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गिद्धों की संख्या बढ़ाने के लिए कानपुर जू के अधिकारियों की अनूठी पहल, प्रजनन केंद्र बनाने की तैयारी

कानपुर जू के अधिकारी इन दिनों गिद्धों की संख्या बढ़ाने के लिए अनूठी कवायद करने में जुटे हैं. इसमें जू के अधिकारियों का साथ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के विशेषज्ञ देंगे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 10, 2023, 1:14 PM IST


कानपुर: जिस तरह हमारे गली-मोहल्ले और आफिस में फैली गंदगी और पसरे कूड़े को सफाईकर्मी आकर हटाते हैं. ठीक वैसी ही एक वन्यजीव ऐसा है जिसे प्रकृति का सफाईकर्मी कहा जाता है. गिद्ध के रूप में इस वन्यजीव को यह पहचान मिली है और अब इन प्राकृतिक सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाने के लिए कानपुर जू के अफसर अनूठी कवायद करने में जुटे हैं.

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कानपुर जू के आंकड़े.

गिद्धों की संख्या बढ़ाने के लिए देंगे संदेश
कानपुर जू के प्रशासनिक अधिकारियों के पास जो रिकार्ड दर्ज है. उसके मुताबिक कानपुर से सटे बुंदेलखंड क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या अच्छी खासी है. लेकिन शहर में इनकी संख्या को बढ़ाने के लिए अब घर-घर गिद्धों को संरक्षित करने का संदेश दिया जाएगा. इसमें जू के अधिकारियों का साथ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के विशेषज्ञ देंगे. उनका कहना है कि अगर लोगों को लगता है कि उनके घरों के आसपास गिद्ध मौजूद हैं तो वह इसकी सूचना फौरन ही चिड़ियाघर या वन विभाग के अधिकारियों को दे दें. जिससे इन्हें संरक्षित किया जा सके.

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कानपुर जू में आए हुए बाहरी गिद्ध.


गिद्धों की लोकेशन की जाती है ट्रैस
इस पूरे मामले में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अल्का दुबे ने ईटीवी संवाददाता से विशेष बातचीत में बताया कि वह देशभर के सभी गिद्धों की लोकेशन ट्रैस करते हैं. इसके लिए कहीं कोई गिद्ध मिलने पर उसके पंखों के पास एक टीटीटी नाम का उपकरण लगा दिया जाता है. इसके बाद गिद्ध कहीं भी जाता है उसका लोकेशन संस्था को मिलती रहती है. अगर 10 दिनों तक गिद्ध की कोई लोकेशन नहीं मिलती तो माना जाता है कि गिद्ध इस दुनिया में अब नहीं रहा. उन्होंने बताया कि साल 2018-19 में गिद्धों की गणना कराई गई थी. उस समय देश में गिद्धों की संख्या करीब 3000 हजार थी. उसके बाद सरकार द्वारा इनकी गणना नहीं कराई गई है.

पहला गिद्ध प्रजनन केंद्र
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अल्का ने बताया कि सूबे में महाराजगंज जनपद में पहला गिद्ध प्रजनन केंद्र बनाया गया है. इसके साथ ही उनकी कोशिश है कि यहां गिद्धों को ऐसा वातावरण मिले. जिससे वह अधिक से अधिक प्रजनन कर सकें. इसके अलावा प्रदेश के कई जू ऐसे हैं, जहां इस तरह के केंद्र बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है. वहीं, कानपुर जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि हर वन्यजीव को बचाना उनकी पहली प्राथमिकता है. प्रकृति पर मौजूद गंदगी को साफ करने में अहम भूमिका निभाने वाले गिद्धों को भी कानपुर जू द्वारा संरक्षित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. जल्द ही कानपुर जू में गिद्धों का प्रजनन केंद्र भी बनवाया जाएगा.

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कानपुर जू के आंकड़े.

गिद्धों की संख्या बढ़ाने के लिए देंगे संदेश
कानपुर जू के प्रशासनिक अधिकारियों के पास जो रिकार्ड दर्ज है. उसके मुताबिक कानपुर से सटे बुंदेलखंड क्षेत्रों में गिद्धों की संख्या अच्छी खासी है. लेकिन शहर में इनकी संख्या को बढ़ाने के लिए अब घर-घर गिद्धों को संरक्षित करने का संदेश दिया जाएगा. इसमें जू के अधिकारियों का साथ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के विशेषज्ञ देंगे. उनका कहना है कि अगर लोगों को लगता है कि उनके घरों के आसपास गिद्ध मौजूद हैं तो वह इसकी सूचना फौरन ही चिड़ियाघर या वन विभाग के अधिकारियों को दे दें. जिससे इन्हें संरक्षित किया जा सके.

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कानपुर जू में आए हुए बाहरी गिद्ध.


गिद्धों की लोकेशन की जाती है ट्रैस
इस पूरे मामले में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अल्का दुबे ने ईटीवी संवाददाता से विशेष बातचीत में बताया कि वह देशभर के सभी गिद्धों की लोकेशन ट्रैस करते हैं. इसके लिए कहीं कोई गिद्ध मिलने पर उसके पंखों के पास एक टीटीटी नाम का उपकरण लगा दिया जाता है. इसके बाद गिद्ध कहीं भी जाता है उसका लोकेशन संस्था को मिलती रहती है. अगर 10 दिनों तक गिद्ध की कोई लोकेशन नहीं मिलती तो माना जाता है कि गिद्ध इस दुनिया में अब नहीं रहा. उन्होंने बताया कि साल 2018-19 में गिद्धों की गणना कराई गई थी. उस समय देश में गिद्धों की संख्या करीब 3000 हजार थी. उसके बाद सरकार द्वारा इनकी गणना नहीं कराई गई है.

पहला गिद्ध प्रजनन केंद्र
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अल्का ने बताया कि सूबे में महाराजगंज जनपद में पहला गिद्ध प्रजनन केंद्र बनाया गया है. इसके साथ ही उनकी कोशिश है कि यहां गिद्धों को ऐसा वातावरण मिले. जिससे वह अधिक से अधिक प्रजनन कर सकें. इसके अलावा प्रदेश के कई जू ऐसे हैं, जहां इस तरह के केंद्र बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है. वहीं, कानपुर जू के निदेशक केके सिंह ने बताया कि हर वन्यजीव को बचाना उनकी पहली प्राथमिकता है. प्रकृति पर मौजूद गंदगी को साफ करने में अहम भूमिका निभाने वाले गिद्धों को भी कानपुर जू द्वारा संरक्षित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. जल्द ही कानपुर जू में गिद्धों का प्रजनन केंद्र भी बनवाया जाएगा.

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