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कानपुर: 3 साल बाद भी नोटबंदी की मार से नहीं उबरा चमड़ा उद्योग

देश में की गई नोटबंदी को शुक्रवार को 3 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन नोटबंदी की मार से आज भी चमड़ा उद्योग नहीं उबर पाया है. टेनरी निर्मित उत्पादन में 60 प्रतिशत की गिरावट आने की वजह से करीब 75 फीसदी कामगार बेरोजगार हो गये हैं.

लेबर ने अपने गांव का किया रुख.
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Published : Nov 9, 2019, 4:44 PM IST

कानपुर: देश में की गई नोटबंदी को शुक्रवार को 3 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन नोटबंदी की मार से आज भी जिले का चमड़ा उद्योग उबर नहीं पाया है. टेनरी निर्मित उत्पादन में 60 प्रतिशत की गिरावट आने की वजह से करीब 75 फीसदी कामगार बेरोजगार हो गये हैं. नोटबंदी ने जहां घरेलू स्तर पर चमड़ा उद्योग की कमर तोड़ दी है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापार मंदी की कगार पर है.

लेबर ने अपने गांव का किया रुख.

लेबर ने अपने गांव का किया रुख
कानपुर देश में सबसे ज्यादा चमड़ा एक्सपोर्ट करने वाले शहरों में से एक है. यहां चमड़े से बनने वाले जूते, बेल्ट, जेकेट, पर्स आदि विदेशों तक एक्सपोर्ट किये जाते हैं. नोटबन्दी से पहले तक इन फैक्ट्रियों के पास से गुजरने से मशीनों की चलने की आवाजे सुनाई देने के साथ लेबरों की आवाजाही दिखाई देती थी, लेकिन नोटबंदी की मार ऐसी इन पर ऐसी पड़ी की मशीनों ने मौन धारण कर लिया और यहां काम करने वाले लेबरों ने अपने गांव का रुख कर लिया. जिसके चलते कई छोटी बड़ी फैक्ट्रियां बंद हो गई.

यह भी पढ़ें: अयोध्याः सुरक्षा व्यवस्था पर केन्द्र की नजर, राज्य सरकार चौकस

75 प्रतिशत कामगार हुए बेरोजगार
पीढ़ियों से चमड़ा उद्योग से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक नोटबंदी के बाद नकद लेन-देन में परेशानी की वजह से चमड़ा निर्माण के लिये जानवरों की खालें नहीं मिल पा रही हैं. देश के प्रमुख चमड़ा क्लस्टर कानपुर में नोटबंदी के कारण खालों की उपलब्धता में 75 प्रतिशत तक गिरावट आई है. वहीं, मजदूरी न मिल पाने की वजह से लगभग 75 प्रतिशत कामगार बेरोजगार हो गये हैं. तमाम औद्योगिक संगठन वर्तमान आर्थिक सुस्ती के तमाम कारणों में से एक अहम वजह नोटबंदी को ही मानते हैं.

कानपुर: देश में की गई नोटबंदी को शुक्रवार को 3 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन नोटबंदी की मार से आज भी जिले का चमड़ा उद्योग उबर नहीं पाया है. टेनरी निर्मित उत्पादन में 60 प्रतिशत की गिरावट आने की वजह से करीब 75 फीसदी कामगार बेरोजगार हो गये हैं. नोटबंदी ने जहां घरेलू स्तर पर चमड़ा उद्योग की कमर तोड़ दी है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापार मंदी की कगार पर है.

लेबर ने अपने गांव का किया रुख.

