कानपुर: जिले में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद बुधवार को पुलिस लाइन में पहली कमिश्नरी अदालत लगाई गई. इस पहली पुलिस अदालत को अस्थाई तौर पर पुलिस लाइन के मीटिंग हॉल में शुरू किया गया. पहले कोर्ट में बतौर मजिस्ट्रेट बनकर एसीपी बाबूपुरवा आलोक सिंह ने मामलों की सुनवाई की. अदालत में कानपुर नगर के विभिन्न थानों से लाए गए केसों की सुनवाई की गई. थानों से मारपीट की धारा 151 जैसे मामलों के मुल्जिम पहली बार कचहरी की जगह पुलिस अदालत में पेश किये गए. अभी तक कचहरी की अदालतों में अपने मुवक्किल की पैरवी करने वाले वकील भी अपने केसों की पैरवी के लिए पुलिस कोर्ट में पैरोकारी के लिए पहुंचे. वकीलों का कहना था कि कानपुर में पहली बार पुलिस कमिश्नर की कोर्ट आज से शुरू हुई है.
यह भी पढ़ें: कानपुर विश्वविद्यालय: नए कुलपति के रूप में प्रो. विनय पाठक के नाम पर चर्चाएं तेज
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली से जनता का लाभ
वकीलों का कहना था कि पहली बार हम लोग कचहरी से निकल कर अपने मुवक्किल की पैरवी के लिए इस अदालत में आए हैं. हालांकि कचहरी में वकीलों को आसानी रहती थी. अब आगे देखते हैं कि पुलिस की कोर्ट से लोगों को क्या लाभ मिलेगा.
कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद लखनऊ में ली ट्रेनिंग
कानपुर में कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने कमिश्नरी सिस्टम की बारीकियों को समझने और सीखने के लिए कानपुर से एडीसीपी ट्रैफिक बसंत लाल, एसीपी बाबू पुरवा और आलोक सिंह समेत 4 हेड कांस्टेबल को लखनऊ में तीन दिवसीय ट्रेनिंग के लिए भेजा था. वहां पर इन पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने मजिस्ट्रेट प्रणाली के बारे में जाना.