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वन्दे मातरम को सेक्युलर नेताओं ने राष्ट्रगान नहीं माना, उनके खिलाफ दायर की याचिका - वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय

पीआईएल मैन के नाम से मशहूर व वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने ऐसे नेताओं के खिलाफ याचिका दायर की है. जिन्होंने वन्दे मातरम को राष्ट्रगान मानने से इंकार कर किया था.

वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय
वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय
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Published : Dec 18, 2022, 9:50 PM IST

संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय

कानपुर: बात 1971 के दौर की है. जब देश में नेशनल ऑनर एक्ट बना था, उस समय संविधान निर्माताओं ने जन-गण-मन और वन्दे मातरम को राष्ट्रगान मानने का फैसला किया था. लेकिन उस दौर में कुछ सेक्युलर नेता ऐसे थे, जिन्होंने वन्दे मातरम को राष्ट्रगान मानने से इंकार कर दिया और फिर वन्दे मातरम को संविधान में राष्ट्रगान के तौर पर शामिल न किया जा सका. हालंकि इस पूरे मामले पर मैंने याचिका दायर की है. उस पर लगातार सुनवाई हो रही है. रविवार को यह बातें मुख्य अतिथि देश भर में पीआईएल मैन के नाम से मशहूर व वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहीं.

वह बीएनडी डिग्री कॉलेज (BND Degree College) में विधि विभाग की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. जिसका विषय- भारतीय संविधान की आत्मा रखा गया था. उन्होंने मौजूद विधि छात्रों और आगन्तुकों से कहा आपके शहर का नाम कानपुर है. इसे बदलने के लिए सोचिए. अपनी कलम की ताकत का उपयोग करिए. शहर का नाम आंखपुर, नाकपुर और कानपुर जैसा नहीं होना चाहिए. इसी तरह बोले, संविधान का लक्ष्य रखा गया था- राम राज्य स्थापित करना. ये राम राज्य तभी आ सकता है, जब धर्म की जय हो. अधर्म का विनाश हो. प्राणियों में सदभावना हो और विश्व का कल्याण हो. सबका साथ हो और सबका विकास हो.

विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो. ओमेन्द्र सिंह ने कहा भारत का संविधान एक सामाजिक दस्तावेज है. इसमें भारतीयों की आकांक्षाएं निहित हैं. विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद लायर्स एसोसिएशन के महामंत्री शरद शुक्ला ने न्यायिक स्वतंत्रता और संसदीय कार्यप्रणाली के विषय में जानकारी दी. कार्यक्रम का संचालन निधि अवस्थी और रितिका मैथानी ने किया. कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो. वी एस त्रिपाठी, मनोज पाण्डेय, डॉ. पी के पाण्डेय, आलोक पांडेय, कृष्ण मोहन शर्मा आदि उपस्थित रहे.

यह भी पढ़ें- जेल में बंद विधायक इरफान सोलंकी से मिलेंगे अखिलेश यादव, ये पोस्टर बना चर्चा का विषय

संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय

कानपुर: बात 1971 के दौर की है. जब देश में नेशनल ऑनर एक्ट बना था, उस समय संविधान निर्माताओं ने जन-गण-मन और वन्दे मातरम को राष्ट्रगान मानने का फैसला किया था. लेकिन उस दौर में कुछ सेक्युलर नेता ऐसे थे, जिन्होंने वन्दे मातरम को राष्ट्रगान मानने से इंकार कर दिया और फिर वन्दे मातरम को संविधान में राष्ट्रगान के तौर पर शामिल न किया जा सका. हालंकि इस पूरे मामले पर मैंने याचिका दायर की है. उस पर लगातार सुनवाई हो रही है. रविवार को यह बातें मुख्य अतिथि देश भर में पीआईएल मैन के नाम से मशहूर व वरिष्ठ अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहीं.

वह बीएनडी डिग्री कॉलेज (BND Degree College) में विधि विभाग की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. जिसका विषय- भारतीय संविधान की आत्मा रखा गया था. उन्होंने मौजूद विधि छात्रों और आगन्तुकों से कहा आपके शहर का नाम कानपुर है. इसे बदलने के लिए सोचिए. अपनी कलम की ताकत का उपयोग करिए. शहर का नाम आंखपुर, नाकपुर और कानपुर जैसा नहीं होना चाहिए. इसी तरह बोले, संविधान का लक्ष्य रखा गया था- राम राज्य स्थापित करना. ये राम राज्य तभी आ सकता है, जब धर्म की जय हो. अधर्म का विनाश हो. प्राणियों में सदभावना हो और विश्व का कल्याण हो. सबका साथ हो और सबका विकास हो.

विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो. ओमेन्द्र सिंह ने कहा भारत का संविधान एक सामाजिक दस्तावेज है. इसमें भारतीयों की आकांक्षाएं निहित हैं. विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद लायर्स एसोसिएशन के महामंत्री शरद शुक्ला ने न्यायिक स्वतंत्रता और संसदीय कार्यप्रणाली के विषय में जानकारी दी. कार्यक्रम का संचालन निधि अवस्थी और रितिका मैथानी ने किया. कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो. वी एस त्रिपाठी, मनोज पाण्डेय, डॉ. पी के पाण्डेय, आलोक पांडेय, कृष्ण मोहन शर्मा आदि उपस्थित रहे.

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