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कानपुर स्टेशन पर नहीं मिला स्ट्रेचर, शव को हाथ में उठाकर ले गए परिजन

शव को हाथ में उठाकर ले जाते परिजन.
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Published : Jul 5, 2019, 9:42 PM IST

2019-07-05 21:01:40

तबीयत खराब होने पर हुई मौत

शव को हाथ में उठाकर ले जाते परिजन.

कानपुर: रेल मंत्री पियूष गोयल यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लाख दावे करते हैं, लेकिन उनके दावे हवा हवाई साबित होते नजर आ रहे हैं. ऐसी ही कुछ तस्वीरें कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर देखने को मिली. यहां ट्रेन में एक युवक की मौत हो गयी. मृतक का शव ले जाने के लिए परिजनों ने स्टेशन अधीक्षक से स्ट्रेचर की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने उसे अनसुनी कर दिया.

जानें पूरा मामला-

  • मुंबई में काम करने वाला आबिद परिजनों के साथ लोकमान्य तिलक ट्रेन से घर रसूलाबाद के लिए आ रहा था.
  • मुंबई से ट्रेन चलने के बाद झांसी से पहले आबिद की तबियत खराब हो गयी. 
  • उसको ट्रेन में इलाज नहीं मिला, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गयी. 
  • झांसी स्टेशन ट्रेन पहुंचने पर परिजनों ने जीआरपी को इससे अवगत कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. 
  • झांसी से कानपुर तक आबिद का शव ट्रेन में ही रहा. 
  • ट्रेन जब कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर पहुंची तो आबिद के परिजन स्ट्रेचर लेने के लिए स्टेशन मास्टर के पास पहुंचे. 
  • स्टेशन मास्टर ने उनकी बात को अनसुनी कर दिया. 
  • काफी देर भटकने के बाद भी परिजनों को स्ट्रेचर नहीं मिला. 
  • इसके बाद परिजन खुद ही मृतक आबिद के शव को अपने हाथो में उठाकर ले गये.    

रेल मंत्री पियूष गोयल ट्वीट कर कहते हैं कि ट्रेनों के अंदर और स्टेशन पर यात्रियों को इलाज की सुविधा दी जा रही है, लेकिन ट्रेन के अंदर ही आबिद को इलाज नहीं मिला जिससे उसकी मौत हो गयी. वहीं जब इसके बारे में स्टेशन अधीक्षक से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ बोलने से मना कर दिया. 
 

2019-07-05 21:01:40

तबीयत खराब होने पर हुई मौत

शव को हाथ में उठाकर ले जाते परिजन.

कानपुर: रेल मंत्री पियूष गोयल यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लाख दावे करते हैं, लेकिन उनके दावे हवा हवाई साबित होते नजर आ रहे हैं. ऐसी ही कुछ तस्वीरें कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर देखने को मिली. यहां ट्रेन में एक युवक की मौत हो गयी. मृतक का शव ले जाने के लिए परिजनों ने स्टेशन अधीक्षक से स्ट्रेचर की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने उसे अनसुनी कर दिया.

जानें पूरा मामला-

  • मुंबई में काम करने वाला आबिद परिजनों के साथ लोकमान्य तिलक ट्रेन से घर रसूलाबाद के लिए आ रहा था.
  • मुंबई से ट्रेन चलने के बाद झांसी से पहले आबिद की तबियत खराब हो गयी. 
  • उसको ट्रेन में इलाज नहीं मिला, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गयी. 
  • झांसी स्टेशन ट्रेन पहुंचने पर परिजनों ने जीआरपी को इससे अवगत कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. 
  • झांसी से कानपुर तक आबिद का शव ट्रेन में ही रहा. 
  • ट्रेन जब कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर पहुंची तो आबिद के परिजन स्ट्रेचर लेने के लिए स्टेशन मास्टर के पास पहुंचे. 
  • स्टेशन मास्टर ने उनकी बात को अनसुनी कर दिया. 
  • काफी देर भटकने के बाद भी परिजनों को स्ट्रेचर नहीं मिला. 
  • इसके बाद परिजन खुद ही मृतक आबिद के शव को अपने हाथो में उठाकर ले गये.    

रेल मंत्री पियूष गोयल ट्वीट कर कहते हैं कि ट्रेनों के अंदर और स्टेशन पर यात्रियों को इलाज की सुविधा दी जा रही है, लेकिन ट्रेन के अंदर ही आबिद को इलाज नहीं मिला जिससे उसकी मौत हो गयी. वहीं जब इसके बारे में स्टेशन अधीक्षक से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ बोलने से मना कर दिया. 
 

Intro:कानपुर :- रेल मंत्री के दावे हुए फैल , युवक के शव को ले जाने के लिए स्ट्रेचर की मांग करते रहै परिजन , लेकिन किसी ने न सुनी ।

रेल मंत्री पियूष गोयल लाख दावे करे कि यात्रियों को बेहतर सुविधा दी जा रही है लेकिन उनके दावे हवा हवाई साबित होते नजर आ रहे है | ऐसी कुछ तस्वीरें कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन के ट्राईप्लेटफार्म नंबर चार पर देखने को मिली जंहा ट्रेन में एक युवक की मौत हो गयी | मृतक का शव ले जाने के लिये परिजनों ने स्टेशन अधीक्षक से स्ट्रेचर की गुहार लगाई लेकिन उन्होंने हाथ खड़े कर दिये | परिजन आरपीएफ व जीआरपी थाने भी गये लेकिन जब उनको कोई मदद नहीं नहीं मिली जिसपर वह इस भ्रस्ट सिस्टम को कोसते हुये मृतक के शव को अपने हाथो में उठाकर स्टेशन परिसर के बाहर गये | 




Body:मुंबई में रोजगार करने वाला आबिद अपने परिजनों के साथ लोकमान्य तिलक ट्रेन से अपने घर रसूलाबाद के लिये आ रहा था | मुंबई से ट्रेन चलने के बाद झाँसी से पहले आबिद की तबियत ख़राब हो गयी उनको ट्रेन में इलाज नहीं मिला जिसकी वजह से उसकी मौत हो गयी | ट्रेन जब झाँसी स्टेशन पहुंची तो आबिद के परिजन जीआरपी पहुंचकर उनको अवगत कराया लेकिन उन्होंने उसको टरका दिया | झाँसी से कानपुर तक आबिद का शव ट्रेन में ही रहा | ट्रेन जब कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर पहुंची तो आबिद के परिजन स्ट्रेचर लेने के लिये स्टेशन मास्टर के पास पहुंचे लेकिन स्टेशन मास्टर ने उनकी बात को अनसुनी कर दिया | काफी देर भटकने के बाद भी जब परिजनों को स्ट्रेचर नहीं मिला तो वो खुद ही मृतक आबिद के शव को अपने हाथो में उठाकर ले गये |    




Conclusion:अब यंहा पर खड़ा होता है कि रेल मंत्री पियूष गोयल अपने ट्वीट में कहते है कि ट्रेनों के अंदर और स्टेशन पर यात्रियों को इलाज की सुविधा दी जा रही है, लेकिन ट्रेन के अंदर ही आबिद को इलाज नहीं मिला जिससे उसकी मौत हो गयी | जब इसके बारे में स्टेशन अधीक्षक से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ बोलने से मना कर दिया अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आबिद की मौत होने के बाद जब परिजन उसके शव को स्टेशन के बाहर ले जाने के लिये स्ट्रेचर की मांग करते रहे लेकिन उसको स्ट्रेचर नहीं दिया गया | आखिर क्यों?

बाइट :- परिजन

अखण्ड प्रताप सिंह
कानपुर ।

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