कानपुर: बिकरू कांड का मुख्य वादी राहुल तिवारी पहली बार कैमरे के सामने आया है. जिस दिन बिकरू में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की गई थी, उस दिन से राहुल तिवारी अपने परिवार के साथ लापता था. 14 दिन बाद मंगलवार को वह पुलिस के सामने पहुंचा है. इतने दिनों से उसका कोई पता नहीं चल पा रहा था. कल एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया था कि राहुल तिवारी पुलिस के पास है और वही इस केस का मुख्य वादी था. इसके बाद आज पहली बार राहुल तिवारी मीडिया के सामने आया और बताया कि जब उसने एफआईआर लिखाई थी तो विकास दुबे उसको भी मरवा देना चाहता था. बड़ी मुश्किल से तत्कालीन एसओ चौबेपुर रहे विनय तिवारी ने हाथ जोड़कर और ब्राम्हण की दुहाई देकर उसकी जान बचाई थी.
घटना वाले दिन से ही लापता था राहुल
उत्तर प्रदेश एसटीएफ के हाथों दस जुलाई को मारे गए कुख्यात अपराधी विकास दुबे के खिलाफ एफआईआर लिखाने वाला राहुल तिवारी बीते 14 दिनों से लापता था, जिसे यूपी पुलिस ने अब ढूंढ निकाला है. खुद एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि विकास दुबे के खिलाफ एफआईआर लिखाने वाले वादी राहुल तिवारी को पुलिस ने ढूंढ़ लिया है और वह पुलिस के संज्ञान में है. बता दें कि राहुल तिवारी ने ही विकास दुबे के खिलाफ चौबेपुर थाने में 30 जून को रिपोर्ट लिखाई थी. इस बात का पता चलते ही विकास दुबे ने उसको अपने गांव बुलाया था और तत्कालीन थाना प्रभारी चौबेपुर विनय तिवारी के सामने ही पीटा था. विकास ने बीच-बचाव करने पर विनय तिवारी से भी झड़प की थी.
राहुल की FIR पर पुलिस ने दी थी दबिश
राहुल तिवारी की ही एफआईआर पर ही कानपुर के चौबेपुर के बिकरू गांव में 2 जुलाई को देर रात पुलिस ने विकास दुबे को पकड़ने के लिए दबिश दी थी. दबिश के पहले ही बेहद मुस्तैद हो चुके विकास दुबे ने अपने गैंग के साथ सीओ देवेंद्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. विकास दुबे के खिलाफ हत्या के प्रयास की रिपोर्ट लिखवाने वाला राहुल 14 दिनों से लापता था, जो खुद पुलिस के पास पहुंच गया. उसने मीडिया के सामने आकर खुलकर बताया कि विकास दुबे कितना दुर्दान्त अपराधी था. उसने बताया कि विकास दुबे और उसके गुर्गे राहुल की जमीन हर हाल में हथियाना चाहते थे.