कानपुरः केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को कानपुर में आयोजित हिंदी प्रचारिणी सभा के कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि 'जब 1980 का दौरा था तब वे कहीं से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, फिर अचानक एक दिन इंदिरा गांधी ने उनसे कहा कि कानपुर हिंदी का शहर है, इसलिए वह वहां से लोकसभा चुनाव लड़ें. ऐसे में समाज के अंदर धर्म को लेकर जो बंटवारा पैदा हो रहा था, उसे ठीक करने के लिए वह हिंदी बोलने लगे.'
कार्यक्रम के दौरान केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जब ये बातें कहीं, तो कार्यक्रम में मौजूद हर शख्स ने तालियों से उनका स्वागत किया. उन्होंने कहा कि घर पर अच्छा खाना बनता था, फिर भी मेस्टन रोड में खाना खाने आते थे. उन्होंने अपने संबोधन में कानपुर जनरलगंज, गोविन्द नगर, घंटाघर समेत कई अन्य मोहल्लों का नाम लिया. इससे कार्यक्रम में बैठे लोग बेहद उत्साहित दिखे. समाज के विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर काम करने वालों को उक्त संस्था के पदाधिकारियों व केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सम्मानित भी किया.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इस समय कोई भी आमजन या युवा जितनी भाषाएं सीख सकता है, उसे उतनी सीखनी चाहिये. हार्वर्ड के प्रोफेसर कह रहे हैं, जो दो या उससे अधिक भाषाओं की जानकारी रखता है वह दिमागी बीमारी का शिकार नहीं होगा. मनुष्य के जिस्म में सबसे ज्यादा काहिल व सुस्त दिमाग ही है.
इसी तरह साहित्यकारों को लेकर राज्यपाल ने कहा कि समाज में साहित्यकारों की भूमिका को कभी कम करके नहीं आंकना चाहिए. बच्चे, यह बात जान लें, शिक्षा का महत्व हमेशा रहा है. शिक्षा से ही इस देश का विकास संभव है. वहीं, कार्यक्रम में पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्रा, डॉ. राजीव रंजन पांडेय, डॉ. राकेश शुक्ल, अरविन्द चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे.
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