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इमरजेंसी मरीजों के लिए वरदान बनेगी नॉन इन्वेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस, जानिए इसकी खासियत

एचबीटीयू में कंप्यूटर साइंस की एसो.प्रोफेसर ने नॉन इंवेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस तैयार की है. डिवाइस के जरिए 15 सेकेंड में हीमोग्लोबिन का स्तर जान सकेंगे. इसके लिए विवि के 110 छात्रों पर शोध परीक्षण किया गया है. जल्द ही यह डिवाइस अस्पतालों में आसानी से उपलब्ध हो सकेगी.

नॉन इन्वेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस
नॉन इन्वेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस
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Published : Jun 7, 2023, 10:34 PM IST

मरीजों के लिए वरदान नॉन इन्वेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस

कानपुर: जैसे ही अस्पतालों में कोई मरीज इमरजेंसी में पहुंचता है, तो डॉक्टरों के सामने एक बड़ा सवाल होता है कि कैसे आखिर मरीज की जान बचाने के लिए उसके शरीर में खून का स्तर का पता लगाया जाए. हालांकि, कम समय में बेहतर इलाज करना होता है. इसलिए मरीज के खून की जांच के लिए उसका सैंपल लिया जाता है और फिर जल्द से जल्द ब्लड ग्रुप का मिलान करते हुए मरीज को खून चढ़ाया जाता है.

नॉन इन्वेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस
नॉन इन्वेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस


मगर, अब महज 15 सेकेंड में बिना सीरिंज लगाए ही मरीज के खून का स्तर यानी हीमोग्लोबिन पता लग सकेगा. वैसे, तो यह आपको बहुत अधिक चौंकाने वाली बात लग रही होगी, मगर है हकीकत. दरअसल, शहर के हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विवि (एचबीटीयू) में कंप्यूटर साइंस विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर राशि अग्रवाल ने इस डिवाइस को तैयार किया है. उनका दावा है कि इस नॉन इंवेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस से हम मरीज के हीमोग्लोबिन का स्तर बेहद आसानी से जान सकेंगे.

डिवाइस के जरिए 15 सेकेंड में हीमोग्लोबिन का स्तर जाने
डिवाइस के जरिए 15 सेकेंड में हीमोग्लोबिन का स्तर जाने
110 छात्रों पर हुआ शोध परीक्षण : डॉ.राशि अग्रवाल ने बताया कि डिवाइस को तैयार करने में कई माह का समय लगा. हालांकि, इसके साथ-साथ जब विवि के ही 110 छात्रों पर शोध परीक्षण हुआ, तो सकारात्मक परिणाम सभी के सामने आए. छात्रों का हीमोग्लोबिन स्तर जानने के लिए जिस तरह पल्स ऑक्सीमीटर का उपयोग करते हैं. ठीक वैसे ही दो अलग-अलग उंगलियों को डिवाइस में लगाया गया. इसके बाद लैपटॉप स्क्रीन पर हीमोग्लोबिन स्तर के रिजल्ट प्रदर्शित होने लगे. उन्होंने बताया कि डिवाइस में कई तरह के सेंसर लगे हैं. उनकी मदद से ही हम हीमोग्लोबिन के स्तर का पता लगा रहे हैं. जल्द ही इस डिवाइस को हम पेटेंट कराएंगे और अस्पतालों में इसका उपयोग किया जा सकेगा. थैलीसीमिया व एनीमिया मरीजों के लिए डिवाइस वरदान साबित होगी.डिवाइस से जुड़ी इन खास बातों को जानिए: - हीमोग्लोबिन का स्तर पता लगते ही लाल रंग की एलईडी लाइट जलने लगती है- हीमोग्लोबिन के जो पैरामीटर हैं, उनमें ग्राफ से हम स्तर का पता लगा सकते हैं - डिवाइस को तैयार करने में करीब एक साल का समय लगा है - शरीर में बिना किसी चीर-फाड़ के ही हीमोग्लोबिन का स्तर पता लगा सकते हैं-300 नैनोमीटर से लेकर 2000 नैनोमीटर तक की रेंज में हीमोग्लोबिन मापा गया

