकिस्तान से कंघी मोहाल आए थे. शमसुद्दीन का उनके घर आना-जाना था. उसी समय घूमने के वास्ते शमसुद्दीन उनके साथ पाक चले गए. पहले बात होती थी, लेकिन बाद में पता चला कि उन्होंने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली है. अचानक बातचीत बंद हो गई, तब उनके जेल जाने की जानकारी हुई.

कौन है शमशुद्दीन

शमसुद्दीन कानपुर में जूते का अपर बनाने का काम करते थे. वो बांसमंडी स्थित फैक्ट्री में काम करते थे. पाकिस्तान पहुंचने पर पहले उन्होंने चूड़ी की दुकान पर काम किया, उसके बाद ठेला लगाकर चप्पल बेचने लगे. शमसुद्दीन चार भाइयों और दो बहनों में सबसे बड़े हैं. फहीमुद्दीन के साथ ही नसीरुद्दीन व चांद बाबू भी उनके भाई हैं. शाहीन और चंदा बहनें हैं. उनके पाकिस्तान जाते समय ये सभी छोटे थे. शमसुद्दीन जहां रहते थे, वहीं अब रहते हैं. उनके तीन बच्चों में दो बेटियों की शादी हो चुकी है, एक बेटा भी है.

वतन वापसी पर परिजनों में खुशी की लहर

शमसुद्दीन के भाई ने बताया कि पाकिस्तान से उन्हें रिहा कर दिया गया है. अब वह अमृतसर के एक हॉस्पिटल में क्वॉरंटाइन हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है. जल्द ही अब वहां से अपने घर कानपुर वापस आ जाएंगे. उनके वतन वापसी से परिवार में खुशी का माहौल है. उनके भाई ने भारत सरकार और यूपी सरकार को तहे दिल से शुक्रिया अदा किया है. वहीं इस मामले में सीओ सीसामऊ ने कहा वो लोग परिवार के साथ हैं, उनको जैसी मदद चाहिए होगी, वो लोग सदैव उनकी मदद के लिए तत्पर रहेंगे.

कानपुर : कंघी मोहाल, थाना बजरिया निवासी शमसुद्दीन करीब 28 साल पहले घूमने के वास्ते पाकिस्तान चले गए थे, उसके बाद वो वापस नहीं लौटे. कुछ दिन बाद उनकी पत्नी भी पाकिस्तान चली गईं. हालांकि दोनों के बीच तलाक होने पर उनकी पत्नी हिंदुस्तान वापस आ गईं और शमसुद्दीन पाकिस्तान में रहकर काम धंधे में लग गए. पाकिस्तानी नागरिकता मिलने के बावजूद शमसुद्दीन को भारतीय जासूसी के आरोप में जेल में डाल दिया गया. हालांकि अब उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया है.

28 साल बाद पाक से भारत लौटेंगे शमसुद्दीन.

घर आने की जताई इच्छा

शमसुद्दीन के भाई फहीमुद्दीन ने बताया कि इस दौरान उनकी फोन पर घर वालों से बात होती रही. शमसुद्दीन 30 साल की उम्र में पाकिस्तान चले गए थे. अब उनकी उम्र 58 साल है. फहीमुद्दीन के अनुसार करीब 12 साल से उनका परिवार से भी कोई संपर्क नहीं था. फहीमुद्दीन का कहना है कि भाई की वतन वापसी के बाद वो उनको साथ ही रखेंगे.

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28 साल बाद पाक से भारत लौटेंगे शमसुद्दीन.
कैसे पाकिस्तान पहुंचे शमसुद्दीन

शमसुद्दीन के भाई फहीमुद्दीन ने बताया कि मोहल्ले में रहने वाले सादुल्लाह की बेटी की शादी पाकिस्तान में हुई थी. सादुल्लाह की बेटी और दामाद पाकिस्तान से कंघी मोहाल आए थे. शमसुद्दीन का उनके घर आना-जाना था. उसी समय घूमने के वास्ते शमसुद्दीन उनके साथ पाक चले गए. पहले बात होती थी, लेकिन बाद में पता चला कि उन्होंने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली है. अचानक बातचीत बंद हो गई, तब उनके जेल जाने की जानकारी हुई.

कौन है शमशुद्दीन

शमसुद्दीन कानपुर में जूते का अपर बनाने का काम करते थे. वो बांसमंडी स्थित फैक्ट्री में काम करते थे. पाकिस्तान पहुंचने पर पहले उन्होंने चूड़ी की दुकान पर काम किया, उसके बाद ठेला लगाकर चप्पल बेचने लगे. शमसुद्दीन चार भाइयों और दो बहनों में सबसे बड़े हैं. फहीमुद्दीन के साथ ही नसीरुद्दीन व चांद बाबू भी उनके भाई हैं. शाहीन और चंदा बहनें हैं. उनके पाकिस्तान जाते समय ये सभी छोटे थे. शमसुद्दीन जहां रहते थे, वहीं अब रहते हैं. उनके तीन बच्चों में दो बेटियों की शादी हो चुकी है, एक बेटा भी है.

वतन वापसी पर परिजनों में खुशी की लहर

शमसुद्दीन के भाई ने बताया कि पाकिस्तान से उन्हें रिहा कर दिया गया है. अब वह अमृतसर के एक हॉस्पिटल में क्वॉरंटाइन हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है. जल्द ही अब वहां से अपने घर कानपुर वापस आ जाएंगे. उनके वतन वापसी से परिवार में खुशी का माहौल है. उनके भाई ने भारत सरकार और यूपी सरकार को तहे दिल से शुक्रिया अदा किया है. वहीं इस मामले में सीओ सीसामऊ ने कहा वो लोग परिवार के साथ हैं, उनको जैसी मदद चाहिए होगी, वो लोग सदैव उनकी मदद के लिए तत्पर रहेंगे.

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