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कानपुर हिंसा के मास्टरमाइंड हयात को फंड देने का आरोप, बाबा बिरियानी रेस्टोरेंट के मालिक मुख्तार बाबा गिरफ्तार

कानपुर हिंसा के मास्टरमाइंड हयात जफर को फंड देने के आरोप में पुलिस ने बुधवार को बाबा बिरियानी रेस्टोरेंट के मालिक मुख्तार बाबा गिरफ्तार कर लिया.

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कानपुर हिंसा का आरोपी गिरफ्तार
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Published : Jun 23, 2022, 8:28 AM IST

Updated : Jun 23, 2022, 12:16 PM IST

कानपुर: 3 जून को हुई कानपुर हिंसा के मामले में एसआईटी ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. एसआईटी की टीम ने बताया कि अपराधी शहर में मशहूर बाबा बिरयानी का मलिक उपद्रवियों को फंडिंग करता था. वहीं, इस उपद्रव में डी-2 गैंग का हाथ सामने आया है.

कानपुर हिंसा के पीछे डी-2 गैंग का भी हाथ सामने आया है. यह वही इंटरस्टेट गिरोह है, जो कभी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का करीबी हुआ करता था. डी-टू गैंग ने चंद्रेश्वर हाता खाली कराने का जिम्मा लिया था. इसके चलते वह हिंसा में शामिल हुआ और हाते के सामने ताबड़तोड़ बमबाजी-पथराव को अंजाम दिया. डी-2 गैंग अब आईएस 273 के नाम से जाना जाता है. बता दें, कि इस गैंग का सरगना अफजाल 20 मई को जेल से छूटा था. वहीं, हिंसा प्रभावित इलाके में उसका मूमेंट भी देखा गया है. लेकिन हिंसा के बाद से वह लापता हो गया. बताया जा रहा है कि अफजाल ने हिंसा के मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी को फंडिंग करने वाले बिल्डर से चंद्रेश्वर हाता खाली कराने का ठेका लिया था.

डी-2 गैंग इससे पहले भी क्षेत्र के कई हातों को खाली करा चुका है. वहीं, हिंदू बाहुल्य हातों में मुस्लिम आबादी बस चुकी है. बता दें, कि शत्रु संपत्ति पर काबिज बाबा बिरयानी के मालिक ने डी-2 गैंग के लिए फंडिंग की थी. शहर में जब गैंग रजिस्टर्ड करने का सिलसिला शुरू हुआ तो डी-2 गैंग शहर में रजिस्टर्ड होने वाला दूसरा गिरोह बना गया. 1997 में पुलिस ने डी-2 गैंग को रजिस्टर्ड किया था. इस गैंग का सरगना अनवरगंज के कुली बाजार निवासी अतीक अहमद है और वह इस समय आगरा जेल में बंद है. अतीक ने अपने पांच भाइयों के साथ इस गैंग को बनाया था. गैंग के बदमाश शहर में हत्याऐं और रंगदारी वसूलने का कारते थे. कानपुर से लेकर मुंबई तक इस गैंग की धाक जमी हुई थी.

यह भी पढें: कन्नौज: हिरासत में शिक्षक की मौत का मामला, इंस्पेक्टर समेत 4 पुलिसकर्मी दोषी, FIR दर्ज


डी-2 गैंग के सफीक की मुंबई में जेल में मौत हो गई थी. वहीं, तौफीक का 2014 में बर्रा में पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था. इसके बाद रफीक भी एनकाउंटर में मारा गया. डी-2 गैंग 1972 से कानपुर में अपराध की वारदातों को अंजाम देता रहा है. इस गैंग की चर्चा यूपी से लेकर मुंबई तक हुई. इसके 19 अपराधी पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज है. लेकिन मौजूदा वक्त में 50 से अधिक अपराधी गैंग के लिए काम कर रहे हैं. हाजी मस्तान और दाउद से भी गैंग के कनेक्शन रहे हैं.