लेबर ने अपने गांव का किया रुख
कानपुर देश में सबसे ज्यादा चमड़ा एक्सपोर्ट करने वाले शहरों में से एक है. यहां चमड़े से बनने वाले जूते, बेल्ट, जेकेट, पर्स आदि विदेशों तक एक्सपोर्ट किये जाते हैं. नोटबन्दी से पहले तक इन फैक्ट्रियों के पास से गुजरने से मशीनों की चलने की आवाजे सुनाई देने के साथ लेबरों की आवाजाही दिखाई देती थी, लेकिन नोटबंदी की मार ऐसी इन पर ऐसी पड़ी की मशीनों ने मौन धारण कर लिया और यहां काम करने वाले लेबरों ने अपने गांव का रुख कर लिया. जिसके चलते कई छोटी बड़ी फैक्ट्रियां बंद हो गई.

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75 प्रतिशत कामगार हुए बेरोजगार
पीढ़ियों से चमड़ा उद्योग से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक नोटबंदी के बाद नकद लेन-देन में परेशानी की वजह से चमड़ा निर्माण के लिये जानवरों की खालें नहीं मिल पा रही हैं. देश के प्रमुख चमड़ा क्लस्टर कानपुर में नोटबंदी के कारण खालों की उपलब्धता में 75 प्रतिशत तक गिरावट आई है. वहीं, मजदूरी न मिल पाने की वजह से लगभग 75 प्रतिशत कामगार बेरोजगार हो गये हैं. तमाम औद्योगिक संगठन वर्तमान आर्थिक सुस्ती के तमाम कारणों में से एक अहम वजह नोटबंदी को ही मानते हैं.

Intro:कानपुर:-नोटबन्दी के तीन साल बाद भी नही उबर पाया चमड़ा उद्योग


नोटबंदी की मार ने चमड़ा उद्योग की ना सिर्फ कमर तोड़ दी है बल्कि अंतर राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापार की कमर तोड़ दी है।   देश में टेनरी निर्मित उत्पादन में 60 प्रतिशत की गिरावट आने की वजह से करीब 75 फीसदी कामगार बेरोजगार हो गये हैं।


Body:प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गयी नोटबंदी को आज से 3 साल पूरे हो गए है , लेकिन नोटबंदी की मार से आज भी कानपुर का चमड़ा उद्योग उबर नही पाया है । कानपुर जनपद के चमड़ा उद्योग के मालिकों समेत वहां काम करने वाले लेबरों को भी भुखमरी की कगार पर ला के खड़ा कर दिया।कानपुर देश मे सबसे ज्यादा चमड़ा एक्सपोर्ट करने वाले शहरों में से एक है । कानपुर के चमड़े से बनने वाले जूते,बेल्ट,जेकेट,पर्स आदि विदेशों तक एक्सपोर्ट किये जाते है , नोटबन्दी से पहले तक इन फैक्ट्रियों के पास से गुजरने से मशीनों की चलने की आवाजे व लेबरों की आवाजाही दिखाई देती थी लेकिन नोटबंदी की मार ऐसी इन पर ऐसी पड़ी की मशीनों ने मौन धारण कर लिया और यहाँ काम करने वाले लेबरों ने अपने गाँव का रुख कर लिया।कई छोटी बड़ी फैक्ट्रियां इस नोटबंदी की मार से बंद हो गयी है 





Conclusion:पीढ़ियों से चमड़ा उद्योग से जुड़े कटोबारियो के मुताबिक नोटबंदी के बाद नकद लेन-देन में परेशानी की वजह से चमड़ा निर्माण के लिये जानवरों की खालें नहीं मिल पा रही हैं। देश के प्रमुख चमड़ा क्लस्टर कानपुर में नोटबंदी के कारण खालों की उपलब्धता में 75 प्रतिशत तक गिरावट आयी है। 60 प्रतिशत तक गिर चुका है, और मजदूरी ना मिल पाने की वजह से लगभग 75 प्रतिशत कामगार बेरोजगार हो गये हैं। तमाम औद्योगिक संगठन वर्तमान आर्थिक सुस्ती के तमाम कारणों में से एक अहम वजह नोटबंदी को ही मानते हैं।

बाइट :- इफ्तेखार अहमद , टेनरी मालिक ।

रजनीश दीक्षित
कानपुर
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