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Kanpur National Sugar Institute: गन्नों के खेतों में लहलहाएगी हैदराबाद की मीठी ज्वार, किसानों की बढ़ेगी आय

कानपुर राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के वैज्ञानिकों ने पांच साल के रिसर्च के बाद बड़ी सफलात प्राप्त की है. अब किसान गन्ना के फसलों से दो लाभ ले सकते हैं. जिससे किसानों की आय 35 प्रतिशत अधिक बढ़ सकती है.

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Published : May 26, 2023, 8:56 PM IST

एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया.

कानपुर: सूबे के लाखों गन्ना किसानों के लिए कानपुर राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) से एक अच्छी खबर सामने आई है. अब गन्ना किसान अपने खेतों में गन्ने की फसल के साथ मीठी ज्वार भी उगा सकेंगे. किसानों को गन्ने की 2 कतारों के बीच में इसे लगाना होगा. एनएसआई के वैज्ञानिकों ने करीब 5 सालों के शोध कार्य के बाद ये सफलता हासिल की है.

हैदराबाद की मीठी ज्वार की फसल तैयार.
हैदराबाद की मीठी ज्वार की फसल तैयार.

दरअसल, एनएसआई के वैज्ञानिकों को भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान हैदराबाद से मीठी ज्वार की 5 प्रजातियां- csh22ss, ss74, ss84, फूले वसुंधरा और icssh28 मिली थी. वैज्ञानिकों ने इन दोनों प्रजातियों को बलरामपुर शुगर मिल्स और डालमियां भारत शुगर मिल्स में तैयार कराया है. कई सालों बाद इनके रोचक परिणाम सामने आए. यहां 50-55 टन प्रति हेक्टेयर में यह फसलें लहलहा गई. साथ ही यहां 45-50 लीटर प्रति मीट्रिक टन एथेनॉल उत्पादन हुआ. ऐसे में वैज्ञानिकों ने दावा किया कि अगर किसान इस फसल को तैयार करेंगे, तो एक अनुमान के मुताबिक उनकी सालाना आय में करीब 35 प्रतिशत की वृद्धि होगी. इसके अलावा 30 प्रतिशत तक एथेनॉल तैयार किया जा सकेगा. इससे एक नई फसल से 2 फसलों के लाभ मिल सकेंगे.



कानपुर एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया की कैंपस में पहली बार चुकंदर (शुगरबीट) की फसल को उगाया गया है. इसके लिए तीन प्रजातियों- LS6, LKC2020 और IISRCOMP.1 का प्रयोग किया गया था. जिसमें कुल 70-80 टन प्रति हेक्टेयर इस फसल का कुल उत्पादन रहा. इसके अलावा 90-100 लीटर प्रति मीट्रिक टन एथेनॉल बनाया गया. यहां के वैज्ञानिकों ने इस शोध कार्य के परिणाम कों सार्थक माना है.



एनएसआई के निदेशक ने कहा कि देश में जो एथेनॉल की जरूरत है. वह बहुत अधिक है. उससे अधिक से अधिक एथेनॉल अगर चाहिए तो गन्ने के अलावा अन्य विकल्प चुनने होंगे. उनमें अब मीठी ज्वार व शुगरबीट को शामिल किया गया है.

यह भी पढे़ं- लखनऊ मलिहाबाद के बागवान ने तैयार किया नए किस्म का आम, मोदी मैंगो रखा नाम

एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया.

कानपुर: सूबे के लाखों गन्ना किसानों के लिए कानपुर राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) से एक अच्छी खबर सामने आई है. अब गन्ना किसान अपने खेतों में गन्ने की फसल के साथ मीठी ज्वार भी उगा सकेंगे. किसानों को गन्ने की 2 कतारों के बीच में इसे लगाना होगा. एनएसआई के वैज्ञानिकों ने करीब 5 सालों के शोध कार्य के बाद ये सफलता हासिल की है.

हैदराबाद की मीठी ज्वार की फसल तैयार.
हैदराबाद की मीठी ज्वार की फसल तैयार.

दरअसल, एनएसआई के वैज्ञानिकों को भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान हैदराबाद से मीठी ज्वार की 5 प्रजातियां- csh22ss, ss74, ss84, फूले वसुंधरा और icssh28 मिली थी. वैज्ञानिकों ने इन दोनों प्रजातियों को बलरामपुर शुगर मिल्स और डालमियां भारत शुगर मिल्स में तैयार कराया है. कई सालों बाद इनके रोचक परिणाम सामने आए. यहां 50-55 टन प्रति हेक्टेयर में यह फसलें लहलहा गई. साथ ही यहां 45-50 लीटर प्रति मीट्रिक टन एथेनॉल उत्पादन हुआ. ऐसे में वैज्ञानिकों ने दावा किया कि अगर किसान इस फसल को तैयार करेंगे, तो एक अनुमान के मुताबिक उनकी सालाना आय में करीब 35 प्रतिशत की वृद्धि होगी. इसके अलावा 30 प्रतिशत तक एथेनॉल तैयार किया जा सकेगा. इससे एक नई फसल से 2 फसलों के लाभ मिल सकेंगे.



कानपुर एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया की कैंपस में पहली बार चुकंदर (शुगरबीट) की फसल को उगाया गया है. इसके लिए तीन प्रजातियों- LS6, LKC2020 और IISRCOMP.1 का प्रयोग किया गया था. जिसमें कुल 70-80 टन प्रति हेक्टेयर इस फसल का कुल उत्पादन रहा. इसके अलावा 90-100 लीटर प्रति मीट्रिक टन एथेनॉल बनाया गया. यहां के वैज्ञानिकों ने इस शोध कार्य के परिणाम कों सार्थक माना है.



एनएसआई के निदेशक ने कहा कि देश में जो एथेनॉल की जरूरत है. वह बहुत अधिक है. उससे अधिक से अधिक एथेनॉल अगर चाहिए तो गन्ने के अलावा अन्य विकल्प चुनने होंगे. उनमें अब मीठी ज्वार व शुगरबीट को शामिल किया गया है.

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