कानपुर: सरकार द्वारा भले ही लगातार यह संदेश प्रचारित-प्रसारित कराया जा रहा है कि भारत में डिजीटल युग को विस्तार दिया जा रहा है. लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट ही है. शहर में पीएम मोदी की प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से जुड़े जो आंकड़े नगर आयुक्त ने देखे हैं. उससे यह साबित हो गया कि बैंक अफसरों की कार्यशैली के चलते प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना शहर में फ्लाप होती जा रही है.
देश में स्वरोजगार और कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार विभिन्न योजनाओं का संचालन कर रही है. सरकार इन योजनाओं से युवाओं को रोजगार बनाना चाहती है. कानपुर शहर में इस योजना को लेकर नगर आयुक्त ने एक बैठक बुलाई. लेकिन इस बैठक में सामने आया कि सात अलग-अलग राष्ट्रीयकृत बैंकों में पहले व दूसरे चरण के लोन के 3500 से अधिक आवेदन कई माह से लंबित हैं. वहीं, करीब 7 करोड़ रुपये का ऋण वेंडर्स को दिया जाना है. इनमें पहले चरण में वेंडर्स को डिजीटल ट्रांजेक्शन के लिए 10 हजार रुपये और दूसरे चरण में वेंडर्स को 20 हजार रुपये दिए जाते हैं. हालांकि, एक बड़ा सवाल है जब लोन दिया ही नहीं जाएगा तो वेंडर्स कहां से डिजिटल ट्रांजेक्शन करा पाएंगे.
इस स्कीम के अंतर्गत लोन के पैसे तीन बार में आपके खाते में भेजे जाते हैं. इस योजना का लाभ लेने के लिए आपके पास आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, राशन कार्ड, पासबुक की फोटोकॉपी, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ का होना अनिवार्य है. जहां भारत सरकार व्यापार शुरू करने के लिए बिना ब्याज दर के 50 हजार रुपये लोन के रूप में देगी. इस योजना का लाभ लेने के लिए आपको किसी गारंटर की जरूरत नहीं पड़ती है. सरकार द्वारा इस स्कीम का लाभ कोई भी व्यक्ति दिसंबर 2024 तक ही उठा सकता है.
जिला अग्रणी प्रबंधक दीपेंद्र शुक्ला ने बताया कि सभी छह बैंक प्रबंधकों को नोटिस जारी किया गया है. संबंधित बैंकों से पूछा गया, कि आखिर लोन के आवेदन क्यों लंबित रहे ? अब जल्द से जल्द आवेदनों का निस्तारण कराया जाएगा.
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