कानपुर: जिले में गंगा नदी को दूषित करने का सबसे अधिक जिम्मेदार जाजमऊ व आसपास के क्षेत्रों में संचालित चमड़ा इकाईयों या फिर कहें तो टेनरियों को माना जाता रहा है. जल निगम के अफसरों से लेकर आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने जल मंत्रालय समेत अन्य मंत्रालयों को जब-जब गंगा के पानी को प्रदूषित करने संबंधी रिपोर्ट सौंपी तो उसमें टेनरियों से निकलने वाले दूषित उत्प्रवाह का जिक्र जरूर रहा.
यह मामला जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की चौखट तक पहुंचा था तो एक दौर ऐसा भी आया जब इन टेनरियों पर तालाबंदी करने का फैसला तक हो गया. लेकिन विदेश में शहर के चमड़ा उत्पादों की पहचान व इनके संचालन से मिलने वाले राजस्व को देखते हुए टेनरियों के संचालन संग गंगा को प्रदूषणमुक्त करने की दिशा में कवायद शुरू हो गई. इसी दिशा में अब टेनरियों के अंदर नीदरलैंड की कंपनी-सॉलिडरेड की ओर से एक ऐसा प्लांट लगाया जाएगा, जो टेनरियों के दूषित उत्प्रवाह को पूरी तरह शुद्ध कर देगा.
साफ पानी खेतों में सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा: कुछ दिनों पहले शहर की सुपर टेनरी में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नीदरलैंड की कंपनी द्वारा प्लांट को स्थापित कर दिया गया. उस समय कई नामचीन चमड़ा कारोबारियों के साथ ही नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के निदेशक अशोक कुमार समेत अन्य आला अफसर मौजूद थे. कारोबारियों ने बताया कि जब हम चमड़े का उत्पाद बनाते हैं तो फ्लेशिंग (गीला चमड़े की खाल का भाग) से अब टेलो (वसा) को सबसे पहले अलग कर लेंगे. इसके बाद इसे साबुन व डिटर्जेंट बनाने वाली इकाईयों को दिया जा सकेगा. वहीं, जो दूषित उत्प्रवाह (गंदा पानी) निकलता है, वह दोबारा से शोधित हो जाएगा और वह पानी आसपास के किसानों को खेती के लिए उपयोग में दे सकेंगे.
40 लाख रुपये आएगा खर्च: काउंसिल फार लेदर एक्सपोर्ट (सीएलई) के पूर्व चेयरमैन मुख्तारुल अमीन ने बताया कि इस प्लांट की सबसे खास बात यह है कि नीदरलैंड की जो कंपनी, इसे इंस्टाल कर रही है, उसे सरकार द्वारा नामित किया गया है. यह कंपनी पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए पूरे विश्व में विख्यात हैं. उन्होंने कहा कि एक प्लांट को लगाने में करीब 40 लाख रुपये का खर्च जरूर आएगा, लेकिन यह राशि कारोबारी को पेबैक के तौर पर एक से दो साल बाद वापस मिल जाएगी. उन्होंने कहा कि इस प्लांट के संचालन से अब गंगा भी दूषित नहीं होंगी और टेनरियों से जो राजस्व सरकार को मिलेगा. जिससे हम उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में कामयाब होंगे.
बता दें कि शहर के जाजमऊ में 200 से अधिक टेनरियों का संचालन होता है. इनमें से 9 एमएलडी दूषित उत्प्रवाह निकलता है, जो गंगा में जाता है. प्लांट के लगने से पानी पूरी तरह से रिसाइकिल हो जाएगा, जिससे सिंचाई समेत कई अन्य कामों में उपयोग हो सकेगा.
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