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सभी को पहचान दिलाने के लिए 35 साल पहले बनाया था हनी बी नेटवर्क, अब दुनिया में फेमसः पद्मश्री अनिल गुप्ता

पद्मश्री अनिल गुप्ता छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय पहुंचे. जहां उन्होंने कहा कि सभी को पहचान दिलाने के मकसद से 35 साल पहले हनी बी नेटवर्क( Honey Bee Network) बनाया गया था.

पद्मश्री अनिल गुप्ता
पद्मश्री अनिल गुप्ता
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 28, 2023, 11:09 PM IST

सभी को पहचना दिलाने के लिए बनाया हनी बी नेटवर्क

कानपुर: लगभग 35 साल पहले एक हनी बी नेटवर्क को बना दिया था. इस नेटवर्क को मधुमक्खी के जीवन से प्रेरित होकर बनाया था. जिस तरह वह अलग-अलग स्थानों से परागीकरण करती है, ठीक वैसे ही हमारी योजना थी. अगर कोई नवाचार हुआ है तो नवाचार करने वाले और वो आइडिया सृजित करने वाले यानी उस प्रोजेक्ट के हर चेहरे को पहचान मिले. कोई गुमनाम न रह जाए. यह नेटवर्क इस समय पूरी दुनिया में फेमस है.

गुरुवार को यह जानकारी पद्मश्री से सम्मानित व आई आई एम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर अनिल गुप्ता ने दी. वह छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के 38 वें दीक्षान्त समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे और पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा मौजूदा दौर में जो शोध कार्य हो रहे हैं, उनकी जानकारी हर किसी को होनी चाहिए. बोले सबसे पहले मैं, सृष्टि संस्था से जुड़ा. फिर ज्ञान संस्था को शुरू किया. इस्के बाद नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन बनाई.

आज देश के तमाम राज्यों के छात्र व फैकल्टी मेंबर्स इन संस्थाओं से जुड़े हैं. ये जो बेहतर काम शिक्षा के क्षेत्र में कर रहे हैं, उसकी जानकारी सभी को मिले हम उस दिशा में काम करते हैं. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में कई ऐसे छात्रों से मुलाकात कि जिन्होंने अपना स्टार्टअप शुरू किया है. बोले ऐसे छात्र भविष्य में कई लोगों को नौकरी दे सकेंगे. पीएम मोदी भी जिस आत्मनिर्भर भारत का सपना देख चुके हैं. वो तभी पूरा होगा ज़ब युवा आत्मनिर्भर बन सकेंगे.

साल में तीन बार करते शोध कार्य, पेन ड्राइव से बच्चों तक पहुंचेगा डाटा: पद्मश्री प्रो. अनिल गुप्ता ने बताया की वह और उनकी टीम के अन्य सदस्य पूरे वर्ष में तीन बार शोध कार्य करते हैं. पहले गर्मी के मौसम में, फिर सर्दी और बारिश के दौरान. इन मौसमों में वह उन स्थानों पर जाते हैं, जहां मौसम की मार अधिक होती है. इसके अलावा कई सालों तक शोध कार्य के दौरान उन्होंने देश के ऐसे किसानों, श्रमिकों को इकट्ठा किया. जिन्होंने बहुत कम लागत और विपरीत परिस्थितियों में बेहतर शोध कार्य करके दिखाया और वो कार्य जनउपयोगी रहे. उन्होंने कहा आने वाले समय में हमारी योजना है कि हम देश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को पेन ड्राइव से सारी अध्ययन सामग्री पहुंचाए. ये सामग्री हम निजी स्कूलों में कक्षा एक से लेकर 12 वीं तक के बच्चों से कलेक्ट करा रहे हैं. इसके लिए जब हम स्कूलों के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं तो वहां आयोजकों से संवाद कर लेते हैं.

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सभी को पहचना दिलाने के लिए बनाया हनी बी नेटवर्क

कानपुर: लगभग 35 साल पहले एक हनी बी नेटवर्क को बना दिया था. इस नेटवर्क को मधुमक्खी के जीवन से प्रेरित होकर बनाया था. जिस तरह वह अलग-अलग स्थानों से परागीकरण करती है, ठीक वैसे ही हमारी योजना थी. अगर कोई नवाचार हुआ है तो नवाचार करने वाले और वो आइडिया सृजित करने वाले यानी उस प्रोजेक्ट के हर चेहरे को पहचान मिले. कोई गुमनाम न रह जाए. यह नेटवर्क इस समय पूरी दुनिया में फेमस है.

गुरुवार को यह जानकारी पद्मश्री से सम्मानित व आई आई एम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर अनिल गुप्ता ने दी. वह छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के 38 वें दीक्षान्त समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे और पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा मौजूदा दौर में जो शोध कार्य हो रहे हैं, उनकी जानकारी हर किसी को होनी चाहिए. बोले सबसे पहले मैं, सृष्टि संस्था से जुड़ा. फिर ज्ञान संस्था को शुरू किया. इस्के बाद नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन बनाई.

आज देश के तमाम राज्यों के छात्र व फैकल्टी मेंबर्स इन संस्थाओं से जुड़े हैं. ये जो बेहतर काम शिक्षा के क्षेत्र में कर रहे हैं, उसकी जानकारी सभी को मिले हम उस दिशा में काम करते हैं. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में कई ऐसे छात्रों से मुलाकात कि जिन्होंने अपना स्टार्टअप शुरू किया है. बोले ऐसे छात्र भविष्य में कई लोगों को नौकरी दे सकेंगे. पीएम मोदी भी जिस आत्मनिर्भर भारत का सपना देख चुके हैं. वो तभी पूरा होगा ज़ब युवा आत्मनिर्भर बन सकेंगे.

साल में तीन बार करते शोध कार्य, पेन ड्राइव से बच्चों तक पहुंचेगा डाटा: पद्मश्री प्रो. अनिल गुप्ता ने बताया की वह और उनकी टीम के अन्य सदस्य पूरे वर्ष में तीन बार शोध कार्य करते हैं. पहले गर्मी के मौसम में, फिर सर्दी और बारिश के दौरान. इन मौसमों में वह उन स्थानों पर जाते हैं, जहां मौसम की मार अधिक होती है. इसके अलावा कई सालों तक शोध कार्य के दौरान उन्होंने देश के ऐसे किसानों, श्रमिकों को इकट्ठा किया. जिन्होंने बहुत कम लागत और विपरीत परिस्थितियों में बेहतर शोध कार्य करके दिखाया और वो कार्य जनउपयोगी रहे. उन्होंने कहा आने वाले समय में हमारी योजना है कि हम देश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को पेन ड्राइव से सारी अध्ययन सामग्री पहुंचाए. ये सामग्री हम निजी स्कूलों में कक्षा एक से लेकर 12 वीं तक के बच्चों से कलेक्ट करा रहे हैं. इसके लिए जब हम स्कूलों के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं तो वहां आयोजकों से संवाद कर लेते हैं.

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