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उत्तराखंड से विलुप्त होने वाला गैंथी हाथीपोला का पौधा अब यूपी में खिलेगा - Extinct plants of Ganthi Hathipola

उत्तराखंड से विलुप्त होने वाला गैंथी हाथीपोला के पौधे पर कानपुर के वानिकी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने शोध कार्य शुरू किया है. उत्तराखंड से बीज लाकर 200 पौधे उगाए जा चुके हैं. शोध के अगले चरण में यूपी के हर शहर में इस पौधे को तैयार करने की योजना है. इस पौधे की लकड़ी बहुत मजबूत होती है.

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कानपुर
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Published : Nov 18, 2022, 6:58 PM IST

कानपुर: पौधों की हरियाली हर किसी के मन को आकर्षित कर लेती है. लेकिन, जब अचानक से कोई पौधा सूख जाता है या विलुप्त होने लगता है. तो मन परेशान भी हो जाता है. इसी तरह किसी पौधे के विलुप्त होने के बाद उसे पुर्नजीवित करने का काम किया है. शहर के वानिकी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक रवि कुशवाहा. रवि ने उत्तराखंड के जंगलों व वहां के शहरों से गैंथी हाथीपोला के विलुप्त पौधों को लेकर शोध किया.

शोध के बारे में जानकारी देते वैज्ञानिक रवि कुशवाहा.

इसके लिए वह उत्तराखण्ड से इन पौधों के बीज लाकर उन्हें वानिकी अनुसंधान संस्थान में तैयार किया. संस्थान के निदेशक के.थॉमस के मार्गदर्शन में काम करने वाले रवि ने शोध के पहले चरण में कुल 200 पौधे तैयार कर लिए हैं, जबकि अगले चरण में इन पौधों को उत्तर प्रदेश के सभी शहरों में तैयार करने की योजना बना ली है.

वानिकी अनुसंधान संस्थान से कई शहरों में भेजे जाते हैं पौधे: वानिकी अनुसंधान संस्थान के अफसरों ने बताया कि संस्थान में कई दुर्लभ प्रजातियों के पौधों को पहले तैयार किया जाता है. फिर, इन्हें प्रदेश के अलग-अलग शहरों में वहां की मांग के हिसाब से भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि फिलहाल संस्थान में खाने वाला बांस, मोटा बांस, बालाकोआ बांस की प्रजातियों को तैयार किया गया है. इन्हें सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर समेत अन्य शहरों में भेजने की तैयारी है. इसी तरह संस्थान में सिंदूर, आंवला, बेल, एलोवेरा समेत अन्य पौधों की कई प्रजातियों को तैयार किया जा रहा है.

यह भी पढे़ं: मिस्र में नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, 5000 करोड़ के व्यापार की उम्मीद

कानपुर: पौधों की हरियाली हर किसी के मन को आकर्षित कर लेती है. लेकिन, जब अचानक से कोई पौधा सूख जाता है या विलुप्त होने लगता है. तो मन परेशान भी हो जाता है. इसी तरह किसी पौधे के विलुप्त होने के बाद उसे पुर्नजीवित करने का काम किया है. शहर के वानिकी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक रवि कुशवाहा. रवि ने उत्तराखंड के जंगलों व वहां के शहरों से गैंथी हाथीपोला के विलुप्त पौधों को लेकर शोध किया.

शोध के बारे में जानकारी देते वैज्ञानिक रवि कुशवाहा.

इसके लिए वह उत्तराखण्ड से इन पौधों के बीज लाकर उन्हें वानिकी अनुसंधान संस्थान में तैयार किया. संस्थान के निदेशक के.थॉमस के मार्गदर्शन में काम करने वाले रवि ने शोध के पहले चरण में कुल 200 पौधे तैयार कर लिए हैं, जबकि अगले चरण में इन पौधों को उत्तर प्रदेश के सभी शहरों में तैयार करने की योजना बना ली है.

वानिकी अनुसंधान संस्थान से कई शहरों में भेजे जाते हैं पौधे: वानिकी अनुसंधान संस्थान के अफसरों ने बताया कि संस्थान में कई दुर्लभ प्रजातियों के पौधों को पहले तैयार किया जाता है. फिर, इन्हें प्रदेश के अलग-अलग शहरों में वहां की मांग के हिसाब से भेजा जाता है. उन्होंने बताया कि फिलहाल संस्थान में खाने वाला बांस, मोटा बांस, बालाकोआ बांस की प्रजातियों को तैयार किया गया है. इन्हें सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर समेत अन्य शहरों में भेजने की तैयारी है. इसी तरह संस्थान में सिंदूर, आंवला, बेल, एलोवेरा समेत अन्य पौधों की कई प्रजातियों को तैयार किया जा रहा है.

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