यह भी पढ़ें: कानपुर का जगन्नाथ मंदिर करता है मानसून की भविष्यवाणी, खासियत जान आप भी रह जाएंगे हैरान

मरीजों के लिए वरदान नॉन इन्वेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस

कानपुर: जैसे ही अस्पतालों में कोई मरीज इमरजेंसी में पहुंचता है, तो डॉक्टरों के सामने एक बड़ा सवाल होता है कि कैसे आखिर मरीज की जान बचाने के लिए उसके शरीर में खून का स्तर का पता लगाया जाए. हालांकि, कम समय में बेहतर इलाज करना होता है. इसलिए मरीज के खून की जांच के लिए उसका सैंपल लिया जाता है और फिर जल्द से जल्द ब्लड ग्रुप का मिलान करते हुए मरीज को खून चढ़ाया जाता है.

नॉन इन्वेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस
नॉन इन्वेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस


मगर, अब महज 15 सेकेंड में बिना सीरिंज लगाए ही मरीज के खून का स्तर यानी हीमोग्लोबिन पता लग सकेगा. वैसे, तो यह आपको बहुत अधिक चौंकाने वाली बात लग रही होगी, मगर है हकीकत. दरअसल, शहर के हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विवि (एचबीटीयू) में कंप्यूटर साइंस विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर राशि अग्रवाल ने इस डिवाइस को तैयार किया है. उनका दावा है कि इस नॉन इंवेसिव हीमोग्लोबिन टेस्टिंग डिवाइस से हम मरीज के हीमोग्लोबिन का स्तर बेहद आसानी से जान सकेंगे.

डिवाइस के जरिए 15 सेकेंड में हीमोग्लोबिन का स्तर जाने
डिवाइस के जरिए 15 सेकेंड में हीमोग्लोबिन का स्तर जाने
110 छात्रों पर हुआ शोध परीक्षण : डॉ.राशि अग्रवाल ने बताया कि डिवाइस को तैयार करने में कई माह का समय लगा. हालांकि, इसके साथ-साथ जब विवि के ही 110 छात्रों पर शोध परीक्षण हुआ, तो सकारात्मक परिणाम सभी के सामने आए. छात्रों का हीमोग्लोबिन स्तर जानने के लिए जिस तरह पल्स ऑक्सीमीटर का उपयोग करते हैं. ठीक वैसे ही दो अलग-अलग उंगलियों को डिवाइस में लगाया गया. इसके बाद लैपटॉप स्क्रीन पर हीमोग्लोबिन स्तर के रिजल्ट प्रदर्शित होने लगे. उन्होंने बताया कि डिवाइस में कई तरह के सेंसर लगे हैं. उनकी मदद से ही हम हीमोग्लोबिन के स्तर का पता लगा रहे हैं. जल्द ही इस डिवाइस को हम पेटेंट कराएंगे और अस्पतालों में इसका उपयोग किया जा सकेगा. थैलीसीमिया व एनीमिया मरीजों के लिए डिवाइस वरदान साबित होगी.डिवाइस से जुड़ी इन खास बातों को जानिए: - हीमोग्लोबिन का स्तर पता लगते ही लाल रंग की एलईडी लाइट जलने लगती है- हीमोग्लोबिन के जो पैरामीटर हैं, उनमें ग्राफ से हम स्तर का पता लगा सकते हैं - डिवाइस को तैयार करने में करीब एक साल का समय लगा है - शरीर में बिना किसी चीर-फाड़ के ही हीमोग्लोबिन का स्तर पता लगा सकते हैं-300 नैनोमीटर से लेकर 2000 नैनोमीटर तक की रेंज में हीमोग्लोबिन मापा गया

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