कानपुर: कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने कानपुर में तांडव मचा रखा है. ये महामारी ने लोगों की जान के साथ उनकी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर भी प्रहार कर रही है. कोरोना महामारी के कारण श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए शवों की कतार लगी हुई है. ऐसे में सूर्यास्त से पहले अंतिम संस्कार की परंपरा भी टूट गई है. गुरुवार को जिले के श्मशान घाटों पर रिकॉर्ड 476 शवों का दाह संस्कार किया गया. जो देर रात तक चलता रहा.
टूट रही परम्पराएं
जिले में कोरोना के कहर से मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. आलम यह है कि दाह संस्कार करने के लिए भी लोगों को लंबी लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ रहा है. दिन-रात शव को जलाए जाने के कारण विद्युत शवदाह गृह की चिमनियां गर्म होकर पिघलने लगी हैं. श्मशान घाट में शवों की संख्या को देखते हुए रात के 12 बजे तक दाह संस्कार किया जा रहा है. हैरान करने वाली बात यह है कि कोविड से मरने वालों के सरकारी आंकड़े और श्मशान घाट की तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही हैं.
इसे भी पढ़ें : कोरोना के 1361 नए मामले आए सामने, 9 की मौत
मौतों से मचा हाहाकार
जिला प्रशासन के मुताबिक, कानपुर में पिछले 24 घंटे में महज 9 मरीजों की मौतें हुई है. वहीं शहर भर के श्मशान घाटों का रुख करें तो एक दिन में रिकॉर्ड 476 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है.
श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार का आंकड़ा
भैरव घाट पर 90 शवों का दाह संस्कार किया गया, इसके साथ ही यहां बने विद्युत शवदाह गृह में 62 शवों को जलाया गया. वहीं भगवतदास श्मशान घाट पर 45 और विद्युत शवदाह में 8 शवों को जलाया गया. इसके साथ ही गोविंदनगर स्थित स्वर्गाश्रम में 50, सिद्धनाथ घाट पर 40, बिठूर घाट पर 80, ड्योढ़ी घाट पर 70, नजफगढ़ घाट 16 और नागपुर में 15 शवों को जलाया गया. इन सभी को मिलाकर कानपुर जनपद में एक दिन में रिकॉर्ड 476 शवों का अंतिम संस्कार किया गया.