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कानपुर: झुग्गी-झोपड़ी गिराने पहुंची सिंचाई विभाग टीम का विरोध - सिंचाई विभाग का विरोध

यूपी के कानपुर जिले स्थित गोविन्द नगर थाना क्षेत्र में खारजा नहर किनारे बसीं झुग्गी-झोपड़ियों को तोड़ने के लिए सिंचाई विभाग के कर्मचारी पहुंचे थे. इस दौरान सिंचाई विभाग के विरोध में स्थानीय लोग धरने पर बैठ गए और फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

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जुग्गी-झोपड़ी गिराने का विरोध.
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Published : Oct 9, 2020, 7:49 PM IST

कानपुर: जिले के गोविंद नगर थाना क्षेत्र स्थित वार्ड-72 दबौली के खारजा नहर किनारे लगभग 200 परिवार 20-25 सालों से रह रहे हैं. शुक्रवार को सिंचाई विभाग के एसडीओ, एसीएम के साथ ही क्षेत्रीय पुलिस नहर किनारे बसी झुग्गी-झोपड़ियों को गिराने पहुंची तो लोग विरोध करते हुए धरने पर बैठ गए. सूचना पर पहुंचे क्षेत्रीय पार्षद ने जब अधिकारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि बहुत समय पहले नोटिस भी दिया गया था, जिसके बाद भी जगह खाली न करने पर आज मकान गिराने की कार्रवाई करने मजबूरन आना पड़ा.

क्षेत्रीय पार्षद जेपी पाल ने बताया कि झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की मांग पर अधिकारियों और सांसद सत्यदेव पचौरी से भी बात की गई, जिसके बाद 6 महीने का समय दिया गया है. पार्षद ने यह भी बताया कि खारजा नहर किनारे लंबे समय से लगभग 200 घर बसे हुए हैं, जो कि इंडस्ट्रियल एरिया के पीछे हैं. फैक्ट्री मालिकों का मकसद पीछे बसी जुग्गी-झोपड़ियों को खाली करवाकर उस जगह पर कब्जा करना है. वहीं आरोप है कि फैक्ट्री मालिकों की आपत्ति पर ही सिंचाई विभाग मकानों को गिराने की कार्रवाई करने पहुंचा था.

झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे लोगों का कहना है कि वे अपने परिवारों के साथ यहां पर लंबे समय से रह रहे हैं. लोगों का आरोप है कि फैक्ट्री बड़ी करने के मकसद से फैक्ट्री मालिक सिंचाई विभाग से मिलकर मकानों को गिराने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं झोपड़ी में रह रहे लोगों ने मांग करते हुए कहा कि सरकार हमारे रहने का उचित इंतजाम कर दे, उसके बाद हम यह जगह खाली कर देंगे.

कानपुर: जिले के गोविंद नगर थाना क्षेत्र स्थित वार्ड-72 दबौली के खारजा नहर किनारे लगभग 200 परिवार 20-25 सालों से रह रहे हैं. शुक्रवार को सिंचाई विभाग के एसडीओ, एसीएम के साथ ही क्षेत्रीय पुलिस नहर किनारे बसी झुग्गी-झोपड़ियों को गिराने पहुंची तो लोग विरोध करते हुए धरने पर बैठ गए. सूचना पर पहुंचे क्षेत्रीय पार्षद ने जब अधिकारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि बहुत समय पहले नोटिस भी दिया गया था, जिसके बाद भी जगह खाली न करने पर आज मकान गिराने की कार्रवाई करने मजबूरन आना पड़ा.

क्षेत्रीय पार्षद जेपी पाल ने बताया कि झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की मांग पर अधिकारियों और सांसद सत्यदेव पचौरी से भी बात की गई, जिसके बाद 6 महीने का समय दिया गया है. पार्षद ने यह भी बताया कि खारजा नहर किनारे लंबे समय से लगभग 200 घर बसे हुए हैं, जो कि इंडस्ट्रियल एरिया के पीछे हैं. फैक्ट्री मालिकों का मकसद पीछे बसी जुग्गी-झोपड़ियों को खाली करवाकर उस जगह पर कब्जा करना है. वहीं आरोप है कि फैक्ट्री मालिकों की आपत्ति पर ही सिंचाई विभाग मकानों को गिराने की कार्रवाई करने पहुंचा था.

झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे लोगों का कहना है कि वे अपने परिवारों के साथ यहां पर लंबे समय से रह रहे हैं. लोगों का आरोप है कि फैक्ट्री बड़ी करने के मकसद से फैक्ट्री मालिक सिंचाई विभाग से मिलकर मकानों को गिराने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं झोपड़ी में रह रहे लोगों ने मांग करते हुए कहा कि सरकार हमारे रहने का उचित इंतजाम कर दे, उसके बाद हम यह जगह खाली कर देंगे.

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