कानपुर: कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (केस्को) को 1.48 करोड़ रुपये की चपत लगाने के मामले में कानपुर पुलिस कमिश्नरेट के अफसरों ने मेरठ, दिल्ली और बागपत से छह अलग-अलग आरोपियों को गिरफ्तार किया था. हालांकि पुलिस को इस पूरे कांड के मास्टरमाइंड इंजीनियर कुंदन की तलाश थी. बुधवार देर रात ही पुलिस की टीमों को कुंदन की लोकेशन रांची में मिली थी. गुरुवार दोपहर से टीम के सदस्यों ने कुंदन को पहले ट्रेस किया फिर देर रात गिरफ्तार कर लिया. आरोपी ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया है.
अब पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर आरोपी को कानपुर लेकर आ रही है. यहां उससे आला अफसर गंभीरता से पूछताछ करेंगे. संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था आनंद प्रकाश तिवारी ने इसकी पुष्टि की है. अभी तक पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि केस्को की वेबसाइट का रखरखाव करने वाली एजेंसी के दो इंजीनियर कुंदन से लगातार संपर्क में थे. पुलिस अब उन दो इंजीनियरों की भी तलाश कर रही है. इसके अलावा पुलिस की एक टीम के सदस्य बिलिंग विभाग में कार्यरत कर्मियों से भी पूछताछ करेंगे.
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यह था मामला: केस्को के खाते से 1500 से अधिक उपभोक्ताओं की बिल राशि करीब 1.48 करोड़ रुपये दो बार में गायब हो गई थी. जब कानपुर पुलिस कमिश्नरेट के आला अफसरों ने इस मामले का खुलासा किया तो सामने आया कि 6 हैकरों ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था. हैकर्स ने मेरठ में केस्को इलेक्ट्रानिक्स के नाम पर 22 अलग-अलग खाते खुलवाए थे. इन खातों में ही सारी बिल राशि को ट्रांसफर किया गया था.
जेसीपी ने समझा, कैसे काम करता है गेट वे: इस मामले का खुलासा भले ही कानपुर पुलिस ने कर दिया हो लेकिन अभी आला अफसरों के सामने कई ऐसे उलझे सवाल हैं जिनका जवाब वह तलाश रहे हैं. गुरुवार को संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था आनंद प्रकाश तिवारी ने केस्को के अफसरों से यह जाना कि आखिर पेमेंट गेटवे कैसे काम करता है. इसके अलावा, यह बात भी सामने आई कि आरोपित सुहेल खान और ठेकेदार विवेक शर्मा के साथ ही केस्को और वेबसाइट का रखरखाव करने वाली एजेंसी के कई कर्मी फिलहाल शक के दायरे में हैं.
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