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कानपुरः शांत नहीं हो रही भाजपा पार्षदों की आपसी कलह, उपनेता सदन ने दिया इस्तीफा

कानपुर नगर निगम सदन में भाजपा पार्षदों के बीच हुआ विवाद अब गरमाता जा रहा है. शनिवार को भाजपा के उपनेता सदन महेंद्र शुक्ल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा क्षेत्रीय अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष को सौंपा है.

नगर निगम में विवाद.
नगर निगम में विवाद.
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Published : Nov 22, 2020, 6:45 AM IST

कानपुरः नगर निगम सदन में भाजपा पार्षदों के बीच हुआ विवाद अब गरमाता जा रहा है. शनिवार को भाजपा के उपनेता सदन महेंद्र शुक्ल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा क्षेत्रीय अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष को दिया है. वहीं स्थानीय संगठन को अब प्रदेश नेतृत्व के फैसले का इंतजार है.

सदन के दौरान अपने ऊपर पार्षद रमेश हटी द्वारा लगाएं कब्जे के आरोप के बाद दद्दा बिखर गए थे और उन्होंने हटी को अपशब्द और जातिसूचक शब्द कह दिए थे. जिसके बाद हटी ने दद्दा पर स्वरूप नगर थाने में मुकदमा लिखा दिया था. इसी के साथ रमेश हटी ने निगम में भाजपा के अन्य पार्षदों के साथ मिलकर महेंद्र शुक्ल की गिरफ्तारी की और पार्टी से निष्कासन की भी मांग की थी.

एक अभियोजन के लिए दो दंड न्यायोचित नहीं
इस्तीफे में महेंद्र शुक्ल ने लिखा है कि महापौर उनकी छवि धूमिल करना चाहती हैं. जिस लिए वो ऐसी साजिश रच रही हैं. वहीं उन्होंने लिखा कि जब मुझे महापौर सदन से 6 माह के निष्कासित कर चुकी है तो मेरे ऊपर मुकादमा लिखे जाने की अनुमति देना न्यायोचित नहीं है. एक ही अभियोजन के लिए दो सजा देना अधिनियम में नहीं है.

इस्तीफे में फंसा है यह पेंच
उपनेता सदन महेंद्र शुक्ल 'दद्दा' ने अपना इस्तीफा भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष को सौंप तो दिया है, लेकिन जब नगर निगम के अधिनियम के जानकारों से बात की तो उन्होंने बताया उपनेता सदन सिर्फ अपना इस्तीफा महापौर को दे सकता है. उसके अलावा कोई भी उन्हें उसके पद से नहीं हटा सकता है. वहीं 'दद्दा' द्वारा क्षेत्रीय अध्यक्ष को पत्र देने से अभी इस्तीफे पर संशय है. वहीं उन्होंने पत्र में महापौर को सूचनार्थ किया है. यदि संगठन महापौर को इस पत्र की प्रतिलिपि भेजता है और महापौर इस पत्र में उपनेता के हस्ताक्षर निगम के दस्तावेज से मिलाती है. यदि तब हस्ताक्षर मिल जाते हैं तो इस्तीफा स्वतः स्वीकार हो जाएगा.

कानपुरः नगर निगम सदन में भाजपा पार्षदों के बीच हुआ विवाद अब गरमाता जा रहा है. शनिवार को भाजपा के उपनेता सदन महेंद्र शुक्ल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा क्षेत्रीय अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष को दिया है. वहीं स्थानीय संगठन को अब प्रदेश नेतृत्व के फैसले का इंतजार है.

सदन के दौरान अपने ऊपर पार्षद रमेश हटी द्वारा लगाएं कब्जे के आरोप के बाद दद्दा बिखर गए थे और उन्होंने हटी को अपशब्द और जातिसूचक शब्द कह दिए थे. जिसके बाद हटी ने दद्दा पर स्वरूप नगर थाने में मुकदमा लिखा दिया था. इसी के साथ रमेश हटी ने निगम में भाजपा के अन्य पार्षदों के साथ मिलकर महेंद्र शुक्ल की गिरफ्तारी की और पार्टी से निष्कासन की भी मांग की थी.

एक अभियोजन के लिए दो दंड न्यायोचित नहीं
इस्तीफे में महेंद्र शुक्ल ने लिखा है कि महापौर उनकी छवि धूमिल करना चाहती हैं. जिस लिए वो ऐसी साजिश रच रही हैं. वहीं उन्होंने लिखा कि जब मुझे महापौर सदन से 6 माह के निष्कासित कर चुकी है तो मेरे ऊपर मुकादमा लिखे जाने की अनुमति देना न्यायोचित नहीं है. एक ही अभियोजन के लिए दो सजा देना अधिनियम में नहीं है.

इस्तीफे में फंसा है यह पेंच
उपनेता सदन महेंद्र शुक्ल 'दद्दा' ने अपना इस्तीफा भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष को सौंप तो दिया है, लेकिन जब नगर निगम के अधिनियम के जानकारों से बात की तो उन्होंने बताया उपनेता सदन सिर्फ अपना इस्तीफा महापौर को दे सकता है. उसके अलावा कोई भी उन्हें उसके पद से नहीं हटा सकता है. वहीं 'दद्दा' द्वारा क्षेत्रीय अध्यक्ष को पत्र देने से अभी इस्तीफे पर संशय है. वहीं उन्होंने पत्र में महापौर को सूचनार्थ किया है. यदि संगठन महापौर को इस पत्र की प्रतिलिपि भेजता है और महापौर इस पत्र में उपनेता के हस्ताक्षर निगम के दस्तावेज से मिलाती है. यदि तब हस्ताक्षर मिल जाते हैं तो इस्तीफा स्वतः स्वीकार हो जाएगा.

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