डी-2 गैंग ने अब काम करने का तरीका बदल लिया है. हत्या और रंगदारी की जगह वह विवादित जमीनों को खाली कराने का ठेका लेता है. क्षेत्र में जमीनों पर कब्जा करने और बिल्डरों की मदद करने के लिए यह गैंग फेमस था. शहर की बेशकीमती जमीनों पर डी2- गैंग की मदद से कई सफेदपोशों ने कब्जा किया था. यह सफेदपोश अभी भी शत्रु संपत्तियों पर काबिज है और अरबों की प्रॉपर्टी के मालिक बने हुए हैं.


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कानपुर: 3 जून को हुई कानपुर हिंसा के मामले में एसआईटी ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. एसआईटी की टीम ने बताया कि अपराधी शहर में मशहूर बाबा बिरयानी का मलिक उपद्रवियों को फंडिंग करता था. वहीं, इस उपद्रव में डी-2 गैंग का हाथ सामने आया है.

कानपुर हिंसा के पीछे डी-2 गैंग का भी हाथ सामने आया है. यह वही इंटरस्टेट गिरोह है, जो कभी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का करीबी हुआ करता था. डी-टू गैंग ने चंद्रेश्वर हाता खाली कराने का जिम्मा लिया था. इसके चलते वह हिंसा में शामिल हुआ और हाते के सामने ताबड़तोड़ बमबाजी-पथराव को अंजाम दिया. डी-2 गैंग अब आईएस 273 के नाम से जाना जाता है. बता दें, कि इस गैंग का सरगना अफजाल 20 मई को जेल से छूटा था. वहीं, हिंसा प्रभावित इलाके में उसका मूमेंट भी देखा गया है. लेकिन हिंसा के बाद से वह लापता हो गया. बताया जा रहा है कि अफजाल ने हिंसा के मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी को फंडिंग करने वाले बिल्डर से चंद्रेश्वर हाता खाली कराने का ठेका लिया था.

डी-2 गैंग इससे पहले भी क्षेत्र के कई हातों को खाली करा चुका है. वहीं, हिंदू बाहुल्य हातों में मुस्लिम आबादी बस चुकी है. बता दें, कि शत्रु संपत्ति पर काबिज बाबा बिरयानी के मालिक ने डी-2 गैंग के लिए फंडिंग की थी. शहर में जब गैंग रजिस्टर्ड करने का सिलसिला शुरू हुआ तो डी-2 गैंग शहर में रजिस्टर्ड होने वाला दूसरा गिरोह बना गया. 1997 में पुलिस ने डी-2 गैंग को रजिस्टर्ड किया था. इस गैंग का सरगना अनवरगंज के कुली बाजार निवासी अतीक अहमद है और वह इस समय आगरा जेल में बंद है. अतीक ने अपने पांच भाइयों के साथ इस गैंग को बनाया था. गैंग के बदमाश शहर में हत्याऐं और रंगदारी वसूलने का कारते थे. कानपुर से लेकर मुंबई तक इस गैंग की धाक जमी हुई थी.

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डी-2 गैंग के सफीक की मुंबई में जेल में मौत हो गई थी. वहीं, तौफीक का 2014 में बर्रा में पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था. इसके बाद रफीक भी एनकाउंटर में मारा गया. डी-2 गैंग 1972 से कानपुर में अपराध की वारदातों को अंजाम देता रहा है. इस गैंग की चर्चा यूपी से लेकर मुंबई तक हुई. इसके 19 अपराधी पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज है. लेकिन मौजूदा वक्त में 50 से अधिक अपराधी गैंग के लिए काम कर रहे हैं. हाजी मस्तान और दाउद से भी गैंग के कनेक्शन रहे हैं.


डी-2 गैंग ने अब काम करने का तरीका बदल लिया है. हत्या और रंगदारी की जगह वह विवादित जमीनों को खाली कराने का ठेका लेता है. क्षेत्र में जमीनों पर कब्जा करने और बिल्डरों की मदद करने के लिए यह गैंग फेमस था. शहर की बेशकीमती जमीनों पर डी2- गैंग की मदद से कई सफेदपोशों ने कब्जा किया था. यह सफेदपोश अभी भी शत्रु संपत्तियों पर काबिज है और अरबों की प्रॉपर्टी के मालिक बने हुए हैं.


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Last Updated : Jun 23, 2022, 12:16 PM IST
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