कानपुर: IIT कानपुर के 54वें दीक्षा समारोह में जब पीएम मोदी का आगमन हुआ था, तो वहां छात्रों को पहली बार ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से डिग्रियां दी गई थीं. आइआइटी कानपुर(IIT Kanpur) के विशेषज्ञों का कहना था कि इस तकनीक के जरिए हर दस्तावेज हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाता है. उसमें कभी कोई हेरफेर नहीं कर सकता है. अब इसी ब्लाकचेन तकनीक का इस्तेमाल कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) में किया जाएगा.
इस मामले पर केडीए वीसी अरविंद सिंह व आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञ व वरिष्ठ प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने विस्तार से मंथन किया. उस मंथन में तय हुआ कि जल्द इस मामले में आइआइटी कानपुर व केडीए के बीच करार होगा. इसके बाद ब्लॉकचेन तकनीक को केडीए में दस्तावेजों की सुरक्षा के नजरिए से लागू कर दिया जाएगा. आइआइटी कानपुर(Indian Institute of Technology Kanpur) के वरिष्ठ प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि जब किसी तरह का रिकार्ड्स सुरक्षित करते हैं तो ब्लॉकचेन तकनीक सबसे अधिक प्रभावशाली है. इस तकनीक का उपयोग करने के बाद सभी तरह के रिकार्ड्स पूरी तरह से सुरक्षित हो जातें हैं. इस तकनीकि के जरिए संजोए गए दस्तावेजों मे लिखा हुआ भाग कभी न तो बदला जा सकता है और न ही मिटाया जा सकता है.
एक माह पहले केडीए के वीसी ने देखा था प्रेजेंटेशन: ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किस तरह किया जाता है, इसका प्रेजेंटेशन केडीए वीसी ने करीब एक माह पहले देखा था. तब आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने इस तकनीक से जुड़ी हर छोटी से छोटी जानकारी को केडीए अफसरों से साझा किया था. तभी यह फैसला हुआ था कि जल्द से जल्द इस तकनीक का उपयोग केडीए में होगा. जिससे कि आए दिन होने वाले तमाम तरह के फर्जीवाड़ा से पूरी तरह निजात मिल सके.
जेई स्तर के अधिकारी सबसे ज्यादा करते खेल: केडीए में जेई स्तर के अफसर दस्तावेजों में सबसे अधिक खेल करते हैं. अक्सर ही देखने में आता है कि अधीनस्थ अफसरों की लापरवाही के चलते विभाग के आला अफसरों की किरकिरी होती है. हालांकि अब ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग होने के बाद इस तरह के खेल पूरी तरह से बंद हो जाएगा.
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