कानपुर: कोरोना वायरस के आने के बाद से एका-एक पूरे देश में सैनिटाइजर की मांग बढ़ गई है. वहीं लॉकडाउन के शुरुआत से ही सभी छोटी-बड़ी इंडस्ट्री सैनिटाइजर बनाने में लगी हैं. कई कंपनियां इस आपदा में भी मुनाफा कमाने से बाज नहीं आ रही हैं. आरोप है कि ये कंपनियां बाजार में कई मिलावटी सैनिटाइजर बेच रही हैं. यह मिलावटी सैनिटाइजर न तो कोरोना से बचाव में कारगर है और न ही वायरस को मारने में, बल्कि इससे त्वचा संबंधी बीमारियां हो रही हैं.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में स्किन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर देव प्रकाश शिवहरे का कहना है कि सैनिटाइजेशन से कहीं ज्यादा हैंडवॉश करना इफेक्टिव है. यदि पानी उपलब्ध न हो तो सैनिटाइजर का उपयोग कर सकते हैं. डॉ. शिवहरे ने बताया कि यह छोटे बच्चों को साइड इफेक्ट भी कर सकता है, क्योंकि बाजार में कई सैनिटाइजर मिलावट वाले हैं, जो ज्यादा साइड इफेक्ट कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि ड्राई स्किन वाले जैल बेस और ऑयली स्किन वाले लिक्विड बेस सैनिटाइजर का उपयोग करें, ताकि उससे स्किन में इसका कोई ज्यादा प्रभाव न पड़े.
कई सैनिटाइजर में हो रहा है मेथोनॉल का उपयोग
डॉ. शिवहरे ने बताया कि बाजार में कई सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां मेथोनॉल का उपयोग कर रही हैं. यह बहुत नुकसान करने के साथ स्किन में कई बीमारियों को उत्पन्न करता है. साथ ही हमारे न्यूरॉन को भी प्रभावित करता है. उन्होंने बताया कि बाजार में कई सैनिटाइजर बिक रहे हैं, लेकिन जो अच्छे हैं उनकी पहचान हैं. अच्छे सैनिटाइजर की मुख्य रूप से दो पहचान हैं. पहली यह बहुत ज्यादा ज्वलनशील होता है और दूसरी यह हाथ में रब करने के 2 से 3 सेकंड में गायब हो जाता है.